Woman dies due to wrong blood transfusion in SMS | गर्भवती को चढ़ाया गलत ब्लड, वेंटिलेटर पर तोड़ा दम: ‘बी’ पॉजिटिव की जगह चढ़ाया ‘ए’ पॉजिटिव, SMS अस्पताल में लापरवाही के भास्कर के पास सबूत – Rajasthan News

प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में एक फिर डॉक्टरों-नर्सिंगकर्मियों की भारी लापरवाही सामने आई है। शुक्रवार को गलत खून चढ़ाने से गर्भवती महिला ने दम तोड़ दिया। गर्भवती को ‘बी’ पॉजिटीव की बजाय ‘ए’ पॉजिटीव चढ़ा दिया गया।
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अस्पताल प्रशासन का दावा है कि महिला का ब्लड ग्रुप ‘ए’ पॉजिटीव है। जबकि भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि महिला का ब्लड ग्रुप ‘बी’ पॉजिटीव ही था। पढ़िए ये रिपोर्ट…
सबसे पहले जानते हैं पूरा मामला?
एसएमएस अस्पताल में 9 मई को टोंक जिले के निवाई के बड़ा गांव की चैना देवी (23) को बुखार, सांस लेने में दिक्कत और चेस्ट इन्फेक्शन की शिकायत के चलते भर्ती कराया गया था। मेडिकल यूनिट 5 के 4बी वार्ड में भर्ती महिला की जांच में सामने आया कि पांच महीने की गर्भवती चैना देवी को टीबी की बीमारी भी है।

प्रतीकात्मक तस्वीर : महिला 5 माह की गर्भवती थी। उन्हें टीबी की बीमारी के साथ-साथ शरीर में खून की कमी भी थी। इससे बच्चे की पेट में ही मौत हो गई थी।
इसके बाद लगातार तबीयत खराब होने के कारण उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। इस दौरान गर्भवती के पेट में ही बच्चे की मौत हो गई। जिस पर डॉक्टर्स ने दवाई देकर मृत बच्चे को बाहर निकाला। इसी दौरान महिला को ब्लड चढ़ाया गया था। लेकिन इसके बावजूद महिला की तबीयत और खराब होती चली गई। महिला का हिमोग्लोबिन भी कम हो रहा था। जिसके बाद महिला की 21-22 की रात को मौत हो गई।
गलत खून चढ़ाने से बिगड़ी तबीयत
जांच में सामने आया है महिला की तबीयत लगातार खराब होने और इस दौरान हिमोग्लोबिन कम होने के कारण ब्लड चढ़ाया गया था। लेकिन यहीं पूरे मामले की गफलत हो गई। एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी ने बताया कि 15 मई को महिला को वेंटिलेटर पर लेना पड़ा था। इस दौरान बच्चे की मौत होने के कारण इन्फेक्शन और ब्लीडिंग भी हुई थी।
इसके साथ ही महिला के एनिमिया (खून की कमी) होने के साथ ही हिमोग्लोबिन काफी कम हो गया था। जिस पर ब्लड चढ़ाने के लिए कहा गया था। उन्होंने बताया कि 20 मई को जब महिला को ब्लड चढ़ाया गया, उस वक्त वेंटिलेटर पर होने के कारण खून चढ़ाने का रिएक्शन पता नहीं चला। लेकिन कुछ देर पता चला की महिला को रिएक्शन हो रहा है। लेकिन पहले से खराब हालात के बाद 21 मई की रात को महिला की मौत हो गई।

दूसरे नंबर पर देखिए 19 मई को हुई रिपोर्ट में ‘A’ पॉजिटिव बताया गया। फिर पहले नंबर पर दर्ज 21 मई को हुई दोबारा हुई ब्लड की जांच को देखिए, ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव लिखा आ रहा है।
अस्पताल प्रशासन का दावा महिला का ब्लड ग्रुप ‘ए’ पॉजिटीव ही था
मृतक चैना देवी को 20 मई की सुबह ब्लड चढ़ाया गया था। एसएमएस अस्पताल प्रशासन का दावा है कि महिला को ‘ए’ पॉजिटीव ब्लड चढ़ाया गया था और महिला का ब्लड ग्रुप भी ए पॉजिटीव दिया गया था। एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी ने कहा कि अब इस मामले की जांच कर रहे हैं। फैक्चुअल रिपोर्ट आने के बाद पूरी सच्चाई सामने आएगी।
भास्कर की पड़ताल में सामने आया ‘सच’
भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि 18 मई को रात 9 बजे ब्लड की रिक्वायरमेंट की गई थी। 20 मई की सुबह महिला को जो ब्लड चढ़ाया गया वो गलत था। खुद डॉक्टरों को भी इसकी भनक लग गई थी। इसलिए दोबारा सैंपल भेजकर ब्लड मंगवाया गया। इस गलती का सबूत भास्कर के पास है। दोबारा ब्लड सैंपल जब भेजा गया, उस पर ब्लड बैंक में मौजूद डॉक्टर ने रिपोर्ट में साफ लिखा है कि ‘रॉन्ग ब्लड इन ट्यूब’।

इस रिपोर्ट में साफ लिखा है कि पहले ट्यूब में गलत ब्लड दिया गया है।
इस रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि 19 मई को महिला के ब्लड का सैंपल ब्लड बैंक में भेजा गया। उस सैंपल की जांच की तो ब्लड ग्रुप ‘ए’ पॉजिटीव पाया गया। इस आधार पर ब्लड बैंक ने ‘ए’ पॉजिटीव बैग थमा दिए। लेकिन ब्लड चढ़ाने से महिला की बॉडी पर रिएक्शन दिखने लगे। वेंटिलेटर पर होने के बावजूद तबीयत खराब होती चली गई। उसके बाद फिर से महिला के ब्लड के सैंपल की जांच की गई। उस वक्त महिला का ब्लड ग्रुप ‘बी’ पॉजिटीव निकला। इससे साफ है कि महिला का ब्लड ग्रुप ‘बी’ पॉजिटीव था जबकि उसे ‘ए’ पॉजिटीव ब्लड चढ़ा दिया गया।

आखिर कैसे पहुंचा गलत ब्लड ग्रुप
इस घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है कि इतनी बड़ी लापरवाही हुई कैसे? आखिर गलत ब्लड ग्रुप कैसे चढ़ाया गया? इसके पीछे दो थ्योरी हैं…
1. क्या सैंपल गलत था? : ब्लड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि उसके पास ‘ए’ पॉजिटीव का सैंपल आया और उसने ‘ए’ पॉजिटीव ब्लड ग्रुप का ही बैग थमाया। इसमें सवाल यह उठता है कि क्या ब्लड बैंक में गलत या किसी और मरीज का सैंपल पहुंचा था?
2. सैंपल जांचने में गड़बड़ हुई? : जानकारी के मुताबिक ब्लड बैंक तक तक सैंपल मरीज के परिजन ही लेकर गए थे। ब्लड ग्रुप क्या है, इसकी जांच लैब में ही होती है। यह यह सवाल खड़ा होता है कि क्या ब्लड बैंक में सैंपल की अदला-बदली हुई या जांचने में कोई गड़बड़ हुई। यह भी अभी सवाल बना हुआ है।

मामले में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन
एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस मामले में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में एसएमएस के एडिशनल प्रिंसिपल डॉ. आरके जैन, सलाहकार डॉ. दीपक माथुर, डॉ. अनिता सिमलोत, डॉ. देवराज आर्य, डॉ. प्रदीप मित्तल को शामिल किया गया है। कमेटी को पूरे मामले की जांच कर जल्द रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं।
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