US Pig Kidney Transplant Death Case; Richard Slayman | Massachusetts | अमेरिका में सूअर की किडनी लगवाने वाले शख्स की मौत: सर्जरी के 2 महीने बाद दम तोड़ा; डॉक्टर बोले- मौत की वजह किडनी नहीं
बॉस्टन, मैसाचुसेट्स6 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
तस्वीर 62 साल के रिचर्ड रिक स्लेमैन की है, जिनकी मौत हो गई।
अमेरिकी राज्य मैसाचुसेट्स में सूअर की किडनी वाले 62 साल के रिचर्ड रिक स्लेमैन की मौत हो गई। रिचर्ड को मार्च में जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर की किडनी लगाई गई थी। डॉक्टरों ने कहा था कि यह किडनी कम से कम 2 सालों तक रिचर्ड के शरीर में ठीक से काम कर सकती है।
जिस अस्पताल में ट्रांसप्लांट किया गया था, उसने बताया कि रिचर्ड की मौत की वजह सूअर की किडनी नहीं थी। ट्रांसप्लांट करने वाली टीम ने रिचर्ड की मौत पर दुख जताया है। रिचर्ड ऐसे पहले शख्स थे, जिनके शरीर में सूअर की किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी। इससे पहले सूअर की किडनी को सिर्फ ब्रेन-डेड व्यक्ति के शिरीर में ट्रांसप्लांट किया गया था।
नर्स के हाथ में मौजूद डिब्बे में सुअर की किडनी है। 2 महीने पहले यह 62 साल के रिचर्ड को लगाई गई थी।
सुअर का दिल भी ट्रांसप्लांट किया जा चुका
वहीं 2 व्यक्तियों को सूअर का दिल भी लगाया जा चुका है। हालांकि, सर्जरी के कुछ महीनों बाद ही उनकी मौत हो गई थी। रिचर्ड का पहला किडनी ट्रांसप्लांट साल 2018 में हुआ था। हालांकि, वह किडनी भी फेल हो गई थी और उन्हें दोबारा डायलिसिस करवानी पड़ी थी।
कुछ समय बाद डायलिसिस में भी काफी दिक्कतें आने लगीं, जिसके बाद डॉक्टरों ने सूअर की किडनी लगाने का सुझाव दिया। रिचर्ड की मौत के बाद उनके परिजनों ने ट्रांसप्लांट करने वाली टीम का शुक्रिया अदा किया है।
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की वजह से हमें रिचर्ड के साथ कुछ और समय बिताने को मिला। रिचर्ड इस सर्जरी के लिए तैयार हुए थे ताकि दुनियाभर में उनके जैसे दूसरे मरीजों को जीने की एक नई उम्मीद मिल सके।
रिचर्ड की सर्जरी के एक महीने बाद अप्रैल में न्यू जर्सी की लीजा पिसानो नाम की महिला को भी जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर की किडनी लगाई गई थी। इसके अलावा उसे मकैनिकल पंप भी लगाया गया था, जिससे उसका दिल धड़कता रहे।
तस्वीर में लीजा पिसानोन (दाएं) अपनी बेटी के साथ दिख रही हैं। अप्रैल 2024 में उन्हें भी सूअर की किडनी लगाई गई थी।
सूअर की किडनी को इंसान के शरीर के लायक कैसे बनाया गया
सूअर की जीन्स में ग्लाइकोन नाम का एक शुगर मॉलिक्यूल होता है, जो इंसानों में नहीं होता है। इस शुगर मॉलिक्यूल को हमारी बॉडी एक फॉरेन एलिमेंट की तरह ट्रीट करती है और इसे रिजेक्ट कर देती है। इस वजह से इससे पहले जब भी किडनी ट्रांसप्लांट करने की कोशिश की गई, वो फेल हो गई।
वैज्ञानिकों ने इस समस्या से निपटने के लिए सूअर के जीन में पहले से ही बदलाव कर इस शुगर मॉलिक्यूल को निकाल दिया था। साथ ही जेनेटिक इंजीनियरिंग से सूअर के जीन्स में बदलाव कर किडनी का ट्रांसप्लांट किया गया।
अमेरिका में 1 लाख से ज्यादा लोगों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट का इंतजार
अमेरिका में फिलहाल लगभग 1.10 लाख लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर मामले किडनी ट्रांसप्लांट के हैं। अमेरिका में हर साल 6 हजार से ज्यादा मरीजों की मौत ऑर्गन ट्रांसप्लांट नहीं होने की वजह से हो जाती है।