Udaipur Maharaj Vishvaraj Singh Mewar Exclusive | City Palace Udaipur | Chittorgarh Fort | विश्वराज सिंह बोले- धूणी पर धोक मेरा कानूनी-सामाजिक अधिकार: हजारों जाते हैं, मेरे जाने से क्या नुकसान? सत्ता के दुरुपयोग की बातें सरासर गलत – Rajasthan News
उदयपुर सिटी पैलेस में धूणी दर्शन को लेकर हुए विवाद के बाद पहली बार विश्वराज सिंह मेवाड़ कैमरे के सामने आए। दैनिक भास्कर से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सिटी पैलेस में धूणी पर धोक देना मेरा सामाजिक और कानूनी अधिकार है। धूणी सिटी पैलेस के म्यूजियम में ह
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नाथद्वारा विधायक और पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह ने कहा- इस मामले में प्रशासन की सबसे ज्यादा ढील रही है। हमारी ओर से किसी भी प्रकार का विरोध नहीं किया गया। प्रशासन ने धूणी दर्शन करवाने के लिए रिसीवर नियुक्त किया। लेकिन इस बात को भी कई घंटे बीत चुके हैं। अभी तक उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
भास्कर : आपके राजतिलक पर विवाद होगा, क्या ये आपको पहले से आशंका थी? विश्वराज सिंह : कार्यक्रम तो यही था कि पैलेस में आकर धूणी के दर्शन कर वापस निकल जाऊं। धोक देकर आने में इतना बड़ा झगड़ा बढ़ जाएगा और क्यों बढ़ा इसका मुझे पता नहीं था। ऐसा होना नहीं चाहिए था।
भास्कर : प्रॉपर्टी विवाद कोर्ट में चल रहा है, फिर ये विवाद सरेराह कैसे आ गया। पूर्व राजपरिवार के बीच खींचतान के कारण क्या हैं? विश्वराज सिंह : मुझे पता नहीं मना क्यों किया गया। धोक देने से रोकना कानून की नजर से, सामाजिक नजर से या रीति रिवाज से देखें तो गलत है। लोगों को यह महसूस हुआ कि मेरे साथ यह गलत हो रहा है। शायद इसलिए इतनी संख्या में खड़े हो गए। वहां जाने से मना क्यों किया अब यह तो वहीं बताएंगे, जवाब तो वही देंगे।
कानूनी झगड़ा तो 1982 में शुरू हुआ। उसके बाद तो कई सालों तक पैलेस में अलग-अलग जगह आता-जाता रहा हूं…1989 तक। जहां धूणी है, वहां म्यूजियम चल रहा है। वहां दुनियाभर के लोग आते हैं। मेरे जाकर आने में परेशानी इतनी क्यों हुई, इसका जवाब तो वो जगह जिनके कंट्रोल में है वही देंगे, मैं नहीं दे सकता।
भास्कर : अरविंद सिंह मेवाड़ और लक्ष्यराज के समर्थकों के आरोप हैं कि आपने जानबूझकर मामले को कानूनी रूप दे दिया गया? आप कब्जा हटाकर सरकार के प्रतिनिधि को बैठाना चाहते थे? विश्वराज सिंह : सबसे पहले मैं जानना चाहता हूं कि आपने क्या अरविंद सिंह से बात की है……(रिपोर्टर ने जवाब देते हुए कहा- नहीं, हमें यह बातें दूसरे पक्ष के समर्थकों ने कही है)….तो अब मैं बताता हूं….अरविंद सिंह ने जो कोर्ट में सब्मिशन दी है….एज ए एग्जीक्यूटर ऑफ विल ऑफ लेट महाराणा भगवत सिंह जी, अब यह तो कानून है कि वसीयत के बारे में सिर्फ एग्जीक्यूटर ही बात कर सकता है या उनका वकील बात करेगा।
जहां तक जिन समर्थकों की आप बात कर रहे हैं, वो सिर्फ उनकी बातें हैं। अभी तक एग्जीक्यूटर (अरविंद सिंह) सामने नहीं आए हैं? लोग जो बातें कर रहे हैं कि उन्होंने कहा है लेकिन मैं पूछ रहा हूं एग्जीक्यूटर कहां है? पहले वह बताएं, बताने वाला तो सही आदमी होना चाहिए। जो ऑब्जेक्शन कर रहा है वह खुद बोले।
भास्कर : कुछ लोग यह भी आरोप लगा रहे हैं कि आप सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक हैं और आपकी पत्नी सांसद हैं। सरकार ने भी आपका साथ दिया? विश्वराज सिंह : यह गलत आरोप है। पहले से कानूनी प्रक्रिया चल ही रही है। और फिर धोक देकर आने में क्या फायदा होता है या कोई कानूनी नुकसान? यह तो पूरी बेतुकी बात है। इसमें मुझे लीगली क्या फायदा है।
भास्कर : अब प्रशासन का क्या रुझान है? विश्वराज सिंह : प्रशासन की तरफ से तो ढील रही है। एक तो यह मेरा राइट बनता है अंदर जाकर धूणी पर धोक देना। मेरे जो अधिकार हैं वह प्रशासन पूरे नहीं करवा पा रहा है। दूसरा जो रिसीवर नियुक्त करने का रास्ता निकाला है, उसे भी पूरा नहीं किया जा रहा है। मंगलवार का पूरा दिन निकल गया है नोटिस लगाए। आगे की कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिन लोगों ने पथराव किया है, उनके खिलाफ मेरे जानकारी में कोई कार्रवाई नहीं है।
भास्कर : आप क्या मानते हैं कि राजतिलक की परंपरा अधूरी रही? क्योंकि परंपरा के अनुसार, राजतिलक के बाद एकलिंगजी और धूणी माता के दर्शन नहीं कर पाए? विश्वराज सिंह : असल में धूणी जो है, वो सिटी पैलेस के अंदर है। जैसे घर के अंदर। जब मन चाहे आप धोक दे सकते हैं। खास दिन होंगे, जब आप जाएंगे ही? अब तो यही रस्ता है। प्रशासन ने कहा है पजेशन लेकर फिर शायद दर्शन हो पाएंगे। जितनी जल्दी हो सके बेहतर है। जहां तक एकलिंग जी की बात है तो वहां तो जाना ही है।
भास्कर : अब आगे की आपकी क्या योजना रहेगी? राजतिलक की अधूरी परम्परा को पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे? विश्वराज सिंह : जहां तक धूणी पर धोक लगाने की बात है तो आज के दिन तो कलेक्टर को मैंने कहा है कि आप जल्द ही कोई कदम उठाइए। आपने जो डिसीजन लिया है, उस पर कायम रहिए। एकलिंग जी की बात रही तो वहां बुधवार को जाएंगे।
भास्कर : क्या विवाद को सुलझाने के लिए अपने चाचा जी और परिवार से बात की आपने? विश्वराज सिंह : नहीं कोई बात नहीं हुई। जैसे कि इस छोटी सी बात पर विवाद ही क्यों पैदा हुआ? और बातचीत तो नहीं है।
क्या है विवाद?
उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ को गद्दी पर बैठाने की परंपरा 25 नवंबर को निभाई गई। चित्तौड़गढ़ किले के फतह प्रकाश महल में दस्तूर (रस्म) कार्यक्रम के दौरान सलूंबर के रावत देवव्रत सिंह ने तलवार से अपने अंगूठे में चीरा लगाकर खून से तिलक किया।
विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक की रस्म के बाद परंपरा के तहत वह सिटी पैलेस में धूणी के दर्शन करने जा रहे थे। इस दौरान महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई और विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार ने परंपरा निभाने से रोकने के लिए उदयपुर के सिटी पैलेस (रंगनिवास और जगदीश चौक) के दरवाजे बंद कर दिए।
पथराव के बाद मौके पर माहौल गर्मा गया। पथराव में कुछ लोगों के चोट भी लगी है।
विश्वराज सिंह मेवाड़ अपने समर्थकों के साथ सिटी पैलेस के रास्ते में लगे बैरिकेड्स हटाते हुए जगदीश चौक तक पहुंचे, लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रास्ता रोक दिया। महल में जाने की अनुमति नहीं मिलने पर विश्वराज मेवाड़ के समर्थकों ने पुलिस का घेरा तोड़ दिया और महल के गेट तक पहुंच गए। कुछ समर्थक दीवार पर चढ़ गए। इस दौरान महल के अंदर से पत्थर और कांच के बोतलें फेंकी गई, जिसमें 3-4 लोगों को चोट लगी। (CLICK कर पूरा पढ़ें)