कोटा सेंट्रल जेल से एक गंभीर खबर सामने आई है, जहां महज 24 घंटे के भीतर दो कैदियों की मौत हो गई। दोनों ही कैदी गंभीर आपराधिक मामलों हत्या और दुष्कर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। जेल प्रशासन का कहना है कि दोनों की मौत बीमारी के चलते हुई, जबकि एक मृतक के परिजनों ने जेल स्थानांतरण के बाद अचानक बिगड़ी हालत पर संदेह जताते हुए न्यायिक जांच की मांग की है। दोनों मामलों में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया गया है और जांच की जा रही है।
नरेश यादव की मौत पर परिजनों ने जताई शंका
जेल प्रशासन के अनुसार, कैदी नरेश यादव हत्या और आर्म्स एक्ट के मामले में दोषी था। उसे 21 मई को बारां जेल से कोटा सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया था। 25 मई को अचानक उसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे कोटा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जेलर धारा सिंह ने बताया कि घटना की पूरी जानकारी एक रिपोर्ट के रूप में तैयार की जा रही है, और पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से करवाया गया है।
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हालांकि नरेश यादव के परिजनों ने जेल प्रशासन के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब नरेश को बारां से कोटा जेल शिफ्ट किया गया था, तब वह पूरी तरह स्वस्थ था। उसे किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं थी। परिजनों ने आशंका जताते हुए इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है।
एक दिन पहले ही दुष्कर्म के आरोपी की भी मौत
इस घटना से एक दिन पहले ही एक और कैदी गोपाल लाल की मौत हो चुकी थी। गोपाल लाल झालरापाटन निवासी था और दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा था। उसकी भी अचानक तबीयत बिगड़ने पर एमबीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हुई।
जेल प्रशासन के अनुसार, गोपाल लाल लंबे समय से बीपी, हाइपरटेंशन और शुगर जैसी बीमारियों से पीड़ित था। इससे पहले भी वह 26 मार्च से एक अप्रैल तक कोटा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती रह चुका था। गोपाल लाल की मौत के बाद भी उसका पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से करवाया गया।
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जेल प्रशासन की सतर्कता पर उठे सवाल
लगातार दो कैदियों की मौत ने कोटा सेंट्रल जेल की चिकित्सा व्यवस्था और निगरानी प्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर जहां जेल प्रशासन बीमारी को मौत का कारण बता रहा है, वहीं परिजन इसकी स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।