तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने मंगलवार को ऐलान किया कि उन्होंने नए संविधान के मसौदे पर काम शुरू करने के लिए 10 कानूनी विशेषज्ञों की टीम नियुक्त की है। एर्दोआन का कहना है कि मौजूदा संविधान 1980 की सैन्य तख्तापलट के बाद बना था और अब वह पुराना हो गया है। इसलिए देश को एक नया, नागरिक और लोकतांत्रिक संविधान चाहिए।
हालांकि, विपक्ष और आलोचक मानते हैं कि यह कदम 2028 के बाद भी एर्दोआन के सत्ता में बने रहने की कोशिश हो सकता है। मौजूदा संविधान के अनुसार, एर्दोआन अब दोबारा राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ सकते, जब तक कि समय से पहले चुनाव न हों या कानून न बदला जाए।
बता दें कि राष्ट्रपति एर्दोगन साल बीते 2014 से तुर्किये के राष्ट्रपति हैं और उससे पहले एक दशक तक प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि हम 23 वर्षों से नए, नागरिक और स्वतंत्र संविधान की इच्छा दोहराते आ रहे हैं।
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संसद में समर्थन की कमी
एर्दोआन की पार्टी और उसके राष्ट्रवादी सहयोगियों के पास संसद में इतना बहुमत नहीं है कि वे अकेले नया संविधान ला सकें। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि सरकार कुर्द विद्रोही संगठन पीकेके के साथ चल रही दशकों पुरानी लड़ाई खत्म कर, कुर्द समर्थक पार्टी का समर्थन हासिल करना चाहती है ताकि संविधान संशोधन का रास्ता साफ हो।
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विरोधी नेता की गिरफ्तारी बनी चिंता का कारण
गौरतलब है कि यह घटनाक्रम उस समय सामने आया है जब हाल ही में इस्तांबुल के लोकप्रिय मेयर और एर्दोआन के बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी एकरेम इमामओग्लू को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया। विपक्ष ने इस गिरफ्तारी को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है। इमामओग्लू की गिरफ्तारी के बाद देशभर में प्रदर्शन और आलोचनाएं हो रही हैं। लोग इसे तुर्किये में लोकतंत्र की गिरावट का संकेत मान रहे हैं।