Published On: Sat, Dec 14th, 2024

Tuberculosis: डराने वाले अनुमान; भारत में TB के 6.2 करोड़ नए मामले आ सकते हैं, 146 अरब डॉलर का नुकसान भी होगा


Study estimates over 62m tuberculosis cases, 8m related deaths in India during 2021-2040

भारत में टीबी से 80 लाख मौतों का अंदेशा
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


भारत के टीबी के बढ़ते मामले लगातार सिर का दर्द बन चुका है। भारत में आने वाले समय में 2021- 2040 के बीच 6.2 करोड़ नए तपेदिक के मामले आने और इससे 80 लाख लोगों की मौत होने का अनुमान है। इस वजह से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी लगभग 12 लाख करोड़ रुपये (146 अरब डॉलर) से अधिक का नुकसान होने का अंदेशा है। प्लोस मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।

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शोध में खुलासा

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन यूके के सहित अन्य शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस वजह से गरीब घरों में सेहत संबधी परेशानियों का बोझ बढ़ेगा तो वहीं अमीर घरों को आमदनी से जुड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा। तपेदिक यानी टीबी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। यह हवा के जरिए फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने, छींकने और बोलने से यह बैक्टीरिया हवा में फैलता है। शुरुआती दौर में यह बीमारी फेफड़ों पर असर डालती है, लेकिन हालात तब घातक हो जाते हैं, जब यह बीमारी शरीर के अन्य अंगों को भी अपना शिकार बना लेती है। बीमारी के सामान्य लक्षणों में लगातार खांसी, सीने में दर्द, बुखार और थकान शामिल हैं।

पहचान और इलाज से सुधर सकते हैं हालात

अभी भारत में केवल 63 फीसदी टीबी मामलों का पता चल पाता है। अगर देश विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश के मुताबिक, 90 फीसदी मामलों का पता लगाने और इलाज देने में कामयाब होता है तो टीबी के मामले और मौतों में 75-90 फीसदी तक की कमी लाई जा सकती है। इसके साथ अर्थव्यवस्था को 120 अरब डॉलर तक के नुकसान से बचाया जा सकता है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण का किया इस्तेमाल

शोध में विश्लेषण

शोधकर्ताओं ने विश्लेषण के लिए एक मॉडल विकसित किया। इसके जरिये भारत में तपेदिक के बड़े पैमाने पर आर्थिक, स्वास्थ्य और जनसांख्यिकीय असर को एक साथ कैप्चर किया। विश्लेषण के लिए शोधकर्ताओं ने भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के 2015-16 आंकड़ों का इस्तेमाल किया और 20 सालों के दौरान टीबी के स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभावों का अनुमान लगाया।

अधिक निवेश की है दरकार

2000 के बाद टीबी से लड़ने के लिए फंडिंग बढ़ी है, लेकिन यह अभी भी जरूरत से बहुत कम है। अध्ययन में टीबी के मामलों का जल्दी पता लगाने और इलाज में बेहतरी के लिए अधिक निवेश की जरूरत बताई गई है। खासकर दवा प्रतिरोधक टीबी के लिए जो कुप्रबंधित और खराब इलाज वाले रोगियों में पनपता है।

टीबी से निपटने के लिए 95 फीसदी असरदार पैन-टीबी इलाज को लागू करना प्राथमिकता होनी चाहिए। अगर भारत टीबी का जल्दी पता लगाने और प्रभावी इलाज पर अधिक निवेश करता है, तो लाखों जानें बचाई जा सकती हैं, बीमारी कम की जा सकती है और अरबों डॉलर का नुकसान रोका जा सकता है।

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