Published On: Wed, Jun 4th, 2025

The help received during the Corona period is gathering dust | कोरोना में जिंदगी बचाने वाले ऑक्सीजन प्लांट पर लटके ताले: राजस्थान के सबसे बड़े SMS हॉस्पिटल में 11, लेकिन 2 ही चालू, भास्कर पड़ताल में चौंकाने वाली तस्वीरें – Rajasthan News


कोरोना महामारी के सबसे खतरनाक दौर में ऑक्सीजन की किल्लत ने हाहाकार मचा दिया था। आलम ये था कि ऑक्सीजन नहीं मिलने से कई लोगों ने दम तोड़ दिया था। तब ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए सरकारी खर्च और निजी सहायता से अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए थे।

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अब एक बार फिर कोरोना तेजी से फैल रहा है। रोज मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। ऐसे में भास्कर टीम ने जान बचाने के लिए सबसे जरूरी ‘ऑक्सीजन प्लांट’ की पड़ताल की। इस दौरान चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई। ज्यादातर ऑक्सीजन प्लांट बंद मिले। पढ़िए ये रिपोर्ट…

अलग-अलग लेयर पर ऑक्सीजन की व्यवस्था महामारी के दौरान ऑक्सीजन की किल्लत दूर करने के लिए अलग-अलग चिकित्सा संस्थानों में 525 ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट स्थापित किए गए थे। इन प्लांट को PSA यानि Pressure Swing Adsorption ऑक्सीजन प्लांट भी कहा जाता है। पीएसए प्लांट की खासियत होती है कि वो हवा से ही ऑक्सीजन बना लेता है। ये प्लांट मेडिकल कॉलेजों से जुडे अस्पतालों, जिला अस्पतालों, उप जिला अस्पतालों और कुछ बड़े सीएचसी पर स्थापित किए गए।

प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हाल ही में बाड़मेर हॉस्पिटल में बंद पड़ा ऑक्सीजन प्लांट ठीक करने के निर्देश दिए गए थे।

प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हाल ही में बाड़मेर हॉस्पिटल में बंद पड़ा ऑक्सीजन प्लांट ठीक करने के निर्देश दिए गए थे।

प्रदेश के बड़े अस्पतालों में 46 से ज्यादा एलएमओ यानि लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट भी स्थापित किए गए। एलएमओ प्लांट में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन भरी जाती है। अलग-अलग प्लांट लगाने की मंशा ये थी कि अगर कोई प्लांट काम न करे तो बैकअप मौजूद हो।

इसके अलावा पीएचसी स्तर तक 40 हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए गए। ये एक तरह के पोर्टेबल मशीन होती है, जो ऑक्सीजन बनाती है। ‘डी’ टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर की भी व्यवस्था भी की गई थी।

भास्कर की पड़ताल में क्या सामने आया? बढ़ते कोरोना केस पर चिकित्सा मंत्री ने अधिकारियों को आवश्यक इंतजाम रखने के निर्देश दिए थे। ऐसे में स्वास्थ्य महकमे की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ ने प्रदेश में विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट्स की नियमित मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने यह दावा किया कि सभी प्लांट फंक्शनल हैं।

इन तैयारियों की हकीकत जानने के लिए हमने अपनी पड़ताल की शुरुआत प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस हॉस्पिटल (जयपुर) से की। एसएमएस हॉस्पिटल में 11 पीएसए प्लांट लगाए गए थे। हमें इनमें से महज दो ही चालू कंडीशन में मिले। बाकी प्लांट्स पर या तो ताले लगे थे या वे कबाड़ की स्थिति में थे।

यह प्लांट एसएमएस हॉस्पिटल के मेन पोर्च में लगा है, जो बंद पड़ा है।

यह प्लांट एसएमएस हॉस्पिटल के मेन पोर्च में लगा है, जो बंद पड़ा है।

1. एसएमएस हॉस्पिटल के मुख्य पोर्च में लगा PSA प्लांट : एसएमएस हॉस्पिटल के मुख्य द्वार के पास लगा पीएसए प्लांट बंद पड़ा मिला। चारों तरफ लोहे की चादरों से ढके इस प्लांट से किसी भी प्रकार से ऑक्सीजन जनरेट नहीं की जा रही है। अंप्लांट में धूल जमी है।

2. चरक भवन के पीछे स्थित पीएसए प्लांट पर ताला : एसएमएस अस्पताल परिसर में ही चरक भवन के पीछे स्थित पीएसए प्लांट पर तो ताला लगा था। प्लांट को देखकर लग रहा था कि काफी समय से ताला नहीं खुला है।

जेके लोन अस्पताल में लगा पीएसए प्लांट।

जेके लोन अस्पताल में लगा पीएसए प्लांट।

3. आईडीएच सेंटर में भी बंद मिला प्लांट : एसएमएस अस्पताल के आईडीएच सेंटर में भी पीएसए ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़ा मिला। पीएसए प्लांट ऐसा नजर आया जैसे कबाड़ का सामान रखा हुआ हो।

4. जेके लोन अस्पताल में भी पीएसए प्लांट मिला बंद : प्रदेश में बच्चों के सबसे बड़े जेके लोन हॉस्पिटल में लगे प्लांट की भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी। कोरोना महामारी के दौरान सबसे ज्यादा अफरा-तफरी यहीं थी। लेकिन अस्पताल परिसर में पीछे की ओर स्थापित पीएसए प्लांट पर ताला लटका मिला। यानी यह बंद पड़ा था।

एसएमएस अस्पताल के आईडीएच सेंटर में भी पीएसए ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़ा मिला।

एसएमएस अस्पताल के आईडीएच सेंटर में भी पीएसए ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़ा मिला।

5. कांवटिया में लगा पीएसए प्लांट, अभी तक अस्पताल के पास नियंत्रण नहीं : राजधानी के शास्त्री नगर स्थित कांवटिया अस्पताल में कोरोना काल में पीएसए प्लांट स्थापित किया गया था। लेकिन अस्पताल प्रशासन को अब तक प्लांट हैंडओवर नहीं किया गया है। जानकारी के मुताबिक, ये ऑक्सीजन प्लांट भी काम नहीं कर रहा है। अस्पताल प्रशासन सिलेंडर के जरिए ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है।

जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में लगा LMO प्लांट। यह चालू हालत में है।

जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में लगा LMO प्लांट। यह चालू हालत में है।

अस्पताल प्रशासन बोला- 9 पीएसए प्लांट रिपेयर मोड में एसएमएस अस्पताल के कार्यवाहक अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी ने बताया कि कोरोना से पहले केवल सिलेंडर से ऑक्सीजन की सप्लाई होती थी। कोरोना के बाद 20 केएल क्षमता के 3 एलएमओ प्लांट स्थापित किए गए थे। हमारे यहां पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है। कोरोना काल में सरकारी एजेंसी और दानदाताओं ने पीएसए प्लांट भी डोनेट किए थे। उस वक्त पीएसए प्लांट काम आए थे, लेकिन अभी एलएमओ प्लांट ही काम आ रहे हैं।

हालांकि दो-तीन पीएसए प्लांट भी काम आ रहे हैं। उनको हम बैकअप के रूप में ही इस्तेमाल कर रहे हैं। वर्तमान में सरकार के आदेशों के बाद फिर से पीएसए प्लांट को सुचारू करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि छोटे अस्पतालों में पीएसए प्लांट सफल रहते हैं। बड़े अस्पतालों में पीएसए प्लांट सफल नहीं होते हैं। अगर पीएसए प्लांट को लगातार उपयोग में लेते हैं तो ऑक्सीजन की प्योरिटी कॉम्प्रोमाइज हो जाती है।

जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. कैलाश मीणा ने बताया कि यहां ऑक्सीजन सप्लाई के लिए थ्री लेयर व्यवस्था है। एक एलएमओ के अलावा 2 पीएसए और सिलेंडर की भी व्यवस्था है। दोनों पीएसए प्लांट चालू हैं, लेकिन अस्पताल में एलएमओ से ही ऑक्सीजन की पूरी आपूर्ति हो जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि जहां आवश्यकता है वहां पर पीएसए प्लांट का उपयोग किया जा रहा है। चूंकि अभी ऑक्सीजन की इतनी जरूरत नहीं है। ऑक्सीजन की डिमांड के अनुसार ये प्लांट चलाए जाते हैं। सभी प्लांट फंक्शनल हैं।

एक्सपर्ट बोले- उपयोग नहीं होने पर हो जाएंगे कबाड़ पीएसए प्लांट की खासियत ये है कि हवा से ही ऑक्सीजन बना लेता है। एक प्लांट लगाने में खर्चा ऑक्सीजन बनाने की क्षमता के अनुसार 20 लाख से लेकर 70 लाख रुपए आता है। ज्यादातर पीएसए प्लांट कई सालों से बंद पड़े हैं। कुछ अस्पतालों में तो अब तक हैंडओवर ही नहीं हुए हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि हर चीज की एक्सपायरी डेट होती है। ऐसे में इन प्लांट्स का भी इस्तेमाल नहीं हुआ तो ये कबाड़ में ही तब्दील हो जाएंगे।

कुछ सवाल और उनके जवाब

सवाल : प्लांट बनाने में खर्च कितना खर्च आता है?

जवाब : यह पीएसए प्लांट की क्षमता पर निर्भर है। एक प्लांट पर करीब 20 लाख से करीब 70 लाख रुपए तक खर्च आता है।

सवाल : एलएमओ और पीएसए प्लांट की क्या खूबियां या खामियां हैं?

जवाब : एलएमओ 100 फीसदी प्योर ऑक्सीजन देता है, जबकि पीएसए प्लांट 90 से 92% के आसपास शुद्ध ऑक्सीजन देने में सक्षम होते हैं।

सवाल : पीएसए प्लांट के लगातार उपयोग से ऑक्सीजन की शुद्धता में कोई कमी आती है, ये बात कितनी सही है?

जवाब : पीएसए प्लांट से लगभग 90 फीसदी शुद्ध ऑक्सीजन मिलने की संभावना होती है। पीएसए के लगातार उपयोग से करने से ऑक्सीजन की क्वालिटी में कुछ कमी आती है। हालांकि पीएसए प्लांट को लगातार चलाने के खर्चे भी हैं।

सवाल : पीएसए प्लांट का लंबे समय तक इस्तेमाल न होने पर क्या नुकसान होते हैं?

जवाब : सभी चीजों की एक्सपायरी होती है। पीएसए प्लांट की भी एक्सपायरी होती है।

कितने बड़े पैमाने पर पीएसए प्लांट स्थापित किए गए थे, जानिए डायरेक्ट हवा से ऑक्सीजन बनाने वाले प्लांट को अब भले ही बैकअप प्लान के रूप में दिखाया जा रहा हो। लेकिन महामारी के दौरान प्रदेशभर में सरकार और दानदाताओं की मदद से भारी संख्या में पीएसए प्लांट स्थापित किए गए थे। कुल 525 पीएसए प्लांट में सबसे ज्यादा 48 प्लांट राजधानी जयपुर में लगाए गए थे।

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