तेलंगाना में पूर्ववर्ती भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की सरकार के दौरान कालेश्वरम सिंचाई परियोजना में कथित अनियमितताओं की न्यायिक जांच तेज हो गई है। बुधवार को बीआरएस अध्यक्ष और पूर्व सीएम के चंद्रशेखर राव (केसीआर) की न्यायिक आयोग के सामने पेशी हुई। वे सुबह 11 बजे के बाद आयोग के कार्यालय पहुंचे। इस दौरान बीआरएस के कई नेता और कार्यकर्ता बीआरएस भवन में एकत्र हुए। यहां पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे।
आयोग पिछले लगभग एक साल में अनेक इंजीनियरों और अन्य अधिकारियों, विशेषकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है। इससे पहले नौ जून को केसीआर के भतीजे और बीआरएस विधायक टी हरीश राव और छह जून को भाजपा सांसद एटाला राजेंद्र से आयोग ने पूछताछ की थी।
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तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन उत्तम कुमार रेड्डी ने हाल ही में कहा था कि राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित कालेश्वरम परियोजना को देश की सबसे बड़ी मानव निर्मित आपदा करार दिया है।
क्या है कालेश्वर परियोजना
बता दें कि कालेश्वरम परियोजना तत्कालीन अविभाजित आंध्र प्रदेश राज्य द्वारा तैयार की गई डॉ. बी आर अंबेडकर प्राणहिता-चेवेल्ला सुजला श्रवणथी लिफ्ट सिंचाई योजना (पीसीएसएस परियोजना) की एक शाखा है। पिछले साल तेलंगाना की कालेश्वरम परियोजना पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने निराशाजनक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें कहा गया है कि यह शुरू से ही आर्थिक रूप से किसी भी काम की नहीं थी। इसमें भारी लागत वृद्धि, ठेकेदारों को मिलने वाले संभावित अनुचित लाभ और इसमें शामिल खराब योजना का विवरण दिया गया है।
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सीएजी ने पाया कि यह परियोजना शुरू से ही आर्थिक रूप से अलाभकारी थी। खासकर पिछले साल मेदिगड्डा बैराज के कुछ घाटों के डूबने के बाद कालेश्वरम परियोजना विवादों में घिर गई है। राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) ने भी माना था कि मेडीगड्डा बैराज गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। जब तक इसे पूरी तरह से पुनर्निर्मित नहीं किया जाता तब तक यह बेकार हो जाएगा। हाल के विधानसभा चुनावों में बीआरएस की हार का एक बड़ा कारण बैराज को हुए नुकसान को माना जा रहा है।