Published On: Sun, Jun 1st, 2025

Tej Pratap Yadav: ‘…मेरे साथ राजनीति करने वाले कुछ जयचंद जैसे लालची लोग’, तेज प्रताप यादव के निशाने पर कौन?


राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने रविवार को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए खुद को सियासी साजिशों का मारा बताया। उन्होंने माइक्राब्लॉगिंग साइट ‘एक्स’ पर लिखे पोस्ट में कुछ ‘जयचंद जैसे लालची लोगों’ पर निशाना साधा। हालांकि, उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन सियासी गलियारे में तमाम नामों की चर्चा शुरू हो गई है। सभी अपने-अपने अनुमानों के हिसाब से अपने-अपने दावे कर रहे हैं।

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पहले जानते हैं कि तेज प्रताप ने लिखा क्या…

तेज प्रताप सुबह-सुबह पांच बजकर 27 मिनट में ‘एक्स’ पर एक भावुक पोस्ट किया। इसमें उन्होंने अपने पिता और मां के लिए अपने प्यार और सम्मान का इजहार किया, जबकि अपने खिलाफ राजनीति करने वालों को भी सख्त संदेश दिया। उन्होंने लिखा, ‘मेरे प्यारे मम्मी पापा… मेरी सारी दुनिया बस आप दोनों में ही समाई है। भगवान से बढ़कर है आप और आपका दिया कोई भी आदेश। आप है तो सब कुछ है मेरे पास। मुझे सिर्फ आपका विश्वास और प्यार चाहिए न कि कुछ और। पापा आप नहीं होते तो न ये पार्टी होती और न मेरे साथ राजनीति करने वाले कुछ जयचंद जैसे लालची लोग। बस मम्मी पापा आप दोनों स्वस्थ और खुश रहे हमेशा।’

तेज प्रताप ने भाई को नसीहत भी दी

तेज प्रताप ने छोटे भाई के लिए लिखा, ‘मेरे अर्जुन से मुझे अलग करने का सपना देखने वालों, तुम कभी अपनी साजिशों में सफल नही हो सकोगे, कृष्ण की सेना तो तुम ले सकते हो, लेकिन खुद कृष्ण को नहीं। हर साजिश को जल्द बेनकाब करूंगा। बस मेरे भाई भरोसा रखना। मैं हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ हूं, फिलहाल दूर हूं, लेकिन मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ था और रहेगा। मेरे भाई मम्मी-पापा का ख्याल रखना, जयचंद हर जगह है अंदर भी और बाहर भी।’

तेज प्रताप यादव ने ‘जयचंद’ किसे कहा? 

तेज प्रताप यादव ने अपने ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारों-इशारों में उन्होंने कई लोगों को निशाने पर लिया। राजनीतिक जानकारों की मानें तो तेज प्रताप का निशाना शुरू से ही उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव के करीबी और राज्यसभा सांसद संजय यादव पर रहा है। इससे पहले भी कई मौकों पर तेज प्रताप ने संजय यादव के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई है। चार साल पहले जब राजद युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के पद से आकाश यादव को हटाया गया तो तेज प्रताप यादव ने पहले राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और फिर संजय यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उस वक्त तेज प्रताप यादव ने यहां तक कह दिया था कि पार्टी में हमारे विरोधी हमारी हत्या भी करा सकते हैं। इसके बाद संजय यादव पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा था कि हरियाणा का आदमी लालू परिवार और राजद में मतभेद पैदा कर सकता है। इस बयान के बाद भी तेज प्रताप कई जगह बिना नाम लिए अपने भाई के करीबी पर हमला बोलते दिखे। अब आज जब फिर से तेज प्रताप ने ‘जयचंद’ शब्द का प्रयोग किया तो लोग इसे पुराने विवाद ही से जोड़कर देखने लगे हैं।

कुछ अटकलें ऐसी भी

बिहार की सियासत को करीब से जानने वाले लोगों का मानना है कि तेज प्रताप से जुड़े घटनाक्रमों की शुरुआत तभी हो गई थी, जब बड़े तेज प्रताप यादव (स्वास्थ्य मंत्रालय समेत अन्य जिम्मेदारी) को छोटा पद देकर छोटे तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद जब दोबारा मौका आया तो तेज प्रताप (पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) के पद में और कटौती कर दी गई, जबकि तेजस्वी दोबारा उपमुख्यमंत्री बने। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि अगर बिहार विधानसभा चुनाव इस साल नहीं होते तो शायद तेज प्रताप यादव पर कार्रवाई भी नहीं होती। चुनावी साल में तेजस्वी यादव के कद पर तेज प्रताप की बिगड़ती छवि से पड़ने वाले असर को देखते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

फायदे-नुकसान का गणित भी समझें

  • 24 मई यानी शनिवार को तेज प्रताप का एक युवती के साथ फोटो वायरल हुई। तेज प्रताप यादव के सोशल मीडिया से ही यह जारी हुई। दावा किया गया कि तेज प्रताप उस युवती के साथ लंबे समय से रिलेशन में हैं। ऐश्वर्या राय के साथ तेज प्रताप की तलाक की अर्जी कोर्ट में लंबित है। ऐसे में तेज प्रताप की छवि दिन-पर-दिन बिगड़ती ही जा रही थी।
  • इसके बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप को मर्यादा लांघने का दोषी मानकर पार्टी और परिवार से निष्कासित कर दिया। तेजस्वी ने कहा कि मुझे न यह सब अच्छा लगता है और न बर्दाश्त करते हैं।
  • इस फैसले के फायदे-नुकसान को देखें तो बिहार चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है। तेजस्वी के बयान पर राजनीतिक विश्लेषकों को मानना है कि बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर तेजस्वी यादव अपनी राह में किसी को नहीं आने देना चाहते। तेज प्रताप की छवि उनकी राह में रोड़ा बन सकती थी।
  • सियासी गलियारों में चर्चा है कि चुनावी साल के नफा-नुकसान को देखते हुए तेज प्रताप का राजद में बने रहना लालू-तेजस्वी के लिए घाटे का सौदा हो सकता था। हालांकि, पार्टी से अलग होकर अगर तेज प्रताप अलग पार्टी बना लें या फिर निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतर जाएं तो भी वे कुछ तो असर डाल सकते हैं, लेकिन इसका पता तो चुनावों के बाद ही चलेगा।

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