Taste: A legacy of taste in the streets of Jodhpur | पति-पत्नी की जोड़ी ने बनाई पंचमेवा कुल्फी: मां की रेसिपी से घर से शुरू हुआ सफर, 80 साल से लोगों का दिल जीत रहे कई फ्लेवर – Rajasthan News

सूर्य नगरी जोधपुर की हर गली में एक से बढ़कर एक जायके मिलते हैं। भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए खाने-पीने के शौकीन एक खास जायका चखने पहुंचते हैं। ये है मारवाड़ की पंचमेवा कुल्फी।
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दिन हो या देर रात, सोजती गेट पर 80 साल पुरानी शॉप पर इस कुल्फी का स्वाद चखने वालों की भीड़ लगती है। पति-पत्नी की जोड़ी ने मिलकर यह स्वाद लोगों तक पहुंचा रहे हैं। राजस्थानी जायका की इस सीरीज में आपको लेकर चलते हैं जोधपुर…
80 साल पुरानी विरासत
पंचमेवा कुल्फी के ओनर हिमांशु खंडेलवाल ने बताया कि इस दुकान की शुरआत 1945 में दादा ने की थी। पहले नमकीन बनाने का बिजनेस शुरू किया। धीरे-धीरे समय के साथ मिठाई, गजक, बेकरी का काम शुरू किया।
लेकिन असली पहचान पंचमेवा कुल्फी मिली। आज, तीसरी पीढ़ी के हिमांशु खंडेलवाल और उनकी पत्नी ऋतु खंडेलवाल इस विरासत को नए रंग और स्वाद दे रहे हैं।

जोधपुर में पंचमेवा की कुल्फी अपने आप में ब्रांड बन चुकी है।
घर की कुल्फी से शुरू हुआ सफर
ऋतु बताती हैं, ‘2003 में मेरी शादी हुई। यहां आइसक्रीम का स्वाद तो था, लेकिन मेरे मायके में जो कुल्फी बनती थी, वैसी बात नहीं थी। एक दिन मैंने मां की रेसिपी से घर पर ही कुल्फी बनाई और सबको खिलाई।
परिवार को इतना पसंद आई कि हर गर्मी में इसकी डिमांड बढ़ने लगी।’ हिमांशु खंडेलवाल आगे बताते हैं, ‘हमारे सोजती गेट स्थित प्रोविजन स्टोर पर अलग-अलग कंपनियों की आइसक्रीम बिकती थी।
लेकिन घर की बनी कुल्फी का स्वाद सबको इतना भाया कि 2007 में इसे व्यवसायिक रूप देने का फैसला किया। पांच किलो दूध से पहला बैच बनाया।
प्लास्टिक के सांचों में जमाया और दोस्तों-रिश्तेदारों को टेस्ट कराया। तारीफ इतनी मिली कि दो हफ्ते में ही दूध की मात्रा 20 किलो करनी पड़ी।’

यहां की पान कुल्फी से लेकर कई वैरायटी हैं, जिन्हें लोग ज्यादा पसंद करते हैं।
एक से चार फ्लेवर तक का सफर
पंचमेवा कुल्फी शुद्ध दूध की रबड़ी में पांच मेवों के मिक्स से तैयार की जाती है। शुरुआत में सिर्फ पंचमेवा कुल्फी ही बनाई जाती थी। लेकिन ग्राहकों की बढ़ती मांग और नए-नए प्रयोगों के चलते अब खंडेलवाल परिवार 4 फ्लेवर की कुल्फी बना रहा है।

कुल्फी के ये चार फ्लेवर काफी पसंद किए जाते हैं।
- पंचमेवा
- केसर पिस्ता
- गुलाब-गुलकंद
- पान कुल्फी
आगे बढ़ने से पहले देते चलिए आसान से सवाल का जवाब

रबड़ी और कुल्फी की खास रेसिपी
कुल्फी की असली जान है इसकी रबड़ी। गाय के दूध को ढाई घंटे तक धीमी आंच पर लगातार हिलाते हुए गाढ़ा कर रबड़ी के लच्छे तैयार करते हैं। फिर इसे ठंडा किया जाता है।
इसके बाद इसमें बारीक कटे काजू, बादाम, पिस्ता मिलाए जाते हैं। हर फ्लेवर के लिए अलग-अलग सामग्री- जैसे केसर, पिस्ता, गुलाब-गुलकंद या पान के पत्तों का पेस्ट-मिलाया जाता है।
तैयार मिश्रण को कुल्फी के सांचों में भरकर, स्टिक डालकर डीप फ्रीजर में जमाया जाता है। करीब आधे घंटे में कुल्फी तैयार हो जाती है।
इतना ही नहीं, इनमें न तो किसी भी तरह का कोई प्रिजर्वेटिव नहीं मिलाया जाता है और न ही आर्टिफिशियल कलर ही मिलाते हैं। इसमें तमाम सामग्री नेचुरल ही है।

हिमांशु खंडेलवाल और उनकी पत्नी ऋतु खंडेलवाल दोनों मिलकर इस जायका को रन करते हैं।
क्वालिटी पर खास ध्यान
हिमांशु बताते हैं, ‘हर रोज जितनी डिमांड है, उतनी कुल्फी नहीं बना पाते, क्योंकि हमारा पूरा फोकस क्वालिटी पर रहता है। हर बैच पूरी तरह हाइजनिक तरीके से तैयार होता है और पैकिंग में भी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है।’
आम के स्वाद की भी धूम
कुल्फी के अलावा मैंगो रबड़ी, मैंगो क्रीम और मैंगो लस्सी की भी जबरदस्त डिमांड है। इन सभी में उसी खास रेसिपी से बनी रबड़ी और हापुस आम का कॉम्बिनेशन इस्तेमाल किया जाता है।
गर्मियों में तो इनकी मांग इतनी बढ़ जाती है कि कई बार ग्राहकों को इंतजार करना पड़ता है। ऋतु खंडेलवाल खुद की निगरानी में कुल्फी तैयार करवाती हैं, ताकि ग्राहकों को वही शुद्धता और स्वाद मिले, जो उनकी पहचान है।
ग्राहकों की जुबां पर पंचमेवा कुल्फी
आज जोधपुर ही नहीं, आसपास के इलाकों से भी लोग सोजती गेट आकर पंचमेवा परिवार की कुल्फी का स्वाद चखते हैं। गर्मियों में तो रोजाना यहां आने वाले कई पुराने ग्राहक तो कहते हैं- “यह कुल्फी नहीं, बचपन की याद है।’

कुश गहलोत- यहां के फ्लेवर्स डिफरेंट हैं। मैं अक्सर मारवाड़ी कुल्फी खाता हूं, लेकिन आज केसर पिस्ता कुल्फी खाई है, जो ज्यादा अच्छी लगी। इसमें केसर का फ्लेवर और ड्राई फ्रूट भी है।
चंदन शर्मा- यूं तो मैं पिछले 10 साल से यहां कुल्फी खाने आ रहा हूं। आज मैंने इनका नया फ्लेवर ‘पान कुल्फी’ खाई, जिसे चखते ही ऐसा लगा जैसे हकीकत में पान के पत्ते के टेस्ट का ही अहसास करा रहा है।
सुदेश रूठिया- 10-15 साल से यहां आ रहा हूं। यहां की पंचमेवा कुल्फी का टेस्ट और क्वालिटी दूसरों से बेहतर है। यही वजह है कि जब भी पारिवारिक समारोह होता है, तो यहीं पर बुकिंग करता हूं।

अताउर रहमान मोदी- पान की कुल्फी का टेस्ट बेहतरीन है। ऐसा लग रहा है कि पान ही खा रहा हूं। ड्राई फ्रूट्स भी है इसमें। क्वालिटी के साथ ही साथ जितना पैसा लेते हैं, उसकी पूरी वसूली भी होती है।
यही वजह है कि पिछले कई वर्षों से यहां कुल्फी खाने आ रहा हूं। दयाल डंडवानी – काजू, गुलकंद का टेस्ट आ रहा है। पिछले 10-15 साल से आइसक्रीम खाने यहीं आ रहा हूं। यहां क्वालिटी से समझौता बिल्कुल भी नहीं किया जाता है, जो इन्हें सबसे अलग बनाता है।

बच्चों से लेकर हर उम्र के लोगों में कुल्फी खाने का क्रेज रहता है।
पिछले राजस्थानी जायका में पूछे गए प्रश्न का सही उत्तर

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