Supreme Court Orders Promotion Of Bikram Jung Thapa To Lieutenant Colonel – Amar Ujala Hindi News Live
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![Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बिक्रम जंग थापा को लेफ्टिनेंट कर्नल पदोन्नत करने के दिए आदेश Supreme Court orders promotion of Bikram Jung Thapa to Lieutenant Colonel](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2024/10/12/dajaina-fata_a40fc379e440ce56cf7f059a263b4822.jpeg?w=414&dpr=1.0)
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भारतीय सेना के अधिकारियों के एक वर्ग को 20 वर्ष बाद सर्वोच्च न्यायालय से न्याय मिला। इसके तहत अब चलामा बकलोह के बिक्रम जंग थापा लेफ्टिनेंट कर्नल बने हैं। इसके अलावा देश भरे के 204 सेवानिवृत्त अधिकारियों को लाभ मिला है। इन सभी अधिकारियों की उम्र 70 से 75 वर्ष के बीच है। सेवानिवृत्ति के इतने दिनों बाद पदोन्नति होने पर इन अधिकारियों ने रक्षा मंत्री और केंद्र सरकार का आभार प्रकट किया।
लेफ्टिनेंट कर्नल बिक्रम जंग थापा ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार सेना के मेजर के पद से सेवानिवृत्त अधिकारियों को जो सेवा के दौरान भारतीय सेना की ओर से गठित अजय विक्रम सिंह कमेटी की अनुशंसा के अनुसार लेफ्टिनेट कर्नल के पद पर पदोन्नति के लिए पात्र हैं। इतना ही नहीं, रक्षा मंत्रालय ने 16 दिसंबर 2004 को इसमें भारतीय सेना में लागू भी किया। दुर्भाग्यवश किसी तकनीकी त्रुटि के कारण रेजिमेंटल कमीशन अधिकारियों को इसका लाभ नहीं मिला।
इन अधिकारियों ने न्याय के लिए तत्कालीन सेना प्रमुख और रक्षा मंत्री के पास प्रार्थना पत्र के माध्यम से गुहार लगाई। जहां से इन्हें कहीं से न्याय नहीं मिला। ये अधिकारी धीरे-धीरे सेवानिवृत्त होते चले गए। वर्ष 2009 इसी वर्ग के कुछ अधिकारियों के एक बैच को सेना द्वारा अपनी गलती का एहसास होने पर स्पेशल लिस्ट कमीशन में परिवर्तित करके और इनकी सर्विस को बढ़ाकर लेफ्टिनेट कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया। इसके बाद मेजर रविन्द्र सिंह ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण कोलकाता में वाद दाखिल किया। यहां से 2011 में उनके पक्ष में फैसला आया। कुछ और अधिकारियों ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण लखनऊ और दिल्ली में वाद दाखिल किया। वहां से उनके पक्ष में फैसला आया।
रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के सभी आदेशों को लागू करने के बजाय 2013 में इन आदेशों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। अब सर्वोच्च न्यायालय ने रक्षा मंत्रालय की अपील को खारिज करते हुए आदेश दिया कि इन अधिकारियों को 16 दिसंबर 2004 से लेफ्टिनेट कर्नल के पद पर पदोन्नत करते हुए उन्हें पेंशन और एरियर सहित सभी लाभों का भुगतान 6 माह के भीतर किया जाए।