Published On: Thu, Jul 25th, 2024

Supreme Court: ‘खनिजों पर राज्यों को रॉयल्टी वसूलने का कानूनी अधिकार’, सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को झटका


States have legislative competence to impose taxes on mines minerals-bearing lands SC

सुप्रीम कोर्ट (फाइल)
– फोटो : एएनआई

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कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को झटका देते हुए कहा है कि राज्यों के पास संविधान के तहत खदानों और खनिज वाली भूमि पर रॉयल्टी वसूलने का विधायी (कानूनी) अधिकार है। नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत से फैसला सुनाया कि खनिजों के बदले दी जाने वाली रॉयल्टी कर नहीं है।

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प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी और पीठ के सात न्यायाधीशों की ओर से फैसला पढ़ते हुए कहा कि संसद के पास संविधान की सूची दो की प्रविष्टि 50 के तहत खनिज अधिकारों पर कर लगाने का अधिकार नहीं है। संविधान की सूची-II की प्रविष्टि 50 खनिज विकास से संबंधित नियमों और खनिज अधिकारों पर करों से संबंधित है। 

बहुमत के फैसले को पढ़ते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि शीर्ष अदालत की सात सदस्यीय संविधान पीठ का 1989 का फैसला गलत है जिसमें कहा गया था कि रॉयल्टी एक कर है। इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पीठ ने दो अलग-अलग फैसले दिये और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने इससे असहमति व्यक्त की। यमूर्ति नागरत्ना ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि राज्यों के पास खदानों और खनिजों वाली भूमि पर कर लगाने की विधायी क्षमता नहीं है।

पीठ ने इस बेहद विवादास्पद मुद्दे पर फैसला किया कि क्या खनिजों पर देय रॉयल्टी खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के तहत कर है, और क्या केवल केंद्र को इस तरह की वसूली करने की शक्ति है या राज्यों के पास भी अपने क्षेत्र में खनिज वाली भूमि पर लेवी लगाने का अधिकार है?

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति जार्ज मसीह शामिल हैं।

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