Published On: Fri, Dec 6th, 2024

Success Story: संघर्ष की अनोखी मिसाल हैं दिव्यांग नरसिंगराम, सरकारी नौकरी लेकर गाड़ा सफलता का झंडा, 5000 लोगों को दिलाया ट्राइ साइकिल



बाड़मेर. बीते दिनों विश्व भर में अंतराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया गया. विभिन्न आयोजनों के ज़रिए दिव्यांगों की हक की बातों को मुखरता से रखा गया. दिव्यांगों के संघर्षों की बात अब सभी लोग खुले मंच पर कर रहे हैं. आज भारत पाकिस्तान की सीमा पर बसे बाड़मेर के एक दिव्यांग की बात कर रहे हैं जो अपने अभाव और दिव्यांगता को खुद की ताकत बनाकर लोगों  के लिए नजीर बन गए हैं.

10 की उम्र में हुई बीमारी से चलना हुआ मुश्किल
नरसिंगराम जीनगर अब तक 5 हजार दिव्यांगों को सरकार की तरफ से ट्राई साइकिल दिला चुके हैं, वहीं  उनके तरफ से स्कूटी का आंकड़ा 200 पार है. वह खुद साहित्य के अच्छे जानकार हैं और इनकी दो काव्य पुस्तकें प्रिंटिंग में हैं. सिणधरी उपखण्ड क्षेत्र के गोलियां जीवराज निवासी नरसिंगराम जीनगर के पिता दिहाड़ी मजदूरी का काम करते है. महज 10 साल की उम्र में हुई एक बीमारी से नरसिगांराम के दोनों पैर कमजोर हो गए और चलना फिरना मुश्किल हो गया.

1990 में मिली पहली सरकारी नौकरी

दिहाड़ी मजदूरी करने वाले पिता के लिए महंगा इलाज करवाना सम्भव नहीं था. ऐसे में नरसिंगराम ने अपनी प्रारंभिक परीक्षा गोलियां जीवराज से पूरी की और फिर घर से 30 किलोमीटर दूर सिणधरी में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी की. इस दौरान उन्होंने ट्यूशन पढ़ाकर अपने रहने व खाने का प्रबंध किया. साल 1985 में उन्हें जब पहली बार ट्राइसाइकिल मिली तो बाड़मेर में रहकर बीकॉम की पढ़ाई पूरी की और साल 1990 में जिला एवं सत्र न्यायालय बालोतरा में कनिष्ठ लिपिक पद पर नियुक्ति मिलने से खुशी का कोइ ठिकाना ही नहीं रहा.

भजन गायन और कविता पाठ में है गहरी रुचि

नरसिंगराम ने अपनी पहली सफलता के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार तैयारी जारी रखा. इसके बाद साल 1993 में कोष कार्यालय में बतौर कनिष्ठ लेखाकार पद पर नियुक्ति हुई. नरसिंगराम भजन गायन और कविता पाठ में गहरी रुचि रखते हैं.

5 हजार दिव्यांग साथियों की सहायता 
2009 में कनिष्ठ लेखाकार फिर 2016 में सहायक लेखाधिकारी प्रथम के रूप में उनकी पद्दोन्नति हुई है. वह बताते हैं कि उन्होंने 5 हजार दिव्यांग साथियों के लिए ट्राई साइकिल, वैशाखी सहित अन्य उपकरण दिलाया है. इतना ही नहीं वह दिव्यांगों को अपने हक के लिए जागरूक भी कर रहे है.

FIRST PUBLISHED : December 6, 2024, 18:05 IST

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