Published On: Thu, Jun 19th, 2025

Success Story: रिश्तेदार की सलाह ने बदली किस्मत, इस फल की खेती से दौसा के किसान बन गए लखपति


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Dausa Farmer Anup Success Story: राजस्थान के दौसा जिले के किसान अब पारंपरिक खेती के साथ-साथ बागवानी की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं. ऐसे ही किसान हैं अनूप सिंह पुजारी, जिन्होंने अपने बड़े भाई के ससुराल वालों की सल…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • अनूप सिंह ने 2020 में अमरूद की खेती शुरू की.
  • सालाना 50 हजार खर्च में 5 लाख का मुनाफा कमा रहे हैं.
  • अमरूद की बिक्री जयपुर, दौसा आदि बाजारों में होती है.

दौसा. राजस्थान के दौसा जिले में किसान अब अलग-अलग प्रकार की खेती कर रहे हैं. कुछ किसान अपने रिश्तेदारों की सलाह से खेती कर रहे हैं, तो कुछ कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह से. चाहे किसी की भी सलाह हो, किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं. दौसा जिले में बागवानी खेती का चलन बढ़ता जा रहा है. यहां के किसान बाग-बगीचे लगा रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं. ऐसे ही एक किसान हैं, जो अपने बड़े भाई के ससुराल वालों की सलाह से लाखों रुपए कमा रहे हैं.

किसान अनूप सिंह पुजारी ने बताया कि वह अपने बड़े भाई के ससुराल सवाई माधोपुर में आते-जाते रहते थे. वहां के लोगों ने उन्हें अमरूद की खेती करने की सलाह दी, क्योंकि सवाई माधोपुर में बड़ी मात्रा में अमरूद की खेती होती है. उनके रिश्तेदार भी अमरूद की खेती से अच्छी कमाई कर रहे थे, इसलिए उन्होंने अनूप को भी यह सलाह दी.

सालाना 5 लाख कमा रहे मुनाफा

अनूप सिंह ने बताया कि उन्होंने 2020 में सवाई माधोपुर से 1000 अमरूद के पौधे लाकर 5 बीघा जमीन में लगाए. पौधों को सही दूरी पर लगाया गया ताकि पेड़ बड़े होने पर एक-दूसरे से न टकराएं. 2020 में लगाए गए पौधों ने 2021 में फल देना शुरू कर दिया. अनूप सिंह ने बताया कि अमरूद के पेड़ साल में दो बार फल देते हैं. पेड़ों की देखभाल और दवाइयों पर साल भर में करीब 50 हजार रुपए खर्च होते हैं. दवाइयों से पेड़ों को कीड़े-मकोड़ों से बचाया जाता है.इसके अलावा मजदूरों का खर्च भी होता है. लेकिन, साल भर में करीब 5 लाख रुपए की कमाई हो जाती है.

आसानी से हो जाती है अमरूद की बिक्री

अनूप सिंह ने बताया कि उनके बगीचे में जब अमरूद तैयार होते हैं, तो वे आसानी से जयपुर, दौसा, महुआ, सिकंदरा, सिकराय आदि बाजारों में बेच देते हैं. कई बार व्यापारी खुद उनके खेत पर आकर अमरूद खरीद लेते हैं. अनूप सिंह ने बताया कि उनके बगीचे में घर के सभी सदस्य अमरूद की फसल के समय काम में लग जाते हैं. जब अतिरिक्त मजदूरों की जरूरत होती है, तो गांव के महिला-पुरुष या आस-पास के गांव से मजदूर बुला लिए जाते हैं. यहां आसानी से मजदूर मिल जाते हैं और उनसे काम करवाया जाता है.

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