Sirmauri Tal Disaster Villagers Will Migrate During The Rainy Season – Amar Ujala Hindi News Live


सिरमौरी ताल में पानी की निकासी को बनाया गया नाला
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
विस्तार
सिरमौरी ताल में पिछले साल बरसात में आई आपदा को एक साल होने को है, लेकिन लोगों के जख्म आज भी हरे हैं। कहर बरपाने वाली रात के बारे में जब भी यहां के बाशिंदे सोचते हैं तो सिहर उठते हैं। अपनों को खो देने का जहां दर्द हरा है, वहीं सिर पर मंडरा रहे खतरे की चिंता सोने नहीं देती। जरा सी बारिश होने भी अब यहां के लोगों को डरा देती है। हादसे के बाद मुख्यमंत्री, मंत्री, नेताओं के साथ अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन यदि एक साल बाद जमीनी हकीकत देखें तो हालत में कुछ ज्यादा बदलाव नजर नहीं आया है। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात में गांव के सभी लोग यहां से पलायन करेंगे।
बता दें कि 8 अगस्त 2023 की रात को सिरमौरी ताल का हादसा आज भी लोगो को झकझोर देता है। मलबा के साथ आए विशालकाय पत्थर वहीं पड़े हैं। मलबे के ढेर भी उसी जगह हैं। बस बदलाव सिर्फ इतना हुआ है कि यहां मलबे के साथ जो पेड़ बहकर आए थे उनकी लकड़ी को संबंधित विभाग कटवाकर ले गया, ठूंठ वहीं पर त्रासदी की गवाही दे रहे हैं।
हालात अभी भी भयानक बने हुए हैं। हालांकि विभागों ने सुधार और बचाव के लिए कुछ कार्य किए हैं, लेकिन वे काम एक साल के लंबे समय के बावजूद भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान प्रतीत हो रहे हैं। लोगों की उपजाऊ भूमि में मलबा पड़ा है, खेती एकमात्र साधन है, लेकिन मलबा हटा नहीं है।
पंचायत ने किया नाले का निर्माण
पंचायत ने नाले का निर्माण कर दिया है। जहां पहले नाला बहता था वहीं पर नाले का निर्माण किया है। नाले का आखरी हिस्सा बंद है। आपदा के समय बहकर आए पत्थर भी वहीं पर पड़े हैं जिन्हें बिना मशीनों के तोड़ना मुश्किल है।
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण जागर सिंह, कांशी राम, दीप चंद, धरमू, सुरजीत, राजेंद्र आदि ने बताया कि आपदा को एक साल होने को है। उस समय मुख्यमंत्री, मंत्री और कई नेता एनएच तक ही आए। वहां से ही वापस चलते बने। मौके पर कोई नहीं आया। आज तक सरकार के नुमाइंदों ने समस्याओं को नहीं जाना। आलम यह है कि ग्रामीणों ने पैदल चलने तक के लिए खुद मलबा हटाकर रास्ता बनाया है। अभी तक यहां सही ढंग से रास्ता तैयार नहीं हो पाया है। यदि कोई बीमार हो जाए तो कैसे अस्पताल पहुंचे।
इस बरसात पलायन करेंगे ग्रामीण
सिरमौरी ताल के ग्रामीणों का कहना है कि इस बरसात के लिए भी गांव वालों ने अभी से तैयारी कर ली है। बरसात में गांव के सभी लोग पलायन करेंगे और अपने अन्य घर नारिवाला चले जाएंगे। लगभग सभी परिवार वालों ने अपने घर नारिवाला में बना लिए हैं, लेकिन कांशी राम के पास सिरमौरी ताल के अलावा कहीं जगह नहीं है। कांशी राम अपने दामाद के घर रहते हैं। इस बार कांशी राम दो-तीन महीनों के लिए किराये पर मकान देख रहे हैं।
मलबे में दबकर एक ही परिवार के पांच लोग की हो गई थी मौत
बता दें कि पिछली बरसात में सिरमौरी ताल में आई आपदा में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की घर सहित दबकर मौत हो गई थी। इनमें कुलदीप (63), उसकी पत्नी जीतो देवी (57), बेटे की पत्नी रजनी देवी (31), पौत्र नितेश (10) और पौत्री दीपिका (8) शामिल थी। इस दौरान कुलदीप के दो बेटे विनोद, अमर सिंह का परिवार बच गया था। अमर सिंह नारिवाला में रहता था, जबकि विनोद सिरमौरी ताल में ही रहता था। विनोद उस समय पड़ोसी के बच्चों को बचाने के लिए गया था जब वापस आया तो उसका परिवार मकान सहित मलबे में दब चुका था। हादसे में मवेशी भी मर गए थे, मात्र एक भैंस बची थी।
ग्रामीणों के बयान, डर के साए में जी रहे
एक साल बीत जाने के बाद भी बचाव के लिए कोई कार्य नहीं किए गए हैं। अभी से डर सता रहा है। उपजाऊ जमीन को छोड़ने का मन भी नहीं करता। इसके चलते डर के साए में जी रहे हैं-चरण सिंह, ग्रामीण
हालात में ज्यादा बदलाव नहीं आया
आपदा को एक साल होने को है, लेकिन आज भी हालात में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। रास्ते तक समस्या बनी हुई है-जागर सिंह, ग्रामीण
10 बीघा जमीन मलबे के नीचे
सिरमौरी ताल के अलावा कहीं जमीन नहीं है। 18 बीघा जमीन उपजाऊ है। खेतीबाड़ी ही एकमात्र कमाई का साधन है। अभी भी लगभग 10 बीघा जमीन मलबे के नीचे है। इसके अलावा रहने के लिए भी जगह नहीं है, न ही रहने को मकान है। मकान हादसे वाली जगह से मात्र 150 मीटर की दूरी पर है- कांशी राम, ग्रामीण
पिछली बरसात के बाद बैंक से लोन लेकर नारिवाला में घर बना लिया है। बरसात होते ही बच्चों सहित नारिवाला में रहेंगे। खेतीबाड़ी और मवेशियों को देखने के लिए ही सिरमौरी ताल आएंगे- मोहन सिंह