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Sharda Sinha: बिहार कोकिला शारदा सिन्हा की चचेरी भाभी निर्मला ठाकुर ने बताया कि उनकी पहली प्रस्तुति अपने बड़े भाई की शादी में हुई थी। देहर छेकाई की रस्म के दौरान शारदा ने पहली बार गीत गाया। पढ़ें पूरी खबर…।
31 मार्च को सुपौल के हुलास में छोटे भाई और भाभी के साथ शारदा सिन्हा – फोटो : अमर उजाला
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बिहार की अमर आवाज और लोक संगीत की अद्वितीय हस्ती डॉ. शारदा सिन्हा का मंगलवार रात निधन हो गया। अपनी सादगी और मिठास भरे लोकगीतों से देश और बिहार को छठ महापर्व की रस्मों और लोकजीवन से परिचित कराने वाली शारदा सिन्हा का निधन संगीत की दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके पैतृक गांव सुपौल जिले के राघोपुर प्रखंड के हुलास में छठ पर्व के उत्सव के बीच यह दुखद समाचार पहुंचते ही शोक की लहर दौड़ गई।
प्रारंभिक जीवन और संगीत में शुरुआती सफर
शारदा सिन्हा का जन्म सुपौल जिले के हुलास गांव में एक साधारण परिवार में एक अक्तूबर 1952 को हुआ था। उनके पिता, दिवंगत सुखदेव ठाकुर बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत थे और उन्हें शिक्षा के प्रति बेहद लगाव था। शारदा को बचपन से ही गायन में रुचि थी और उनके पिता ने इस प्रतिभा को पहचानते हुए उनके संगीत प्रशिक्षण का प्रबंध किया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुलास गांव के राधानगर मध्य विद्यालय में हुई। पड़ोसी गांव के शिक्षक रामचंद्र झा से उन्होंने संगीत की शुरुआती शिक्षा ली, इसके बाद विलियम्स उच्च विद्यालय के संगीत शिक्षक पंडित रघु झा से उन्होंने गहरे संगीत के गुर सीखे।