Sebi issues guidelines to manage stock impact from rumours | अफवाह से शेयरों में उतार-चढ़ाव रोकने के लिए गाइडलाइन जारी: कंपनी को 24 घंटे में स्थिति साफ करनी होगी, 1 जून से लागू होगा नियम

नई दिल्ली6 घंटे पहले
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सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने स्टॉक मार्केट में अफवाहों की वजह से स्टॉक पर होने वाले असर से निपटने के लिए आज (21 मई) नई गाइडलाइन जारी की है। गाइडलाइन के मुताबिक, अगर किसी अनवेरिफाइड न्यूज या अफवाह की वजह से स्टॉक में बड़ा बदलाव देखने को मिलता है तो 24 घंटे के अंदर कंपनी को उस खबर को कंफर्म करना होगा।
कंपनी को उस खबर पर तय समय अंदर अपनी स्थिति साफ करनी होगी। SEBI की गाइडलाइन के मुताबिक, 24 घंटे के अंदर अफवाह की पुष्टि करने पर नियमों के तहत स्टॉक का ‘अन इफेक्टेड प्राइस ‘ माना जाएगा।
‘अन इफेक्टेड प्राइस ‘ किसी स्टॉक का वो स्तर होगा जो उस खबर या अफवाह के ना होने पर रहता। ये गाइडलाइन 1 जून से टॉप 100 लिस्टेड कंपनियों पर लागू होगी और दिसंबर 2024 तक अगली 150 कंपनियों पर लागू होगी।
अफवाह की वजह से होने वाले नुकसान को रोकना चाहती है SEBI
कई बार देखा गया है कि किसी प्लेटफार्म के जरिए कंपनी से जुड़ी ऐसी खबर आती है जिसके कारण उसके स्टॉक में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। हालांकि, बाद में कंपनियां उस खबर को खारिज कर देती है।
कई बार कंपनियां अफवाह पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने में ज्यादा समय लगा देती है, जिसके कारण इन्वेस्टर्स को नुकसान उठाना पड़ता है। इसी को रोकने के उद्देश्य से SEBI ने ये गाइडलाइन जारी की है।
मार्केट कैप के आधार पर रैंकिंग के लिए नए तरीके को भी SEBI की हरी झंडी
इसके साथ ही SEBI ने कई अन्य ऐलान भी किये हैं जिनमें IPO लाने की कतार में लगी कंपनियों के लिए कारोबार में आसानी से जुड़े ऐलान शामिल हैं। इसमें ऑफर साइज में बदलाव, मिनिमम प्रमोटर कॉन्ट्रीब्यूशन सहित अन्य चीजें शामिल है। इसके अलावा SEBI ने मार्केट कैप के आधार पर रैंकिंग के लिए नए तरीके को भी हरी झंडी दी है। अब एक दिन की जगह 6 महीने के एवरेज मार्केट प्राइस के आधार पर कंपनियों की रैंकिंग दी जाएगी।
मार्केट कैप क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है। मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
मार्केट-कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसमे निवेश करना उतना ही सुरक्षित माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती हैं। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।