Scholarship Scam: Officers Robbing Students Of Their Rights To Study Abroad, Rigging In The Ranking Of Scheme – Amar Ujala Hindi News Live


राजस्थान
– फोटो : अमर उजाला
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राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार अफसरशाही के सामने नतमस्तक दिखाई दे रही है। प्रतिभाशाली गरीब बच्चों को विदेश में पढ़ाने की विवेकानंद स्कॉलरशिप योजना में हेरफेर किया गया है ताकि अफसरों के बच्चों को भी इस योजना का लाभ मिल सके। गरीब बच्चों का हक मारने के लिए रैंकिंग में भी बदलाव किया गया है। अफसरों ने इस घोटाले को कुछ इस तरह अंजाम दिया कि सात महीने पुरानी सरकार के मंत्री भी कुछ समझ नहीं सके। छात्र अपनी प्रतिभा के दम पर स्कॉलरशिप का लाभ उठाते उससे पहले ही योजना में अफसरों ने अपनी ‘प्रतिभा’ दिखा दी और बड़े साहब के बच्चों को स्कीम में एडजस्ट करने के लिए योजना की रैंकिंग में हेराफेरी कर दी।
पेपर लीक की तरह ही छात्रों के भविष्य को खराब करने वाला एक बड़ा स्कैम राजस्थान में विवेकानंद स्कॉलरशिप योजना के रूप में सामने आया है। योजना में अफसरों के बच्चों को एडजस्ट करने के लिए न सिर्फ क्यूएस की जगह टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) की रैंकिंग को लागू करने के आदेश जारी किए गए बल्कि इस THE रैंकिंग में भी शातिराना तरीके से फेरबदल कर दिया गया। बहुत से छात्रों ने QS रैंकिंग के हिसाब से विदेश में पढ़ाई के लिए वहां की यूनिवर्सिटी में जनवरी में ही आवेदन कर दिए थे। आवेदन के लिए 50 से 100 डॉलर की आवेदन फीस भी जमा करवाई लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने मई 2024 में अचानक QS की जगह THE रैंकिंग लागू कर दी। ऐसे में छात्रों ने QS रैंकिंग के हिसाब से जिन यूनिवर्सिटी में आवेदन किया था, उनमें से कई तो THE रैंकिंग की टॉप 150 में शामिल ही नहीं हैं।
सब्जेक्ट रैंकिंग में भी हेरफेर
योजना की नई गाइडलाइन के अनुसार इस छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने के लिए THE रैंकिंग के मुताबिक दुनिया के शीर्ष 150 विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्राप्त करना होगा। इसके अतिरिक्त विदेश में स्नातक स्तर पर इंजीनियरिंग या चिकित्सा की पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय को THE की विषयवार रैंकिंग में शीर्ष 25 विश्वविद्यालय में शामिल होना होगा लेकिन उच्च शिक्षा विभाग की ओर से इंजीनियरिंग विषय के लिए प्रकाशित 25 विश्वविद्यालयों की सूची में कई गलतियां हैं।
THE में इंजीनियरिंग विषय की रैंकिंग लेने के बजाय उसमें सामान्य इंजीनियरिंग के फिल्टर का उपयोग किया गया है, जबकि गाइडलाइन में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि स्नातक स्तर पर B.E., B.Tech, B.Arch, MBBS, BDS (Engg, Architecture, Medical & Dentistry) के कोर्सेस में THE में आने वाले 150 शीर्ष संस्थानों की ही अनुमति होगी। इसके अतिरिक्त इन कोर्सेस एवं विषयों में कोर्सवाइज सर्वोत्तम 25 THE वैश्विक रैंकिंग होनी जरूरी है।
विभाग ने क्या किया
उच्च शिक्षा विभाग ने टॉप 25 इंजीनियरिंग विश्वविद्यालयों की रैंकिंग THE की वेबसाइट पर सामान्य इंजीनियरिंग फिल्टर कर उपयोग करके ले ली, जबकि THE की वेबसाइट पर इंजीनियरिंग सब्जेक्ट की टॉप 25 रैंकिंग में जिन विश्वविद्यालयों के नाम हैं, उच्च शिक्षा विभाग की ओर जारी की गई टॉप 25 रैंकिंग में से इलिनोसिस विश्वविद्यालय, अर्बाना-शैंपेन (UIUC), कोलंबिया विश्वविद्यालय और डेल्फ्ट विश्वविद्यालय के नाम ही नहीं हैं। मेडिकल विश्वविद्यालयों में से भी आठ विश्वविद्यालय गायब हैं और उनकी जगह निचली रैंकिंग वाले विश्वविद्यालय शामिल कर लिए गए हैं।
इंजीनियरिंग की तरह ही विभाग ने मेडिसिन और डेंटिस्ट्री में भी जनरल फिल्टर लगाकर टॉप 25 की रैंकिंग जारी कर दी, जबकि THE के ई-मेल में उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे जिन 11 कोर्सेज में सब्जेक्ट वाइज लिस्ट निकालते हैं, उनमें मेडिसिन और डेंटिस्ट्री की रैंकिंग नहीं निकालते। यह रैंकिंग क्लीनिकल एंड हेल्थ से निकाली जानी चाहिए थी। विभाग ने आर्किटेक्चर की भी रैंकिंग जारी कर दी, जबकि THE ने स्पष्ट लिखा है कि वह इसकी रैंकिंग जारी ही नहीं करता। इसलिए आर्किटेक्चर रैंकिंग की लिस्ट संलग्न करना ही गलत है।
THE ने सरकारी लिस्ट को बताया गलत
आवेदन करने वाले कुछ छात्रों ने THE को ई-मेल से संपर्क किया तो पता चला कि राजस्थान सरकार ने जनरल इंजीनियरिंग की रैंकिंग के लिए जो फिल्टर इस्तेमाल किया है, वह सब्जेक्ट रैंकिंग के लिए नहीं बल्कि एक सामान्य फिल्टर है। वह सिर्फ यह बताने के लिए है कि कौनसी यूनिवर्सिटीज जनरल इंजीनियरिंग के कोर्स करवाती है। THE ने अपने जवाब में स्पष्ट रूप से यह लिखा है कि वे इंजीनियरिंग व 11 अन्य विषयों की ही विषयवार रैंकिंग निकालते हैं और जरनल इंजीनियरिंग की विषयवार रैंकिंग नहीं निकालते हैं। उच्च शिक्षा विभाग जरनल इंजीनियरिंग फिल्टर का उपयोग कर गलत सूची बना रहा है। यह गाइडलाइन का उल्लंघन है। यहां THE ने उस वेब लिंक का भी उल्लेख किया है, जहां इंजीनियरिंग सब्जेक्ट की सूची प्राप्त की जा सकती है। यह सूची हासिल करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।
बस योजना का नाम बदला- घाटाले उसी रफ्तार से जारी
स्कॉलरशिप स्कीम में घोटालों रवायत नई नहीं है। पिछले साल भी यह योजना अफसरों के घोटालों की भेंट चढ़ गई थी। अशोक गहलोत सरकार में इस योजना को राजीव गांधी स्कॉलरशिप नाम से शुरू किया गया था। भजनलाल सरकार ने आकर इसका नाम बदल दिया लेकिन घोटालों का रिवाज वैसा ही रहा। राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना में 30% बच्चे सरकारी अफसरों के शामिल किए गए थे। इनमें से 14 आईएएस-आईपीएस सहित 73 अफसरों के बच्चे थे।