Published On: Sun, Nov 10th, 2024

Report: वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों की कीमत बढ़ने से महंगी हुई थाली; यूएन खाद्य एवं कृषि संगठन की रिपोर्ट


UFAO Report: Food becomes expensive due to increase in price of edible oils in global market

शाकाहारी थाली। (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : Freepik

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खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी के कारण  अक्तूबर और उसके बाद भी वैश्विक बाजार में खाद्य कीमतों में 7.3 फीसदी का अच्छा-खासा उछाल देखने को मिला है। इस वजह से वैश्विक खाद्य सूचकांक पिछले 18 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने एक रिपोर्ट में दी है।

एफएओ का खाद्य मूल्य सूचकांक अंतराष्ट्रीय स्तर पर हर माह खाद्य कीमतों में हो रहे उतार-चढ़ाव को साझा करता है। रिपोर्ट के अनुसार अक्तूबर 2024 में खाद्य मूल्य सूचकांक सितंबर माह के मुकाबले दो फीसदी  बढ़कर 127.4 तक पहुंच गया। अक्तूबर में खाद्य उत्पादों की कीमतों में भी खासा उछाल देखा गया। केवल मांस की कीमतों में ही गिरावट आई है। इस दौरान खाद्य तेल मूल्य सूचकांक औसतन 152.7 अंक तक पहुंच गया। यह पिछले साल अक्तूबर की तुलना में 5.5 फीसदी ज्यादा है। कीमतों में यह वृद्धि मुख्य रूप से पाम, सोया, सूरजमुखी और रेपसीड तेलों की बढ़ती कीमतों के कारण हुई है। पाम तेल की कीमतों में लगातार पांचवें महीने वृद्धि हुई। पाम आयल की बढ़ती कीमतों का  मुख्य कारण दक्षिण पूर्व एशिया में अपेक्षा से कम उत्पादन है। मलेशिया, इंडोनेशिया इसके मुख्य उत्पादक हैं।

डेयरी उत्पादों की कीमतों में भी बढ़ोतरी

रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान डेयरी मूल्य सूचकांक भी 139.1 अंक तक पहुंच गया, जो सितंबर की तुलना में 1.9 फीसदी की अधिक है। पिछले साल अक्टूबर के महीने से तुलना करें तो यह 21.4 फीसदी ज्यादा है। यह वृद्धि खासतौर पर वैश्विक बाजार में पनीर और मक्खन की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई। इसकी वजह  यूरोपियन यूनियन में मौसमी रूप से दूध के उत्पादन में गिरावट है। मक्खन की कीमतों में लगातार 13वें महीने उछाल देखा गया है।

भारत की वजह से चावल मूल्य सूचकांक गिरा

भारत की वजह से चावल मूल्य सूचकांक में में 5.6 फीसदी की गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण इंडिका चावल की कीमतों में गिरावट रही, क्योंकि भारत ने साबुत चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया। इसकी वजह से निर्यातकों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा बढ़ गई।

बढ़ता तनाव भी कीमतों में वृद्धि का कारण

गेहूं की कीमतों में लगातार दूसरे महीने बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके लिए यूरोपियन यूनियन, रूस और अमेरिका जैसे प्रमुख निर्यातक क्षेत्रों में का खराब मौसम जिम्मेदार है। इस दौरान मक्के की कीमतों में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। ब्राजील में मजबूत मांग और अमेजन नदी का घटता जलस्तर इसकी बड़ी वजह है। इसकी वजह से अनाज ट्रांसपोर्ट सम्बन्धी समस्याएं पैदा हो गई हैं। अर्जेंटीना में सूखे की स्थिति और यूक्रेन में मक्के की लगातार बढ़ती मांग की वजह से भी कीमतों में वृद्धि हुई है। इस दौरान जौ की कीमतों में तेजी और ज्वार की कीमतों में गिरावट आई है।

 

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