पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थलीय शहर बालोतरा में बीते कुछ दिनों से पड़ रही झुलसाने वाली गर्मी और नौतपा की प्रचंड लहर से परेशान आमजन को अब कुछ राहत मिलती दिख रही है। पिछले दो दिनों में तापमान में आई गिरावट से शहरवासियों ने राहत की सांस ली है। नौतपा के प्रारंभिक दिनों में तापमान जहां 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, वहीं अब यह गिरकर 38 डिग्री सेल्सियस तक आ गया है। मौसम में आए इस बदलाव ने जहां लोगों के चेहरों पर मुस्कान लौटाई है, वहीं प्रशासन और समाजसेवी संस्थाओं की तत्परता ने भी राहत के इस प्रयास को मजबूती दी है।
नौतपा का कहर: जलते आसमान और तपती जमीन से बेहाल हुए लोग
नौतपा के दिनों को गर्मी का चरम माना जाता है, जब सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं और तापमान में अचानक बढ़ोतरी होती है। बालोतरा सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों में पिछले सप्ताह तापमान 46 से 47 डिग्री के बीच बना हुआ था। तपती सड़कों, गर्म हवा के थपेड़ों और भीषण लू ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था। दोपहर के समय सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता था और लोग आवश्यक कार्यों को भी टालते नजर आ रहे थे। अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिससे चिकित्सा विभाग भी अलर्ट मोड पर आ गया।
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समाजसेवी संस्थाएं बनीं संवेदना का प्रतीक
प्रशासन के साथ-साथ समाजसेवी संस्थाओं ने भी अपना दायित्व निभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। बालोतरा के विभिन्न क्षेत्रों में कई सामाजिक संगठनों ने प्याऊ लगवाए हैं, जहां राहगीरों को ठंडा और स्वच्छ पानी निःशुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है। कई जगहों पर मटकों में पानी भरवाया गया है और छायादार स्थानों की व्यवस्था की गई है, जहां लोग कुछ समय बैठकर राहत महसूस कर सकते हैं।
मौसम में परिवर्तन: मानसून की आहट या अस्थायी राहत?
यह गिरावट एक अस्थायी राहत है, जो हवाओं के रुख में बदलाव के कारण आई है। राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में आने वाले दिनों में तापमान में और थोड़ी गिरावट संभव है, लेकिन जून मध्य तक एक और लहर गर्मी की आ सकती है। हालांकि वर्तमान में चल रही राहत ने लोगों को थोड़ी ऊर्जा दी है और आवश्यक कार्यों के लिए बाहर निकलना अब संभव हो रहा है।
गर्मी की रफ्तार थमने के साथ ही बाजारों में हलचल देखी जा रही है। दुकानदारों ने बताया कि बीते सप्ताह ग्राहक पूरी तरह नदारद थे, लेकिन अब धीरे-धीरे रौनक लौट रही है।