Published On: Tue, Jun 10th, 2025

Ranthambore Tiger Reserve : बाघों के खौफ ने उड़ाई इंसानों और वन विभाग की नींद, दोष किसका? अपनानी होगी नई रणनीति


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Ranthambore Tiger Reserve News: रणथम्भौर टाइगर रिजर्व अब इंसानों और वन विभाग को डराने लग गया है. यहां त्रिनेत्र गणेश मंदिर इलाके में करीब 15 टाइगर्स का लगातार मूवमेंट बना हुआ है. कौन सा टाइगर कब किस इंसान को खा…और पढ़ें

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व: खौफ ने उड़ाई इंसानों और वन विभाग की नींद, दोष किसका?

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बीते दो महीने में टाइगर्स तीन इंसानों को अपना निवाला बना चुके हैं.

हाइलाइट्स

  • रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में 15 टाइगर्स का मूवमेंट है.
  • श्रद्धालुओं और टाइगर्स के बीच तालमेल की जरुरत है.
  • वन विभाग को नई रणनीति अपनानी होगी.

सवाई माधोपुर. रणथम्भौर टाइगर रिजर्व अब डराने लग गया है. सुबह हो या फिर दोपहर या रात. हर समय यहां बाघों और उनके शावकों का डर अब सताने लगा है. कब कहां कोई टाइगर आ जाए और किसी इंसान को खा जाए कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन इस डर पर रणथम्भौर के जंगल में दुर्ग में स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था भारी है. यही कारण है कि श्रद्धालु यहां तमाम तरह का जोखिम उठाकर भी मंदिर में धोक लगाने के लिए आते हैं. यह मंदिर कोई आज का नहीं है. बेहद पुराना है. मंदिर में श्रद्धालु पहले भी आते थे. समय के साथ मंदिर के प्रसिद्धी बढ़ी तो श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ गई.

श्रद्धालुओं की संख्या के साथ ही रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में टाइगर्स की संख्या भी बढ़ गई. कहने तो जंगलात का महकमा भी बढ़ा लेकिन व्यवस्थाएं दुरस्त नहीं हुई. जंगल में इंसानी दखल बढ़ने से वन्य जीव असहज होने लग गए. खासकर टाइगर को यह इंसानी दखल खलने लगा. उनकी खुद की संख्या बढ़ने से उनमें टैरिटरी वॉर बढ़ गया. कुल मिलाकर हालात ऐसे विकट हो गए कि किसे दोष दिया जाए कुछ समझ नहीं आता. श्रद्धालुओं की श्रद्धा अपनी जगह सही है. जंगल में इंसानी दखल से चिड़चिड़े हुए टाइगर्स को भी दोष नहीं दिया जा सकता. वन विभाग का तर्क है कि वह अपने संसाधनों के आधार पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा और बाघों के संरक्षण दोनों का तालमेल बिठाने का काम कर रहा है. लेकिन पार नहीं पड़ रही. ऐसे में आखिर क्या किया जाए?

टाइगर अपना स्वभाव नहीं छोड़ेगा और श्रद्धालु अपनी राह नहीं छोड़ेंगे
श्रद्धालुओं को भी रोका नहीं जा सकता है. टाइगर्स को भी ज्यादा टोका नहीं जा सकता है. वनकर्मी भी कब तक जान पर दांव पर लगाएंगे. लेकिन यह तो तय है कि तालमेल तीनों में बैठाना पड़ेगा. नहीं हो टाइगर अपना स्वभाव नहीं छोड़ेगा. श्रद्धालु अपनी राह नहीं छोड़ेंगे. वन विभाग भी टाइगर को कब तक रोक पाएगा. तालमेल के अभाव में बीते दो महीनों में एक बालक, एक वन विभाग का जवान अधिकारी और जैन मंदिर का एक बुजुर्ग गार्ड टाइगर्स का निवाला बन चुके हैं. अब लोगों का गुस्सा फूटने लग गया है. जिम्मेदारी पूरी वन विभाग की है. लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पा रहा है. मंदिर मार्ग पर आवाजाही रोक दे तो श्रद्धालु नाराज. नहीं रोके तो टाइगर नाराज. आखिर क्या किया जाए?

इलाके में करीब 15 टाइगर का मूवमेंट बताया जा रहा है
रणथम्भौर दुर्ग मंदिर के आसपास के इलाके में करीब 15 टाइगर का मूवमेंट बताया जा रहा है. इनमें टाइग्रेस एरोहेड और उसके जवान होते तीन शावक मुख्य हैं. बीते दो महीने में तीन लोगों के शिकार का आरोप एरोहेड के जवान होते टाइगर्स पर ही लगा है. हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि किसका शिकार किसने किया. लेकिन सबकी जुबां पर शावकों का नाम है. श्रद्धा की राह में आड़े आ रहे टाइगर्स के कारण लोगों का गुस्सा लगातार भड़क रहा है. हर बार इंसानी शिकार के बाद बवाल मचता है लेकिन कुछ समय बाद वह ठंडा हो जाता है. वन्य जीव विशेषज्ञ और रणभम्भौर टाइगर रिजर्व से जुड़े रहे अधिकारियों के मुताबिक हल तो वन विभाग को ही खोजना होगा. मंदिर मार्ग और मंदिर परिसर के आसपास सुरक्षा घेरा मजबूत करना होगा.

टाइगर्स की मूवमेंट पर नजर बढ़ानी होगी
कुछ नए परिपाटियां डालनी होगी. नियम कायदे सख्त करने होंगे. टाइगर्स की मूवमेंट पर नजर बढ़ानी होगी. उनके बदलते स्वभाव को ठीक ढंग से जज करना होगा. कुछ बातें उनकी रखनी होगी और कुछ श्रद्धालुओं की. बीच का रास्ता निकालना होगा. टाइगर और श्रद्धालु दोनों का बचाना होगा. इसके लिए जरुरत नई प्लानिंग और वर्किंग की है. उस पर ध्यान देना होगा. अन्यथा टाइगर अपनी मस्ती में और श्रद्धालु अपनी श्रद्धा में मगन रहेंगे. हाय तौबा यूं ही मचती रहेगी. इंसानी जानें जाती रहेंगी और वन विभाग की सांसें फूलती रहेगी.

(इनपुट सहयोग- गिरीराज शर्मा)

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Sandeep Rathore

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

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