Published On: Thu, Jun 20th, 2024

Rajasthan Vishvendra Singh Petition Dismissed By Bharatpur Sdm Court He Had Claimed Maintenance – Amar Ujala Hindi News Live


Rajasthan Vishvendra Singh petition dismissed by Bharatpur SDM court He had claimed maintenance

कोर्ट ने सुनाया फैसला
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


भरतपुर पूर्व राजपरिवार के विवाद मामले में एसडीएम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। एसडीएम कोर्ट ने पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा, यह मामला एसडीएम कोर्ट में चलने लायक नहीं है। यह याचिका सिविल कोर्ट में दायर की जाएगी। पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने छह मार्च को कोर्ट में अपनी पत्नी और बेटे के खिलाफ अपने भरण पोषण की याचिका लगाई थी।

पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने एसडीएम कोर्ट में याचिका लगाते हुए बताया था, प्रार्थी वरिष्ठ नागरिक है और ह्रदय रोग से पीड़ित है। उन्हें साल 2021 और 2022 में दो बार कोरोना हुआ है। उस दौरान पत्नी और बेटे उन्हें देखने के लिए भी नहीं आए। फोन पर बात भी नहीं की, उन्होंने पिता से वसीयत के जरिए प्राप्त संपत्तियों पर अपना हक बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी और बेटे ने उनके पहनने के कपड़ों को कुएं में फेंक दिया। उन्हें लोगों से मिलने नहीं दिया जाता। उनके साथ मारपीट हुई और उन्हें कमरे तक सिमित कर दिया, जिसके बाद उन्होंने घर छोड़ दिया।

पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि वह कभी सरकारी निवास तो कभी होटल में रहते हैं। जब भी वह भरतपुर आते हैं तो उन्हें घर में घुसने नहीं दिया जाता। पूर्व मंत्री ने खुद को खतरा बताते हुए बताया है कि अब उनका घर में साथ रह पाना संभव नहीं है। पूर्व मंत्री ने पत्नी और बेटे की सालाना आय के स्रोत भी बताए हैं। पत्नी की सालाना आय और पेंशन सहित 84 लाख रुपये है। जबकि बेटे की आय 23 लाख रुपये से भी ज्यादा है।

कोर्ट ने क्या आदेश सुनाया

पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के वकील यशवंत सिंह फौजदार ने बताया कि उन्होंने छह मार्च के आसपास प्रार्थना पत्र पेश किया था। इसमें दिव्या सिंह और अनिरुद्ध सिंह की प्रारंभिक आपत्तियां आईं। उसके बाद दोनों पक्षों की डिटेल्स में बहस भी हुई। फिर कोर्ट द्वारा कई तारीख दी गई। आज फ़ाइनल आदेश सुनाया है कि इसका क्षेत्र अधिकार अन्य न्यायालय को है। प्रॉपर्टी को निरस्त करवाने के लिए प्रार्थी को निर्देशित किया है कि सक्षम न्यायालय में नया दावा पेश करे। एसडीएम कोर्ट ने इस प्रार्थना पत्र को लेकर अपना क्षेत्राधिकार न मानते हुए प्रार्थना पत्र को निरस्त किया है।

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