Published On: Mon, Nov 18th, 2024

Rajasthan News, Rashtriya Swayamsevak Sangh’s co-secretary Arun Kumar will be the keynote speaker at the Deendayal Memorial Lecture | दीनदयाल स्मृति व्याख्यान कल: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार होंगे मुख्यवक्ता; यहां जानें कौन है अरुण कुमार – Jaipur News


अरुण कुमार कात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान की ओर से बिडला सभागार में आयोजित होने वाले दीनदयाल स्मृति व्याख्यान -2024 के मुख्य वक्ता होंगे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार मंगलवार को जयपुर आएंगे। वे यहां एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान की ओर से बिडला सभागार में आयोजित होने वाले दीनदयाल स्मृति व्याख्यान -2024 के मुख्य वक्ता होंगे। सह सरकार्यवाह अरुण कुमा

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कौन हैं अरुण कुमार, जिन्हें कृष्ण गोपाल की जगह सौंपी गई अहम जिम्मेदारी, संघ-बीजेपी में कैसे होता है समन्वय मूलत: दिल्ली के रहने वाले अरुण बचपन से ही संघ के बाल स्वयंसेवक हैं। पहले दिल्ली में संघ के जिला प्रचारक बने, फिर विभाग प्रचारक का दायित्व निभाया और फिर केंद्रीय भूमिका में आए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के बीच संपर्क सूत्र में बदलाव किया गया है। संघ की तरफ से अब सह सरकार्यवाह अरुण कुमार को बीजेपी और संघ के बीच समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है। माना जा रहा है कि इससे संघ और बीजेपी के बीच रिश्तों में भी नयापन देखने को मिल सकता है। चित्रकूट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारकों की वार्षिक बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया।

मूलत: दिल्ली के रहने वाले अरुण बचपन से ही संघ के बाल स्वयंसेवक हैं।

मूलत: दिल्ली के रहने वाले अरुण बचपन से ही संघ के बाल स्वयंसेवक हैं।

बीजेपी और संघ के बीच समन्वय का काम कृष्ण गोपाल के पास था। सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल वर्ष 2015 से यह दायित्व संभाल रहे थे।

अरुण कुमार और संघ में उनके सफर के बारे में

अरुण कुमार बचपन से ही स्वयंसेवक हैं। अरुण कुमार संघ के सह सरकार्यवाह हैं और उनका केंद्र भोपाल है। मूलत: दिल्ली के रहनेवाले अरुण बचपन से ही संघ के बाल स्वयंसेवक हैं। दिल्ली में उनकी शिक्षा हुई। वे दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। दिल्ली से ही वे संघ में प्रचारक हुए। पहले दिल्ली में संघ के जिला प्रचारक बने, फिर विभाग प्रचारक का दायित्व निभाया और फिर हरियाणा प्रांत प्रचारक रहे। इसके बादे वे संघ में केंद्रीय पदाधिकारी बने। जम्मू-कश्मीर में प्रांत प्रचारक के तौर पर उन्होंने अहम भूमिका निभाई। जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र की परिकल्पना उनकी ही इच्छाशक्ति और निश्चय का प्रतिफल है।

अमरनाथ श्राइन बोर्ड आंदोलन से मिली पहचान

साल था- 2004. संघ ने अरुण कुमार को जम्मू-कश्मीर का प्रांत प्रचारक बनाकर भेजा। तत्कालीन सीएम गुलामनबी आजाद की सरकार ने जब बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड भंग कर उसका नियंत्रण अपने हाथों में लिया तो उसका विरोध हुआ। नबी की सरकार के खिलाफ जोरदार आंदोलन चला। आखिरकार सरकार को फैसला बदलना पड़ा और फिर से श्राइन बोर्ड बहाल हुआ। संघ में सभी मानते हैं कि उस लंबे आंदोलन को जनांदोलन का रूप देने और उसे परिणाम तक पहुंचाने में अरुण कुमार ने प्रभावी और निर्णायक भूमिका निभाई। उस आंदोलन की सफलता ने अरुण कुमार की सांगठनिक क्षमता से पहली बार संघ नेतृत्व को प्रभावित किया।

मिलती रहीं बड़ी जिम्मेदारियां

साल 2011 आते-आते अरुण कुमार को संघ का राष्ट्रीय सह संपर्क प्रमुख बना दिया गया। तब अखिल भारतीय स्तर पर संपर्क प्रमुख का दायित्व मनमोहन वैद्य के पास था। 2018 में अरुण कुमार को अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख की जिम्मेवारी सौंप दी गई। इसी मार्च महीने में जब दत्रात्रेय होसबले संघ के सरकार्यवाह बने तो अरुण कुमार को भी सह सरकार्यवाह की नई जिम्मेदारी मिली और इनका केन्द्र भोपाल कर दिया गया।

जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र की शुरुआत

अरुण कुमार ने जम्मू-कश्मीर में प्रचारक रहते हुए वहां के अनुभवों के आधार पर जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र नाम से एक नए संस्थान की शुरुआत की। संघचालक डॉ. मोहनराव भागवत के हाथों 2012 में नागपुर में इस अध्ययन केंद्र की शुरुआत हुई। शुरुआत से लेकर हाल तक इसका केंद्र दिल्ली रहा, जो अब परिवर्तित नाम जम्मू-कश्मीर-लद्दाख अध्ययन केंद्र हो गया है। वर्तमान में इसके संयोजक आशुतोष भटनागर हैं।

धारा 370 और 35-A पर विमर्श

संघ परिवार के एजेंडे में आजादी के बाद से ही ‘जम्मू-कश्मीर की धारा 370 का सवाल’ रहा है। आम लोगों में इस विशेष प्रावधान से जुड़े संवैधानिक और कानूनी पहलुओं की समझ कम थी। लंबे समय तक अरुण कुमार के साथ काम कर चुके समाज शास्त्र के प्राध्यापक डॉ गिरीश गौरव बताते हैं कि “कश्मीर की धारा 370 और 35-A से आम जन को अवगत कराने और राष्ट्रीय स्तर पर अकादमिक विमर्श का विषय बनाने का एकमात्र श्रेय अरुण कुमार को जाता है. जिन्होंने सबसे पहले पर्चे, पोस्टर, संगोष्ठी, सेमिनार वगैरह के जरिये इसके विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया।

संघ-बीजेपी समन्वय कैसे होता है, क्या होगी अरुण की जिम्मेदारी

सामान्यत: कम ही लोग जानते हैं कि बीजेपी से पहले जनसंघ को आरएसएस ने अपनी राजनीतिक इकाई के तौर पर गठित किया था, इसीलिए बीजेपी को भी संघ की आनुषंगिक इकाई के तौर पर देखा जाता है। पहले से लेकर अब तक बीजेपी के संगठन महामंत्री का पद संघ के प्रचारक ही संभालते रहे हैं। संघ अपनी योजना के अनुसार अपने वरिष्ठ प्रचारकों को कुछ समय के लिए बीजेपी संगठन का काम संभालने के लिए भेजता है।

जैसे कि हाल के दिनों तक रामलाल ये काम देख रहे थे। अभी बीएल संतोष संगठन महामंत्री का पद संभाल रहे हैं। इसी तरह संघ परिवार के संगठनों के बीच आपसी समन्वय के लिए भी वरिष्ठ पदाधिकारियों को अलग अलग दायित्व सौंपे जाते हैं। संघ-बीजेपी समन्वय का काम उसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

देश और समाज से जुड़े सवालों और उस पर संघ के दृष्टिकोण को बीजेपी तक पहुंचाना, बीजेपी की योजना और कार्यप्रणाली से संघ के शीर्ष नेतृत्व को अवगत कराना, समन्वयकर्ता का मुख्य काम होता है। इसी तरह चुनाव कार्य में भी संघ के कार्यकर्ताओं की जरूरत और उपयोगिता के आधार पर प्रबंधन करना, कराना समन्वयक ही तय करता है। अरुण कुमार को यही जिम्मेवारी सौंपी गई है. आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनकी जवाबदेही और भी अहम हो जाती है।

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