Published On: Tue, Nov 19th, 2024

Rajasthan News: Hanuman Beniwal Supported Naresh Meena In The Sdm Slapping Case – Amar Ujala Hindi News Live – एसडीएम थप्पड़ कांड:हनुमान बेनीवाल बोले


Rajasthan News: Hanuman Beniwal supported Naresh Meena in the SDM slapping case

हनुमान बेनीवाल का बयान।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


आरएलपी सुप्रीमो व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल देवली-उनियारा से निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा के समर्थन में उतर आए हैं। समरावता एसडीएम थप्पड़ कांड को लेकर बेनीवाल ने नरेश मीणा का समर्थन करते हुए कहा- नरेश ने सही किया, उसे तो तीन-चार थप्पड़ मारने चाहिए थे। सोमवार को बेनीवाल जोधपुर में अनीता चौधरी हत्याकांड के विरोध सभा में बोल रहे थे। 

इस दौरान बेनीवाल ने अपने समर्थकों से कहा- ये अमित (एसडीएम) मेरे नागौर में रहा हुआ है। इसने मेरे लोगों को कितना तंग किया, तुम्हें पता है? किस तरह माइनिंग पर रेड पड़ी थी, बंद किया था। बेनीवाल बोले कि इस घटना को जाट वर्सेज मीणा बनाने की क्या आवश्यकता है? अच्छा हुआ इसके एक झापड़ (थप्पड़) मारा, उसके तीन-चार झापड़ धरने चाहिए थे। अच्छा रहा। मैं मार नहीं पाया। मेरे वाला काम नरेश ने कर दिया। ठीक किया। अब हर जगह मैं ही थोड़े मारता घूमूंगा।

 

बोले जबरदस्ती जाट-मीणा क्यों बना रहे हो

बेनीवाल ने कहा- आप सोशल मीडिया पर क्यों समाज की बात कर रहे हो? आप जानते हो, उसके बारे में कौन है? कहां का रहने वाला है? उसकी क्या हिस्ट्री है? जबरदस्ती जाट मीणा बना रहे हो। जिसने थप्पड़ खाया और जिसने थप्पड़ मारा, वो कैसा है। उन दोनों के बारे में पता तो होना चाहिए। जोधपुर में हनुमान बेनीवाल की सभा में पहुंचे लोग।

अनीता चौधरी हत्याकांड को कमजोर करने की कोशिश हो रही

बेनीवाल ने कहा अनीता चौधरी हत्याकांड में समाज के धरने को खत्म करवाने के लिए सरकार समाज के ही थानेदार, सीआई को भेजकर टास्क दे रही है। उन्हें भी अच्छी पोस्टिंग की चाहत है। हमारे ही समाज के अफसर अच्छी पोस्टिंग के प्रलोभन में इसे कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे समाज के ही अफसरों को भेजकर धरना समाप्त कराया जा रहा है। यह बहुत बड़ी कमी है। यही दुर्भाग्य है। अफसर सस्पेंड होते हैं, तब समाज याद आता है सांसद बेनीवाल ने कहा- आज जो अफसर सरकार को खुश करने के लिए धरना समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। इन्हें नंबर बढ़ाने हैं। अच्छी पोस्टिंग का लालच है। ये ही अफसर जब फंसते हैं तो लाखों देते हैं। जब ये सस्पेंड होते हैं, तब इन्हें समाज याद आता है। यही तो दुर्गति है।

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