Published On: Mon, Nov 11th, 2024

Rajasthan High Court Petitioner Reprimanded For Misusing Pil Dismissed It With Warning – Rajasthan News


Rajasthan High Court Petitioner reprimanded for misusing PIL dismissed it with warning

राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


राजस्थान उच्च न्यायालय (जोधपुर) ने सिरोही जिले के आबूरोड उपखंड अंतर्गत मीन तलेटी में एक रिसोर्ट निर्माण को लेकर दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए इसे जनहित याचिका का दुरुपयोग करार दिया है। इस मामले में न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए 

भविष्य में इस प्रकार के कृत्य की पुनरावृत्ति न करने के लिए भी पाबंद किया गया है।

जानकारी के अनुसार, इस मामले में साल 2022 में ब्रह्मपुरी मोहल्ला, सांतपुर तहसील आबूरोड जिला सिरोही निवासी कांतिलाल उपाध्याय पुत्र जगन्नाथ उपाध्याय द्वारा मीनतलेटी में एक रिसोर्ट निर्माण के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में एक जनहित याचिका प्रस्तुत की गई थी। न्यायाधीश रेखा बोराणा और चंद्रशेखर की खंडपीठ के अनुसार, इस मामले में याचिकाकर्ता कांतिलाल उपाध्याय ने किसी भी तरह के महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा नहीं किया है। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका कानून का दुरुपयोग किया है।

मामले में प्रतिशोध लेने तथा तथ्यों को छिपाने के अप्रत्यक्ष उद्देश्यों से याचिका दायर की गई है। कठोर फटकार लगाते एवं चेतावनी देते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि यह याचिका अनुकरणीय जुर्माना के साथ खारिज करने योग्य है। हालांकि, न्यायालय ने संयम बरतते हुए सिविल रिट में 14423/2022 को जनहित याचिका के याचिकाकर्ता कांतिलाल उपाध्याय को भविष्य में इस प्रकार के कृत्यों की पुनरावृति नहीं करने तथा न्यायालय से तथ्यों को नहीं छिपाने के लिए भी पाबंद किया है। 

न्यायालय द्वारा पिछले मामले में यह की गई थी टिप्पणी

याचिकाकर्ता कांतिलाल उपाध्याय द्वारा दायर पिछले मामले में न्यायालय खंडपीठ का कहना था कि विधिवत जारी और पंजीकृत पट्टे को रद्द करवाने का उपाय पंचायती राज अधिनियम की धारा- 97 के तहत प्रदान किया गया है। इसके अलावा, भारत के संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत अधिकारिता का प्रयोग पंजीकृत बिक्री विलेख को रद्द करने के लिए नहीं किया जा सकता है। यह याचिका  प्रतिशोध लेने, भौतिक तथ्यों को छिपाने के इरादे तथा अप्रत्यक्ष उद्देश्यों की पूर्ति के लिए याचिका दायर की गई है।

इस प्रकार याचिका को याचिकाकर्ता द्वारा भुगतान किए जाने वाले 1,00,000 रुपये के जुर्माने के साथ खारिज किया जाता है। इसमें यह भी निर्देश दिया गया था कि याचिकाकर्ता को जनहित याचिका के रूप में कोई भी रिट याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि वह अगले 30 दिनों के भीतर जुर्माने की राशि जमा नहीं करा देता। जमा किए जाने पर जुर्माने की राशि राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कोष में विनियोजित की जाएगी। याचिकाकर्ता द्वारा अब तक 17 जनहित याचिकाएं दायर की गई है।

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