Published On: Sun, Dec 1st, 2024

Rahul Dholakia Interview: मियां भाई की डेयरिंग, मैंने लिखा, लेकिन क्रेडिट के पीछे भागने वालों में नहीं हूं मैं


Rahul Dholakia Exclusive Interview for Shukla Paksh with Pankaj Shukla Agni Raees Parzania Shahrukh Khan Lamha

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राहुल ढोलकिया
– फोटो : अमर उजाला

राहुल ढोलकिया ने कॉलेज के दिनों में ही अपने पिता पैरी ढोलकिया की विज्ञापन एजेंसी में काम करना शुरू कर दिया। चैनल 4 के लिए बाबला सेन के साथ काम करते हुए उन्होंने कई वृत्तचित्र बनाए और उसके बाद मुंबई की एक विज्ञापन कंपनी में बतौर सहायक अपना करियर शुरू किया। न्यूयॉर्क से सिनेमा में परास्नातक करने के बाद परेश रावल और जिमी शेरगिल के साथ राहुल ने अपनी पहली फिल्म बनाई ‘कहता है दिल बार बार’। इससे पहले कुछ दिन उन्होंने एक टीवी चैनल टीवी एशिया भी चलाया। सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके राहुल ढोलकिया ने अग्निशमन दल कर्मियों पर हिंदी सिनेमा की पहली फिल्म बनाई है, ‘अग्नि’। ‘परजानिया’ से बरास्ते ‘लम्हा’ और ‘रईस’ यहां तक पहुंचे राहुल से ये खास बातचीत की ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने। 




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फिल्म रईस और अग्नि का पोस्टर
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

2017 में शाहरुख खान की फिल्म रईस का निर्देशन देने के बाद अब एक्सेल एंटरटेनमेंट ने आपको अग्नि का जिम्मा सौंपा है। आप दोनों का रिश्ता काफी मजबूत लगता है?

जब मैंने फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी को ये विचार सुनाया तो वह तुरंत इसके लिए राजी हो गए। पहले दिन से वह इस फिल्म में मेरे साथ रहे। पटकथा लिखने में फरहान की सलाह मेरे बहुत काम आई। ये लोग कमाल के फिल्म निर्माता है। 


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फायरमैन
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

ममूटी की फिल्म फायरमैन को छोड़ दें तो अग्निशमन दल पर कोई दूसरी भारतीय फिल्म तुरंत याद आती नहीं है, आपको ये विचार कैसे आया?

जब मैं विज्ञापन फिल्मों की दुनिया में था तो मैंने सुना था कि आइडिया की घंटी कभी भी बजती है। तो मुझे जहां तक याद पड़ता है, ये विचार उन्हीं दिनों का है जो मेरे अवचेतन मस्तिष्क में कहीं अटका रहा। उसके बाद जब मैंने इस पर फिल्म बनाने का सोचना शुरू किया तो इस पर शोध हुआ और ये फिल्म बनी। 


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अग्नि
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

हां, वो ट्रेलर में दिखता है कि आग का तापमान हजार डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा माने आग साजिशन लगाई गई है? आग की भी श्रेणियां होती हैं?

ये निर्भर करता है कि आग कितनी भयंकर है। आग को बुझाने के लिए कितने ट्रक बुलाए गए, इसका भी रिकॉर्ड होता है। कितने घंटे लगे आग में बुझाने में, इससे भी आग की गंभीरता पता चलती है। 


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राहुल ढोलकिया
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

और, फायर हाइड्रेंट्स का जिक्र है क्या फिल्म में? अभी हाल के दिनों तक शहरों में फुटपाथों पर लाल रंग के पाइप निकले रहते थे अंग्रेजों के जमाने के बने हुए, जिनसे आग लगने के समय पानी लेने की व्यवस्था की गई थी..

हां, ये हमारी योजना में तो शामिल था, लेकिन अब ये कहीं हैं ही नहीं। फायर हाइड्रेंट्स हमारी कहानी के शुरू में थे लेकिन शोध के दौरान हमें इनसे हटना पड़ा। वो तो छोड़िए, अब भी जो आग बुझाने के इंतजाम हम करके रखते थे, उनका ही परीक्षण कहां होता है। अग्निशामक यंत्रों की गुणवत्ता के परीक्षण पर ध्यान कम ही दिया जाता है। उनकी टेस्टिंग वगैरह भी समय समय पर नहीं होती।


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