Published On: Mon, Jun 9th, 2025

Public Opinion: ना बैठने की जगह, ना शुद्ध पानी… बस डिपो है या यातना गृह? जानें यात्रियों ने क्या बताया


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Jhunjhunu News: झुंझुनूं बस डिपो की बदहाल स्थिति यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन गई है. पांच करोड़ की स्वीकृत परियोजना भ्रष्टाचार, लापरवाही और फंडिंग की कमी के चलते अधूरी रह गई है. गंदगी, टूटी सुविधाएं और अव…और पढ़ें

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Public Opinion:झुंझुनूं बस डिपो के हालात से परेशान हुए यात्री, बजट हुआ पास पर का

हाइलाइट्स

  • झुंझुनूं बस डिपो की हालत खराब, यात्री परेशान
  • आधुनिक सुविधाओं का वादा अधूरा, बजट का काम रुका
  • भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही से परियोजना ठप

झुंझुनूं. झुंझुनूं बस डिपो की व्यवस्थाएं बेहद खराब हालात में पहुंच गई हैं. यहां आने वाले यात्री अव्यवस्थाओं के कारण काफी परेशान हैं. बस डिपो में फैली गंदगी, बैठने की ठीक व्यवस्था न होना और बाथरूम की बिगड़ी हालत लोगों को भारी असुविधा दे रही है. रोडवेज बस डिपो को आधुनिक बनाने के लिए पांच करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत हुआ था. लेकिन अब तक उसमें से एक करोड़ रुपए भी खर्च नहीं किए जा सके हैं.

बस डिपो से यात्रा कर रहे अंकित कुमार ने बताया कि वे पाली जा रहे थे, लेकिन डिपो की स्थिति ने उन्हें बेहद निराश किया. अंकित ने कहा कि अगर सुबह जल्दी बस पकड़नी हो तो डिपो के हालात और भी खराब नजर आते हैं. बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं होती. कैंटीन में भी कोई सुविधा नहीं मिलती. उन्होंने आरोप लगाया कि व्यवस्थाओं के नाम पर लगातार भ्रष्टाचार हो रहा है. रोडवेज डिपो इन दिनों अपने भ्रष्टाचार के कारण चर्चा में है.

बाहरी यात्रियों को भी हुई निराशा
झुंझुनूं के बगड़ निवासी, जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल में रहते हैं, किसी कार्यक्रम के सिलसिले में शहर आए थे. उन्होंने कहा कि लंबे समय बाद जब झुंझुनूं लौटे तो डिपो की स्थिति देखकर वे भी दुखी हो गए. आज जहां अन्य शहरों में आधुनिक बस डिपो बन रहे हैं, वहीं झुंझुनूं डिपो से समय पर कचरा तक नहीं उठाया जा रहा है. उन्होंने प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए और कहा कि बसों की व्यवस्था में सुधार और समय पर संचालन आवश्यक है.

सपनों की परियोजना, हकीकत में अधूरी
साल 2023 की गर्मियों में शुरू हुई इस महत्वाकांक्षी परियोजना में एसी वेटिंग हॉल, शानदार प्रवेश द्वार, मॉड्यूलर शौचालय, एलईडी टिकट विंडो, नई दुकानें, पूछताछ केंद्र और बेहतर पार्किंग जैसी आधुनिक सुविधाओं का वादा किया गया था. लेकिन एक साल नौ महीने बीत जाने के बाद भी यह सारी सुविधाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं.

प्रशासनिक उलझनों और फंडिंग के कारण रुका काम
परियोजना में देरी का कारण जानने पर ठेकेदार ने बताया कि शुरुआत में रोडवेज प्रशासन ने गेट बनाने के लिए ज़रूरी जगह ही नहीं दी. अब तक सिर्फ 50 लाख रुपए ही जारी हुए हैं, जबकि 1.5 करोड़ रुपए का काम पूरा किया जा चुका है. फंडिंग रुकने और ज़मीन न मिलने की वजह से निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है.

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