Operation Shield: Practice Of War Like Situation In Rajasthan Mock Drill In All 41 Districts Border Areas – Amar Ujala Hindi News Live

राजस्थान के सभी 41 जिलों में ऑपरेशन शील्ड के तहत युद्ध जैसी आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए मॉक ड्रिल्स का आयोजन किया जा रहा है। इस व्यापक स्तर के अभ्यास का उद्देश्य नागरिक प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियों और आमजन के बीच आपसी समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं की जांच करना है। जैसलमेर, अलवर, करौली, भीलवाड़ा और टोंक जैसे महत्वपूर्ण जिलों में आयोजित ये अभ्यास इस बात का प्रमाण हैं कि राजस्थान अब किसी भी आपदा से निपटने को पूरी तरह सतर्क और सुसज्जित हो रहा है।
जैसलमेर में युद्ध जैसी स्थिति का अभ्यास, फिर बजेगा सायरन
रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण जैसलमेर जिले में 31 मई को एक और मॉक ड्रिल आयोजित की गई, जिसमें शाम पांच बजे हवाई हमले का सायरन बजाया गया। इसके तुरंत बाद जिले के प्रमुख इलाकों में ब्लैकआउट लागू किया जाएगा, ताकि हवाई हमले जैसी वास्तविक स्थिति का अभ्यास किया जा सके। ड्रोन हमले और विस्फोट की परिकल्पना के बीच पुलिस, सेना, फायर ब्रिगेड, चिकित्सा और नागरिक सुरक्षा दल अलर्ट मोड में रहेंगे।
यह अभ्यास केंद्र सरकार के निर्देश पर किया जा रहा है और देश के चार राज्यों तथा दो केंद्र शासित प्रदेशों में एक साथ चलाया जा रहा है। जैसलमेर जैसे सीमावर्ती इलाके में इस प्रकार की मॉक ड्रिल इसलिए और भी जरूरी है क्योंकि यह भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ है और किसी भी संकट की स्थिति में प्रथम प्रतिक्रिया का केंद्र बनता है।
इससे पहले सात मई को हुई मॉक ड्रिल में कुछ प्रशासनिक खामियां जैसे सूचना विलंब और विभागीय समन्वय की कमी उजागर हुई थी। इन खामियों को दूर करने के लिए 31 मई की ड्रिल को अधिक संगठित, समन्वयित और यथार्थवादी तरीके से आयोजित किया गया।
अलवर के कॉलेज परिसर में सायरन बजते ही तीन मिनट में सक्रिय हुईं 12 विभागीय टीमें
बाबू शोभाराम राजकीय कला महाविद्यालय अलवर में आयोजित मॉक ड्रिल में प्रशासन की तत्परता का स्पष्ट उदाहरण देखने को मिला। ड्रिल की परिकल्पना के अनुसार जैसे ही कॉलेज परिसर पर हवाई हमला हुआ, प्राचार्य ने जिला प्रशासन को सूचित किया और महज दो से तीन मिनट में 12 विभागीय टीमें मौके पर पहुंच गईं।
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इन टीमों में पुलिस, दमकल, चिकित्सा, होमगार्ड, नगर निगम, परिवहन, PWD और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। जिला कलेक्टर डॉ. अर्तिका शुक्ला ने स्वयं ड्रिल की निगरानी की और बताया कि पिछली बार की तुलना में इस बार मेडिकल और रेस्क्यू ऑपरेशन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
घायल छात्रों को इमारत से बाहर निकालकर एंबुलेंस से प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भेजा गया, फायर ब्रिगेड ने आगजनी को नियंत्रित किया और पुलिस बल ने परिसर की सुरक्षा सुनिश्चित की। छात्रों और स्टाफ की सक्रिय भागीदारी ने इस अभ्यास को और अधिक वास्तविक और प्रभावी बना दिया।
करौली में एकजुटता और त्वरित प्रतिक्रिया का बेहतरीन प्रदर्शन
राजकीय महाविद्यालय करौली में आयोजित ऑपरेशन शील्ड मॉक ड्रिल में हवाई हमले की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन की टीमें सक्रिय हो गईं। घायल दिखाए गए 10–15 छात्रों को पहले मौके पर प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर उन्हें जिला अस्पताल तक पहुंचाया गया।
इस दौरान भीड़ नियंत्रण, रेस्क्यू ऑपरेशन, चिकित्सा सहायता और विभागीय समन्वय जैसे पहलुओं की गहन समीक्षा की गई। जिला कलेक्टर नीलाभ सक्सेना, एसपी बृजेश ज्योति उपाध्याय, एएसपी गुमनाराम, एसी धर्मेंद्र मीणा, एसडीएम और डीएसपी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौके पर मौजूद रहे और ड्रिल की संयुक्त निगरानी की। यह ड्रिल इस बात का संकेत थी कि करौली प्रशासन आपदा की घड़ी में एकजुट होकर त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
टोंक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कोठी नातमाम में हुई मॉक ड्रिल
गृह विभाग के निर्देश पर टोंक शहर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कोठी नातमाम में शनिवार को सिविल डिफेंस द्वारा आपातकालीन मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। मॉक ड्रिल के तहत विद्यालय में हवाई हमले से आग लगने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस, चिकित्सा, आरएसी, होमगार्ड, एंबुलेंस व फायर बिग्रेड समेत अन्य संबंधित विभागों की टीमें मौके पर लगभग तीन-चार मिनट में पहुंचीं। पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान एवं अतिरिक्त जिला कलेक्टर रामरतन सौकरिया ने स्वयं मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान विद्यालय में हवाई हमले की स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न विभागों की प्रतिक्रिया और समन्वय की जांच की गई। मॉक ड्रिल के दौरान सभी विभागों ने समन्वय के साथ राहत और बचाव कार्यों का प्रदर्शन किया।
अतिरिक्त जिला कलेक्टर सौंकरिया ने बताया कि इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य यह जांचना था कि आपदा की स्थिति में विभिन्न विभाग कितने सजग और तैयार हैं। इस तरह की मॉक ड्रिल से वास्तविक आपदा की स्थिति में तैयारियों की समीक्षा होती है और विभागों के बीच समन्वय मजबूत होता है।
एडीएम ने बताया कि पूर्व में सात मई को भी मॉक ड्रिल का अभ्यास किया गया था। उस दौरान पाई गई कमियों में इस बार सुधार किया गया। उन्होंने कहा कि हवाई हमले में 20 लोग घायल हुए हैं। इनमें पांच का प्राथमिक उपचार किया गया है। 15 घायलों को सआदत अस्पताल में भर्ती कराया गया है। चिकित्सकों द्वारा घायलों की स्थिति आकलन करने के पश्चात उन्हें आगे रेफर किया जाएगा।
पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान ने कहा कि पूर्व में रही कमियों का इस मॉक ड्रिल में सुधार किया गया। रेस्क्यू एजेंसियों के घटना स्थल तक पहुंचने के रास्ते को क्लियर कराया गया। साथ ही सभी एजेंसियों की ड्यूटी में प्रत्येक कार्मिक की ड्यूटी को चिन्हित किया गया। वास्तविक स्थिति में आने वाली चुनौतियों का आकलन किया गया।
इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ब्रिजेंद्र सिंह भाटी, तहसीलदार मानवेंद्र सिंह जायसवाल, पुलिस उपाधीक्षक होमगार्ड चाणक्य जायसवाल, सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता दीन मोहम्मद, सीएमएचओ शैलेंद्र चौधरी, पीएमओ हनुमान प्रसाद बैरवा एवं राजकीय महाविद्यालय के एनसीसी अधिकारी लेफ्निेंट बाकीर हुसैन समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे।
भीलवाड़ा के रिलायंस मॉल में की गई एयर स्ट्राइक, दिखी सतर्कता
भीलवाड़ा शहर के चित्तौड़ रोड स्थित रिलायंस मॉल में शनिवार शाम को एक मॉक ड्रिल आयोजित की गई। इसमें आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का प्रभावशाली प्रदर्शन देखने को मिला। यह अभ्यास एयर स्ट्राइक के कारण मॉल में आग लगने की काल्पनिक सूचना के आधार पर किया गया, जिसका उद्देश्य किसी भी आपात स्थिति में त्वरित एवं समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना था।
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इस रेस्क्यू ऑपरेशन में जिला प्रशासन, पुलिस, अग्निशमन विभाग, सिविल डिफेंस, स्वास्थ्य विभाग तथा विद्युत विभाग सहित विभिन्न एजेंसियों ने भाग लिया। सायरन बजाकर मॉल में मौजूद आमजन को आग लगने की सूचना दी गई, जिसके बाद मॉल में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया और घायलों को प्राथमिक उपचार के लिए सेफ हाउस एवं जिला चिकित्सालय में भेजा गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी स्वयं जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू ने की। उन्होंने नाथद्वारा सराय काशीपुरी स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय को बनाए गए सेफ हाउस का निरीक्षण कर वहां की चिकित्सा व्यवस्थाओं की समीक्षा की। इसके पश्चात वे महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय पहुंचे और गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों से मुलाकात कर उनके उपचार की जानकारी ली।
मॉक ड्रिल के अंत में राष्ट्रगान का आयोजन किया गया, जिससे कार्यक्रम को एक भावनात्मक और देशभक्ति पूर्ण समापन मिला। इस अवसर पर शहर विधायक अशोक कोठारी ने मॉक ड्रिल को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए जिला प्रशासन की प्रशंसा कर कहा कि इस तरह के अभ्यास आपातकालीन स्थितियों के लिए हमारी तैयारी को मजबूत करते हैं और आमजन को भी जागरूक बनाते हैं।
जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू ने कहा कि इस प्रकार की मॉक ड्रिल समय-समय पर आयोजित की जाती हैं, ताकि आपात स्थिति में त्वरित एवं प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने सभी विभागों, स्वयंसेवकों और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी की सराहना करते हुए लोगों से अपील की कि मॉक ड्रिल के दौरान घबराएं नहीं और प्रशासन का सहयोग करें।
इस आयोजन के दौरान पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह, एडीएम प्रशासन ओमप्रकाश मेहरा, एडीएम सिटी प्रतिभा देवठिया, सहित पुलिस, स्वास्थ्य, अग्निशमन, विद्युत विभाग एवं अन्य एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।
बालोतरा के उत्तरलाई एयरफोर्स स्कूल पर ‘ड्रोन हवाई हमले‘ की मॉक ड्रिल
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत शनिवार शाम बालोतरा के उत्तरलाई एयरफोर्स स्कूल में ‘ड्रोन हवाई हमले’ की मॉक ड्रिल का सफल आयोजन किया गया। इस दौरान आपातकालीन स्थिति में बचाव, राहत एवं अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के उपायों को जांचा गया।
हॉट लाइन के माध्यम से शाम छह बजे जिला कलक्ट्रेट स्थित सिविल डिफेंस कंट्रोल रूम पर उत्तरलाई एयरफोर्स स्कूल परिसर में ड्रोन से ‘हवाई हमला’ होने की सूचना मिली। कंट्रोल रूम कार्मिकों ने इसके बारे में तुरंत कंट्रोलर (जिला कलक्टर) टीना डाबी को बताया। उनके निर्देशानुसार सभी संबंधित विभागों को ‘ड्रोन हमले’ की सूचना देकर ‘घटना स्थल’ सिविल डिफेंस कार्यालय पर पहुंचने को कहा गया और सायरन बजाकर नागरिकों को सचेत किया गया।
‘ड्रोन हमले’ से भवन क्षतिग्रस्त हो गया और आग लग गई। चिकित्सा दल, एम्बुलेंस, नगर परिषद कार्मिक, सिविल डिफेंस, एसडीआरएफ, रसद विभाग, पुलिस, अग्निशमन सहित संबंधित सभी विभागों ने तुरंत ‘घटना स्थल’ पहुंचकर राहत एवं बचाव के लिए रेस्क्यू अभियान शुरु किया। नगर परिषद से पहुंचे अग्निशमन वाहन ने ‘ड्रोन हमले’ से हुई ‘आगजनी’ पर काबू पाया। जोधपुर से पहुंची एसडीआरएफ ने टीम कमांडर के नेतृत्व में दो लोगों को रोप रेस्क्यू तथा एक जने को ध्वस्त ढांचे से निकाला। एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस स्वयंसेवकों ने घायल हुए 46 लोगों को इलाज के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से ‘घटना स्थल’ पर बनाए अस्थाई अस्पताल पहुंचाया। यहां चिकित्सकों ने सभी की जांच कर उपचार शुरु किया। इस दौरान 46 मामूली घायलों का प्राथमिक उपचार कर छुट्टी दे दी गई, जबकि गंभीर रूप से घायल शेष छह जनों को प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर किया गया। इस दौरान एनसीसी और स्काउट गाइड विद्यार्थियों ने आपात स्थिति में निपटने में विशेष मदद की।
जिला कलक्टर टीना डाबी एवं जिला पुलिस अधीक्षक नरेंद्र मीना ने मौके पर पहुंचकर मॉक ड्रिल की कार्रवाई एवं व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। उन्होंने पूर्वाभ्यास के प्रति संतोष व्यक्त कर कहा कि सभी विभागों ने बेहतर समन्वय के साथ त्वरित रिस्पॉन्स कर आपातकालीन स्थिति से निपटने का अच्छा प्रयास किया। उन्होंने कहा कि सभी विभागों की प्रतिक्रिया का विश्लेषण कर रिस्पॉन्स व्यवस्था को और बेहतर किया जाएगा। इस दौरान हवाई हमले की चेतावनी प्रणाली, हॉट लाइन/रेडियो लिंक, नियंत्रण कक्षों की कार्यप्रणाली, मेडिकल, रसद और अग्निशमन जैसी व्यवस्थाओं को मॉक ड्रिल कर जांचा गया।
इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलक्टर राजेंद्र सिंह चांदावत, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जस्साराम बोस, उपखंड अधिकारी वीरमा राम सहित प्रशासन, पुलिस, सिविल डिफेंस अधिकारी, एनसीसी, एनएसएस, वॉलंटियर्स मौजूद रहे। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व सात मई को भी केन्द्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार रेलवे स्टेशन बाड़मेर पर एयर रेड मॉक ड्रिल का सफल आयोजन किया गया था।
नागरिकों से अपील- घबराएं नहीं, सहयोग करें
राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि यह केवल एक पूर्व नियोजित अभ्यास है, अतः सायरन बजने, लाइट बंद होने या सुरक्षा बलों की गतिविधियों से घबराएं नहीं। नागरिकों से कहा गया है कि वे अपने घरों या प्रतिष्ठानों में रहें, प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें और किसी भी आपात स्थिति में संबंधित कंट्रोल रूम से संपर्क करें।
पूर्वाभ्यास ही है भविष्य की सुरक्षा की नींव
‘ऑपरेशन शील्ड’ जैसे अभ्यास महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह उस सजग और सशक्त तंत्र का प्रमाण हैं, जो किसी भी संकट की घड़ी में जनहानि को कम से कम रखने के लिए कार्य करता है। जैसलमेर जैसे सीमांत जिलों से लेकर अलवर और करौली जैसे शैक्षणिक और प्रशासनिक केंद्रों तक फैले ये अभ्यास दिखाते हैं कि राजस्थान अब न केवल संकट की आहट को पहचानता है, बल्कि उससे लड़ने के लिए तैयार भी है।