Nerchowk Medical College Is Built On Private Land Owner Demanded Compensation Of 10 Billion Rupees – Amar Ujala Hindi News Live


कोर्ट फैसला
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नेरचौक में स्थापित मेडिकल कॉलेज सहित अन्य संपत्तियों पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद अब मेडिकल कॉलेज सहित अन्य संस्थानों के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भूमि के मालिक ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में इजराय याचिका दायर कर इस संपत्ति का 10 अरब से अधिक मुआवजा मांगा है।
इस मामले के तथ्यों के अनुसार गत वर्ष 19 जुलाई को उच्चतम न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय एस ओका और संजय करोल की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को रद्द कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने प्रदेश उच्च न्यायालय के डिविजन बेंच के फैसले को बरकरार रखते हुए माना था कि यह प्रदेश सरकार की ओर से स्वीकार किया गया है कि भूमि का मालिक सुल्तान मुहम्मद विभाजन के बाद कभी पाकिस्तान नहीं गया था, बल्कि वह साल 1983 में अपनी मृत्यु तक हिमाचल में रहा था। ऐसे में उन्हें विस्थापित नहीं कहा जा सकता। इन तथ्यों को स्वीकारने के बावजूद प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले की अपील करने के फैसले को उच्चतम न्यायालय ने अनुचित मानते हुए प्रदेश सरकार पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट भी लगाई थी।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में माना था कि याचिकाकर्ताओं के पूर्वज सुल्तान मोहम्मद को मुहाल नेर और भंगरोटू की वादग्रस्त भूमि का मालिक था। मगर सरकार ने भूमि को विस्थापित भूमि घोषित कर इसकी नीलामी कर दी थी और इसे विभिन्न विभागों को दे दिया था।
उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद अब सुल्तान मुहम्मद के उत्तराधिकारी मीर बक्श तथा अन्यों ने अधिवक्ता आरएल चौधरी और एचआर सिद्धु के माध्यम से प्रदेश उच्च न्यायालय में इजराय याचिका दायर की है। इसमें याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर स्थित है और यह राजमार्ग से सौ मीटर के भीतर स्थित है और ऐसे में इसकी कीमत करीब 15 लाख बिस्वा है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार नेर मुहाल में उनकी 67 बीघा और भंगरोटू मुहाल में 25 बीघा जमीन है, जिसकी मुआवजा राशि करीब दस अरब रुपये बनता है।