Published On: Fri, Jun 7th, 2024

NDA गठबंधन: संसद के सेंट्रल हॉल में NDA सांसदों की बैठक आज, मंत्रालयों के बंटवारे पर बातचीत होगी; मोदी 9 जून को शपथ लेंगे


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नई दिल्ली15 मिनट पहले

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5 जून को NDA की पहली बैठक पीएम आवास में शाम 4 बजे हुई थी। - Dainik Bhaskar

5 जून को NDA की पहली बैठक पीएम आवास में शाम 4 बजे हुई थी।

नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) की संसदीय दल की बैठक आज सुबह 11 बजे संसद के सेंट्रल हॉल में होगी। इसमें सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा। साथ ही NDA सांसदों के बीच मंत्रालयों के बंटवारे पर भी सहमति बनाने की कोशिश होगी।

न्यूज एजेंसी ANI के सूत्रों का कहना है कि 9 तारीख को नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। उन्हें NDA का नेता बुधवार को ही चुन लिया गया था।

मोदी ने बुधवार को राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपा था। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर 17वीं लोकसभा भंग कर दी। हालांकि, नई सरकार के गठन तक मोदी कार्यवाहक प्रधानमंत्री हैं।

नड्डा के आवास पर भाजपा नेताओं की बैठक
दिल्ली में गुरूवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर को अहम बैठक हुई। इसमें अमित शाह और राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे। बैठक में नई सरकार बनाने, भाजपा और उसके सहयोगी दलों को मंत्रिमंडल में जगह देने और शपथ ग्रहण की तैयारियों समेत कई मुद्दों पर चर्चा की खबर है।

भाजपा को बहुमत नहीं, 14 सहयोगी दलों के 53 सांसदों का समर्थन
लोकसभा चुनाव में भाजपा को 240 सीटें मिली हैं। यह बहुमत के आंकड़े (272) से 32 सीटें कम हैं। हालांकि, NDA ने 293 सीटों के साथ बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया। NDA में भाजपा के अलावा 14 सहयोगी दलों के 53 सांसद हैं।

गठबंधन में चंद्रबाबू की TDP 16 सीटों के साथ दूसरी और नीतीश की JDU 12 सीटों के साथ तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। दोनों ही पार्टियां इस वक्त भाजपा के लिए जरूरी हैं। इनके बिना भाजपा का सरकार बनाना मुश्किल है।

16 मंत्री चुनाव हारे, 35-40 नए चेहरे शामिल हो सकते हैं

NDA ने नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुन लिया है। लगातार तीसरी बार उनका प्रधानमंत्री बनना तय है। हालांकि, इस बार उनकी कैबिनेट बिल्कुल नई नजर आएगी। इसमें 40 नए चेहरे शामिल हो सकते हैं। भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए कि आखिर अमित शाह, राजनाथ सिंह जैसे कुछ प्रमुख चेहरों को छोड़कर इस बार क्यों बदल जाएगी कैबिनेट…

मंत्रिमंडल में महाराष्ट्र के 5-6 चेहरों को मिल सकती है जगह
मोदी सरकार के नए कैबिनेट में महाराष्ट्र के 5-6 चेहरों को शामिल करने की चर्चा है। सूत्रों के मुताबिक, सभी पार्टियों के लिए 5 सांसद पर एक कैबिनेट मंत्री पद का फॉर्मूला तय हुआ है। नितिन गडकरी, नारायण राणे और पीयूष गोयल का नाम मंत्री पद के रेस में आगे है।

शिवसेना (शिंदे गुट) एक कैबिनेट मंत्री और एक राज्यमंत्री का पद मांग रही है। NCP (अजित गुट) भी एक कैबिनेट पद की डिमांड रख सकती है। NDA सरकार के प्रति मराठाओं की नाराजगी कम करने के लिए एक मंत्री मराठा समुदाय से बनाया जा सकता है।

महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में भाजपा ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की है। इस हिसाब से भाजपा के दो सांसदों को मंत्री बनाया जा सकता है। वहीं, सहयोगी पार्टी शिवसेना (शिंदे) को 7 सीटें और NCP (अजित) को 1 सीट मिली है। इन्हें 1-1 मंत्री पद मिलने की संभावना है।

भाजपा का JDU-TDP से तालमेल चुनौती, कई फैसले-रिफॉर्म्स लटकेंगे

भाजपा के पास बहुमत नहीं है। गठबंधन की सरकार में सहयोगी पार्टियां भाजपा के पिछले फैसलों और कई रिफॉर्म्स को लागू करने में रोड़ा बन सकती है।

दरअसल, गठबंधन में अहम भूमिका निभाने वाली JDU और TDP के अपने-अपने हित हैं। अतीत में एन. चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार दोनों के भाजपा के साथ उतार-चढ़ाव भरे रिश्ते रहे हैं।

विश्लेषक बताते हैं कि ऐसे में भाजपा को 10 सालों से जारी सुधार के अहम कदमों, प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में डालने पड़ सकते हैं।

वो 6 बड़े मुद्दे, जिन पर ठिठक सकते हैं कदम

एक देश-एक चुनाव: इस पर आगे बढ़ना मुश्किल होगा। TDP इसके विरोध, जबकि JDU समर्थन में है। विरोध करने वाला विपक्ष भी मजबूत हुआ है।

परिसीमन : भाजपा ने 2029 तक महिला आरक्षण का वादा किया है। यह परिसीमन पर ही लागू होगा। दक्षिण में असर के चलते TDP विरोध में है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड : भाजपा इसे देश में लागू करने को तैयार थी। अब पार्टी इसे राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से हटा सकती है।

काशी-मथुरा : राम मंदिर का फायदा न मिलने से इन पर दावे की प्रक्रिया धीमी पड़ सकती है।

विनिवेश : JDU सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विनिवेश के विरोध में रही है। भाजपा को इससे कदम पीछे खींचने पड़ सकते हैं। पार्टी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की भी मांग करती रही है

मुस्लिम आरक्षण : TDP ने 2018 में आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा न देने के मुद्दे पर भाजपा से नाता तोड़ लिया था। अब वह फिर मांग दोहरा सकती है। यही नहीं, आंध्र में मुस्लिमों को 4% आरक्षण के मुद्दे पर भी दोनों पार्टियों के अहम टकरा सकते हैं।

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