Murrah Buffalo Gives 20 liters of milk Know its unheard story

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एक भैंस की नस्ल विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान के जालौर जिले, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के आसपास के इलाकों में पाई जाती है. इस भैंस अपने उच्च दुग्ध उत्पादन के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है और भारतीय डेयरी उद्य…और पढ़ें

“काला सोना” मुर्रा भैंस: राजस्थान की विशेष दुधारू नस्ल…
हाइलाइट्स
- मुर्रा भैंस को ‘काला सोना’ कहा जाता है.
- यह भैंस रोजाना 8 से 20 लीटर दूध देती है.
- मुर्रा भैंस की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी होती है.
जालोर:- पश्चिमी राजस्थान के जालौर जिले की मुर्रा भैंस अपने बेहतरीन दुग्ध उत्पादन के कारण किसानों और डेयरी उद्योग में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. भारत की एक खास और महत्वपूर्ण भैंस नस्ल के बारे में आज लोकल 18 आपको बताने वाला है, जिसे ‘काला सोना’ भी कहा जाता है.
दरअसल मुर्रा भैंस नस्ल विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान के जालौर जिले, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के आसपास के इलाकों में पाई जाती है. मुर्रा भैंस अपने उच्च दुग्ध उत्पादन के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है और भारतीय डेयरी उद्योग की रीढ़ मानी जाती है.
आसान है इस नस्ल की भैंस को पहचानना
डेयरी संचालक मोइन खान ने बताया कि मुर्रा भैंस की सबसे बड़ी खासियत इसका दूध उत्पादन है. एक मुर्रा भैंस औसतन रोजाना 8 से 16 लीटर दूध देती है और सही पोषण व देखभाल के साथ यह दूध उत्पादन 20 लीटर तक भी पहुंच सकता है. इसकी काली चमकदार त्वचा, घुमावदार सींग और मजबूत शरीर इसे पहचानने में आसान बनाते हैं. यही कारण है कि इसे ‘काला सोना’ कहा जाता है, क्योंकि यह किसानों के लिए आय का एक स्थिर और महत्वपूर्ण स्रोत है.
मुर्रा भैंस न केवल अधिक दूध देती है, बल्कि इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत अच्छी होती है. यह भैंस गर्म और शुष्क जलवायु में आसानी से अनुकूलित हो जाती है, जिससे किसानों को इसकी देखभाल में कम परेशानी होती है. राजस्थान के जालौर जिले में इसकी परंपरा बहुत पुरानी है, और आज भी यहां की मुर्रा भैंस देश के अन्य हिस्सों में पाली जा रही है.
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पशुपालकों की आय का बेहतर स्रोत
अगर हम गायों की बात करें, तो साहीवाल नस्ल को भारत की सर्वश्रेष्ठ दुधारू गाय माना जाता है. मुर्रा भैंस और साहीवाल गाय, दोनों ही भारतीय देसी नस्लें हैं, जो किसानों के जीवन को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं. भारत में डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए मुर्रा भैंस का संरक्षण और वैज्ञानिक पालन आवश्यक है. यह नस्ल न केवल पारंपरिक खेती के लिए उपयुक्त है, बल्कि आधुनिक डेयरी फार्मिंग के लिए भी सबसे उपयुक्त विकल्प बन चुकी हैं.