Muharram: बेल्जियम के शीशे से नौबतखाना बना आकर्षण का केंद्र, मोमबत्तियों की रौशनी से आसपास का इलाका जगमग


शीशे से नौबतखाना बना आकर्षण का केंद्र
– फोटो : अमर उजाला
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नालंदा में नौबतखाना जैसे ही सड़कों पर निकला, लोगों की भारी भीड़ इसकी खूबसूरती देखने के लिए उमड़ पड़ी। अखाड़े के युवकों ने विभिन्न करतब दिखाकर लोगों का मनोरंजन किया। इलाके में इमाम हुसैन की याद में शोक गीत गूंज रहे थे।
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सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
जिला प्रशासन ने जुलूस के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहें। वहीं डीएम-एसपी भी मुहर्रम जुलूस को लेकर पूरी तरह अलर्ट पर रहें। जिलाधिकारी ने कहा कि जिन लोगों ने भी शर्तों का पालन करने का आश्वासन दिया उन्हें लाइसेंस निर्गत की गई है। बिहारशरीफ में तीन अखाड़ा के द्वारा लाइसेंस लिया गया है। अन्य अखाड़े को भी नियमों के अनुसार लाइसेंस निर्गत किया जाएगा। वहीं एसपी अशोक मिश्रा ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था काफी पुख्ता है। सीआरपीएफ, क्यूआरटी,बाइक पेट्रोलिंग, सभी पूरी तरह से मुस्तैद है।
मुहर्रम का महत्व
मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है। इस महीने में, मुसलमान इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं। वे ताजिया और सिपल बनाकर जुलूस निकालते हैं और इमाम हुसैन और कर्बला में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह महीना मुसलमानों के लिए शोक का महीना होता है। वे इमाम हुसैन के बलिदान को याद करते हैं और उनके संदेश को लोगों तक पहुंचाते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि इमाम हुसैन ने इस्लाम और मानवता के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी।
मुहर्रम का महत्व
मुहर्रम का महीना इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद खास होता है। यह महीना उन्हें इमाम हुसैन के बलिदान और त्याग को याद करने का अवसर प्रदान करता है।