Minor missing for 8 months, High Court reprimands Pali SP | नाबालिग 8 माह से गायब, हाईकोर्ट से पाली-एसपी को फटकार: HC ने कहा- बिना पढ़े शपथ पत्र कैसे साइन कर सकते हैं एक आईपीएस? – Jodhpur News

पाली जिले से करीब 8 महीने पहले गायब हुई नाबालिग को ढूंढने में नाकाम रही पाली पुलिस को राजस्थान हाईकोर्ट से फटकार लगाई गई है। इससे एक दिन पहले कोर्ट ने पाली पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और एसपी द्वारा पेश हलफनामा, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार
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दरअसल, पाली जिले की एक नाबालिग के गत 10 अक्टूबर 2024 से गायब होने पर उसके पिता ने एफआईआर दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस उस नाबालिग को दस्तयाब करने की बजाय औपचारिकताएं ही करती रही। इससे परेशान होकर पीड़ित ने अधिवक्ता रिपुदमन सिंह मय अधिवक्ता ललकारसिंह के माध्यम से 15 जनवरी को हैबियस कॉर्पस रिट दायर की। उस पर हाईकोर्ट ने 38 अप्रैल को संज्ञान लेते हुए पाली पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया कि नाबालिग के गायब होने के मामले में अब तक क्या-क्या कार्रवाई की गई, उसकी विस्तृत जानकारी के साथ 26 मई को नाबालिग को ढूंढकर कोर्ट के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए थे।
अपने ही अधीनस्थ साइबर सैल से पत्राचार को कोर्ट ने माना गंभीर औपचारिकता
अधिवक्ता सिंह ने बताया कि 26 मई को इस मामले में सुनवाई हुई। तब, AAG दीपक चौधरी ने पाली पुलिस अधीक्षक की ओर से 19 पैराग्राफ का विस्तृत हलफनामा पेश किया। इसका अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने हलफनामा के पैरा संख्या 17, 18 व 19 पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से इस तरह के हलफनामे की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
दरअसल इन्हीं तीनों पैरा में पुलिस अधीक्षक की ओर से कुछ पत्रों का उल्लेख किया गया था, जो उन्हीं के अधीनस्थ साइबर सैल को लिखे गए थे और साइबर सैल द्वारा एसपी को जवाब दिए गए थे। कोर्ट ने इस हलफनामे को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि पुलिस अधीक्षक का यह हलफनामा इतनी औपचारिक प्रकृति का है। इसके लिए पाली पुलिस अधीक्षक को 27 मई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर स्पष्ट करे, कि किन परिस्थितियों में, जिसमें कॉर्पस एक नाबालिग है, उस केस में अनौपचारिक हलफनामा प्रस्तुत किया गया है।
फटकार लगी, मांगी 10 दिन की मोहलत, कोर्ट ने एक महीने का समय दिया
एडवोकेट सिंह ने बताया कि मंगलवार को पाली पुलिस अधीक्षक व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए। यहां हाईकोर्ट ने अनौपचारिक हलफनामा पेश करने को लेकर फटकार लगाते हुए एसपी के खिलाफ ही एक्शन तक लेने की बात कही। बाद में एसपी चूनाराम जाट ने गलती स्वीकार करते हुए कोर्ट को आश्वस्त किया कि आगे से अधिक सावधानी बरती जाएगी। साथ ही उन्होंने नाबालिग को ढूंढने के लिए कोर्ट से 10 दिन का समय मांगा। तब कोर्ट ने पुलिस को एक महीने की मोहलत देते हुए स्पष्ट कहा कि इसके बाद भी नाबालिग को कोर्ट में पेश नहीं किया, तो पुलिस अधीक्षक पर हाईकोर्ट कार्रवाई कर सकता है। अब इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई के पहले सप्ताह में निर्धारित की गई है।