Published On: Sat, Jan 4th, 2025

Market: 2025 के पहले तीन दिन में ही FPI ने भारतीय बाजार से ₹4285 करोड़ निकाले, इसके कारण और समाधान क्या? जानें


FPI sold equities worth Rs 4285 Cr in just 3 trading sessions of 2025, Know reasons and solutions

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विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय इक्विटी बाजार में 2025 की शुरुआत सावधान रवैये के साथ की है। नए साल के पहले तीन कारोबारी सत्रों में ही एफपीआई की ओर से 4,285 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली हुई है। नेशनल सेक्यूरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों से इसकी पुष्टि होती है। आंकड़ों से पता चलता है कि 2025 के पहले ही दिन एफपीआई की ओर से इक्विटी में सबसे बड़ी बिकवाली की गई। उस दिन एफपीआई ने 5,351 रुपये भारतीय इक्विटी बाजार से निकाल लिए।

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बीते साल की तुलना में एफपीआई की खरीदारी में 99 फीसदी की कमी

हालांकि, दिसंबर महीने के आंकड़े बताते हैं कि पिछले महीने एफपीआई का बाजार में निवेश सकारात्मक रहा। दिसंबर में एफपीआई ने शुद्ध रूप से 15,446 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी। ऐसे तो 2024 का समापन हरे निशान पर हुआ, पर भारतीय इक्विटी बाजार में एफपीआई का शुद्ध खरीद मूल्य, इस दौरान 427 करोड़ रुपये कम हो गया। पिछले साल की तुलना में भारतीय बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की खरीदारी में 99 प्रतिशत की भारी गिरावट आई।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती लौटने से भारतीय बाजार में नरमी

अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मजबूत प्रदर्शन, शेयर बाजार में लचीलापन और ब्याज दरों के लंबे समय तक उच्च रहने के कारण अमेरिकी बॉन्ड्स, मुद्रा व इक्विटी बाजार में निवेशकों का पर्याप्त झुकाव बढ़ा। इस बदलाव की कीमत भारत जैसे उभरते बाजारों को चुकानी पड़ी। इसके अलावे, भारतीय शेयरों के उच्च मूल्यांकन, जीडीपी के अनुपात में मार्केट कैप अधिक रहने, वृद्धि दर में सुस्ती, कमजोर आद्यौगिक उत्पादन और कंपनियों की आय में कमी से शेयर बाजार में नरमी आई।

विदेशी निवेशकों का भरोसा लौटे, इसके लिए क्या जरूरी?

साल की शुरुआत में हुई बिकवाली विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के सर्तक रुख का संकेत देते हैं। वे वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घरेलू कारकों के बीच पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं। इससे साल की शुरुआत में बाजार में संभावित उठापटक दिख सकती है। एफपीआई निवेश में कमी संकेत देते हैं कि देश को बिना समय गंवाए वैश्विक और घरेलू चुनौतियों का समाधान निकालना होगा, जिससे विदेशी निवेश बरकरार रहे और भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी को बढ़ावा मिले।

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