Published On: Fri, Nov 22nd, 2024

Manipur Violence: अस्पताल से लाए गए जिरीबाम हिंसा में मृत लोगों के शव, गतिरोध खत्म; अब अंतिम संस्कार की तैयारी


Manipur Violence: Bodies of people killed in Jiribam violence brought from hospital, deadlock ends

मणिपुर हिंसा को नियंत्रित करते सुरक्षा बल (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : एएनआई (फाइल)

विस्तार


मणिपुर में चल रही हिंसा दिन-प्रतिदिन और भयावह होती जा रही हैं। इसी बीच जिरीबाम में मारे गए लोगों के शवों को अस्पताव से वापस लाने का फैसला किया है। अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि मणिपुर के जिरीबाम जिले में एक संयुक्त कार्रवाई समिति ने उस हिंसा में मारे गए मैतेई समुदाय के नौ लोगों के शवों को असम के सिलचर से उनके पैतृक गांवों में वापस लाने का फैसला किया है ताकि उनका अंतिम संस्कार किया जा सके। 

वाई संयज ने जारी किया वीडियो संदेश

इस मामले में समिति के संयोजक वाई संजय ने एक वीडियो संदेश में कहा कि शवों को सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए रखा गया था जिन्हें अब जिरीबाम भेजा जाएगा, जहां उनके परिवार के सदस्य अंतिम संस्कार करेंगे। बता दें कि 11 नवंबर को सुरक्षा बलों और कुकी-जो उग्रवादियों के बीच गोलीबारी के दौरान नौ लोग लापता हो गए थे। जिनमें 10 उग्रवादी मारे गए थे। 

वहीं कुछ दिनों बाद जिरीबाम जिले के जकुरधोर में दो बुजुर्गों के जलने हुए शव मिले और फिर तीन महिलाओं और तीन बच्चों के शव जिरीबाम और असम के कछार जिले में नदियों में तैरते हुए पाए गए। उन्हें कथित तौर पर कुकी-जो उग्रवादियों ने एक राहत शिविर से अगवा किया था। ये शव अत्यधिक सड़े-गले थे और पोस्टमार्टम के लिए एसएमसीएच भेजे गए थे। मृतकों में युमरेम्बम रानी देवी, तेलेम थोइबी देवी, उनकी बेटी तेलेम थजमनबी देवी, लैशराम हेथोइबी देवी, और उनके दो बच्चों लैशराम चिंगखेनगांबा सिंह और लैशराम लमंगनबा सिंह शामिल थे। 

शव मिलने के बाद भड़की हिंसा

जानकारी के अनुसार इन शवों के मिलने के बाद जिरीबाम जिले और इंफाल घाटी में हिंसा भड़क उठी। विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की, जिसमें एक प्रदर्शनकारी अथौबा मारा गया। उसका शव भी पोस्टमार्टम के लिए एसएमसीएच भेजा गया।

बता दें कि शुरुआत में समिति ने तब तक शवों को अंतिम संस्कार के लिए नहीं लाने का निर्णय लिया था, जब तक मणिपुर सरकार उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन नहीं देती। लेकिन जब राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने का निर्णय लिया, तो समिति ने शवों को अंतिम संस्कार के लिए वापस लाने का फैसला किया। 

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