लंबे समय से हिंसा का दंश झेल रहे मणिपुर में इन दिनों सरकार गठन की कवायद तेज है। राज्य में सरकार बनाने के क्रम में में इंफाल में विधायक ठा. बिस्वजीत सिंह के आवास पर 25 भाजपा विधायकों की बैठक चल रही है। इससे दो दिन पहले, भाजपा नीत एनडीए के 10 विधायक सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए इंफाल में राजभवन पहुंचे थे। उन्होंने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर 44 विधायकों के समर्थन का दावा किया था।
Trending Videos
मणिपुर में सरकार गठन की कवायद ने पकड़ा जोर
गौरतलब है कि मणिपुर में विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए बुधवार को राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की थी। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को समर्थन का औपचारिक पत्र सौंपा और मौजूदा राजनीतिक अनिश्चितता के बीच एक स्थिर शासन विकल्प प्रदान करने की अपनी तत्परता दोहराई थी। इस मुलाकात के बाद विधायक राधेश्याम ने कहा था, ‘हमारे पास 44 विधायकों का समर्थन है और सभी भाजपा विधायक जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने वाली सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने राज्यपाल से बहुमत पर विचार करने और त्वरित कार्रवाई करने की भी अपील की थी।
21 विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था
इससे पहले 21 विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर पूर्वोत्तर राज्य में शांति और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए ‘लोकप्रिय सरकार’ बनाने का आग्रह किया गया था। पत्र पर भाजपा के 13, एनपीपी-नगा पीपुल्स फ्रंट के तीन-तीन और विधानसभा के दो स्वतंत्र सदस्यों के हस्ताक्षर थे।
साल 1967 से मणिपुर में अब तक 11 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है। राज्य में 43 से लेकर 277 दिनों तक राष्ट्रपति शासन रहा है।
पहली बार राष्ट्रपति शासन 19 जनवरी 1967 से 19 मार्च 1967 यानी 66 दिन तक लगाया गया था। उस समय मणिपुर केंद्र शासित विधानसभा का पहला चुनाव होना था।
दूसरी बार 25 अक्तूबर 1967 से 18 फरवरी 1968 तक 116 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया। तब मणिपुर में राजनीतिक संकट आ गया था। उसके बाद किसी दल के पास स्पष्ट बहुमत नहीं था।
तीसरा बार राज्य में 17 अक्तूबर 1969 से 22 मार्च 1972 तक दो साल 157 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगा। उस वक्त पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग के दौरान हिंसा हुई। कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई थी।
चौथी बार 28 मार्च 1973 से 3 मार्च 1974 तक राष्ट्रपति शासन लगा था। उस वक्त विपक्ष के पास इतना कम बहुमत था कि वह स्थायी सरकार नहीं बना सकता था।
पांचवीं बार 16 मई 1977 से 28 जून 1977 तक 43 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगा। दलबदल के चलते सरकार गिर गई थी।
छठी बार 14 नवंबर 1979 से 13 जनवरी 1980 तक 60 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगा। उस वक्त राजनीतिक कारण जिम्मेदार रहे। जनता पार्टी सरकार के साथ असंतोष और भ्रष्टाचार के आरोप सरकार की बर्खास्तगी का कारण बना। विधानसभा भंग कर दी गई।
सातवीं बार 28 फरवरी 1981 से 18 जून 1981 तक राष्ट्रपति शासन लगा। तब भी राजनीतिक कारणों के चलते राज्य में स्थायी सरकार का गठन नहीं हो सका।
आठवीं बार 7 जनवरी 1992 से लेकर 7 अप्रैल 1992 तक 91 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगा। उस वक्त दलबदल के चलते गठबंधन सरकार गिर गई थी।
नौंवी बार 31 दिसंबर 1993 से 13 दिसंबर 1994 तक 347 दिन तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा। तब इसका कारण नगा और कुकी समुदाय के बीच हिंसा हुई थी। वह हिंसा लंबे समय तक चली, जिसमें सैंकड़ों लोग मारे गए थे।
10वीं बार 2 जून 2001 से 6 मार्च 2002 तक 277 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगा था। उस वक्त सरकार ने बहुमत खो दिया था।
11वीं बार 13 फरवरी 2025 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। यह अब भी जारी है।