Mahabharat: केवल एक दिन में ही कैसे पैदा हो गए कर्ण, वो भी बगैर कुंती के गर्भ में आए
कुंती ने कर्ण को विशेष तरह से अपनी शादी से पूर्व ही एक मंत्र की ताकत से जन्म दिया थाचूंकि वह तब तक अविवाहित थीं लिहाजा उन्होंने चुपचाप कर्ण को नदी में बहा दियामहाभारत में कई जन्म दैवीय तरीके से हुए थे, इसलिए वो गर्भ की 9 महीने की सीमा से परे थे
जब कुंती कुंवारी थीं तो उन्होंने कर्ण को जन्म दे दिया था. कर्ण का जन्म भगवान सूर्य के कुंती के पास आने से हुआ. वह महज एक दिन में ही पैदा हो गए और वह भी बगैर कुंती के गर्भ में आए बगैर. आखिर ऐसा कैसे हो सकता है. इसकी क्या वजह महाभारत और शास्त्रों में बताई गई. इसके बारे में जो बताया गया, वो हैरत में डालने वाला है.
कर्ण का जन्म कुंती से हुआ, जो यदुवंशी राजा शूरसेन की पुत्री थीं. उन्होंने अपने महल में आए दुर्वासा ऋषि की श्रृद्धा के साथ आवभगत की. उनकी आवभगत से ऋषि खुश हो गए. उन्होंने कहा, मैं तुम्हें एक गुप्त मंत्र सिखाऊंगा. इस मंत्र को जपने के बाद तुम जिस देवता को पुकारोगी, वो तुमसे मिलने आएगा. तुम्हें अपनी महिमा के अनुसार पुत्र प्रदान करेगा.
…और तब सूर्यदेव कुंती के सामने आ गए
एक दिन कुंवारी कुंती ने कौतुहलवश जब आकाश में सूर्य को चमकते देखा, तो उसे लगा कि क्या अगर वह मंत्र पढ़कर सूर्य को बुलाएगी तो वह आएंगे. ये सोचते हुए उसने मंत्र पढ़ा और सूर्य देव का ध्यान किया.एकाएक आकाश में अंधेरा छा गया. क्योंकि चमकदार सूर्यदेव आकाश को छोड़कर कुंती के पास आ पहुंचे. सूर्य की किरणें उनके चारों ओर चमक रही थीं. लंबे और भारी सोने के झुमके और कुंडल उनके कानों में लटके हुए थे.
कुंती को ञषि दुर्वासा ने एक मंत्र दिया था, जिससे वो किसी भी देवता को बुलाकर उससे पुत्र प्राप्त कर सकती थीं (image generated by Leonardo AI)
सूर्य ने कहा, कुंती तुम्हें अब मुझसे पुत्र तो मिलेगा ही
वह अविश्वसनीय तौर पर सुंदर थे. सूर्यदेव ने कहा, तुमने मुझे बुलाया इसलिए मैं आय़ा हूं और अब तुम्हें अपने समान बलवान और पराक्रमी पुत्र दूंगा. कुंती डर गई. बोली, सूर्यदेव ऐसा कैसे हो सकता है, मेरे तो कोई पति नहीं है, ऐसे में मेरा पुत्र कैसे हो सकता है. सूर्य का जवाब था, ये तो टाला ही नहीं जा सकता, क्योंकि तुमने मेरा आह्वान करके मुझको बुलाया है लेकिन तुम डरो मत.
डरी हुई कुंती ने एक दिन में बच्चे को जन्म दिया
सूुर्यदेव ने आगे कहा, अब तुम मेरे पुत्र को जन्म दोगी, देवताओं के बच्चे एक दिन में ही पैदा हो जाते हैं, तुम डरो मत. अगली शाम कुंती ने एक सुंदर शिशु को जन्म दिया. वह सोने का कवच और कुंडल पहने हुए जन्मा. वह अपने पिता सूर्य के तेज से चमक रहा था. जो कुछ हुआ, उसके बारे में कहीं उसके पिता न जान जाएं, इससे भयभीत कुंती ने शिशु को एक पुआल की टोकरी में रखा और टोकरी में रखकर यमुना नदी में बहा दिया. इस प्रार्थना के साथ कि उसका ये पुत्र सुरक्षित रहे.
फिर कर्ण को अधिरथ और राधा ने पाया
यमुना में बहते हुए कर्ण को अधिरथ और राधा ने पाया. उन्होंने उसका पालन-पोषण किया.महाभारत में ये जिक्र है कि कुंती ने नवजात कर्ण को गंगा में बहाया था, दरअसल ये यमुना आगे जाकर गंगा में मिलीं, वहीं शिशु किनारे लगकर राधेय को मिला.
कर्ण सोने का कवच और सोने के कुंडल पहने हुए पैदा हुए थे. हालांकि बाद में कुंती ने कुंवारी ही मां बनने से डर गईं और उन्हें पैदा होते ही टोकरी में रखकर नदीं में बहा दिया. (image generated by Leonardo AI)
क्या बगैर गर्भ में आए भी जन्म हो सकता है
अब ये जानते हैं कि क्या कर्ण का जन्म कुंती के गर्भ में आए बगैर हुआ था या कुंती ने उन्हें बकायदा गर्भ में धारण किया था. महाभारत की कथा के अनुसार, कर्ण का जन्म बिना कुंती के गर्भ में आए ही हुआ था. यह एक दैवीय और चमत्कारिक घटना थी, जो कुंती को ऋषि दुर्वासा द्वारा दिए गए एक विशेष वरदान के कारण संभव हुई.
ये कैसे संभव हुआ होगा
महाभारत में इस घटना को मानवीय तर्क से समझाने की बजाय, दैवीय हस्तक्षेप और चमत्कार के रूप में प्रस्तुत किया गया है. ये घटना ये दिखाती है कि देवताओं और ऋषियों की शक्ति से ऐसी घटनाएं संभव हो सकती हैं, जो सामान्य मानवीय प्रक्रिया से परे हैं. इसे वैज्ञानिक दृष्टि से नहीं, बल्कि धर्म, आध्यात्मिकता और प्रतीकात्मक दृष्टिकोण से समझा जाना चाहिए.
क्या दैव पुत्र एक दिन में हो सकता है
अब अगले सवाल पर आते हैं कि क्या ये संभव है कि देवता और मनुष्य के संयोग से जन्म की घटना एक दिन में हो सकती है. तो इसका जवाब हां है. चूंकि यह पूरी घटना दैवीय शक्तियों से हुई, इसलिए इसमें साधारण गर्भधारण और जन्म की प्रक्रिया शामिल नहीं थी. यही कारण है कि कर्ण का जन्म एक ही दिन में हुआ, जो शास्त्रों और पौराणिक कथाओं की चमत्कारिक कहानियों का हिस्सा है.
भारतीय पौराणिक कथाओं में ये मान्यता है कि देवताओं या ऋषियों द्वारा दी गई शक्तियों से संतान का जन्म एक दिन में या तुरंत हो सकता है. ये ईश्वर की अनंत शक्ति और समय की भौतिक सीमाओं से परे उनकी क्षमता को दिखाने का एक प्रतीक है.
ये दैव शक्तियां किसी भी नियम को बदल सकती हैं
दैवीय शक्तियाॆ सर्वसमर्थ होती हैं. वे किसी भी नियम को बदल सकती हैं, चाहे वह भौतिक हो या नैतिक. तो ये भी कहना चाहिए कि चूंकि बाद में पांचों पांडव भाइयों का जन्म भी कुंती और माद्री ने इसी तरीके से संभव किया, लिहाजा उसके लिए उन्होंने गर्भ धारण नहीं किया बल्कि उन्हें एक दिन में ही पैदा किया.
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FIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 12:36 IST