Published On: Sat, Jun 7th, 2025

Lack of resources with cooperative societies | प्रदेश में 2100 से ज्यादा सहकारी समितियां ‘बेघर’: इनके पास भवन व गोदाम तक नहीं; अलवर, बाड़मेर और जयपुर में सबसे ज्यादा समस्या – Bharatpur News



प्रदेश में ग्राम सहकारी समितियों की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और अन्य आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए की गई थीं। इनके पास किसानों को ऋण और खाद बीज देने सहित कई महत्वपूर्ण काम होते हैं लेकिन सैकड़ों समितियों के पास खुद के भवन और गोदाम

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प्रदेश में 7 हजार से ज्यादा सहकारी समितियां हैं। इनमें से 2 हजार से भी ज्यादा समितियों के पास खुद के भवन और गोदाम नहीं हैं। ग्राम सहकारी समितियों के पास अपने भवन और गोदाम बनाने के लिए वित्तीय संसाधनों की कमी है। सरकार से पर्याप्त सहायता नहीं मिलने से ग्राम सहकारी समितियों को अपने भवन और गोदाम बनाने में परेशानी हो रही है।कई जगहों पर पंचायत से जमीन नहीं मिलने के कारण भी भवन और गोदाम बनाए जाने में समस्या आ रही है।

सहकारी समितियों के पास गोदाम में कृषि उत्पाद अनाज, बीज और अन्य कृषि सामग्री को रखा जाता है। साथ ही सब्सिडी के आधार पर मिलने वाली खाद, यूरिया, कृषि उपकरण ट्रैक्टर, प्लो और अन्य कृषि मशीनरी को रखा जाना होता है। बोरियां, बैग और अन्य पैकेजिंग सामग्री के साथ-साथ किसानों से संबंधित रिकॉर्ड को सुरक्षित रखना होता है।

मगर प्रदेश में नव गठित जिलों को छोड़ दें तो पूर्व के 33 जिलों में से 29 जिलों के कार्यक्षेत्र की सैकड़ों समितियों के पास अपने भवन और गोदाम नहीं हैं। इनमें जयपुर, अजमेर, जोधपुर, सीकर, बीकानेर, अलवर, उदयपुर सहित तमाम बड़े जिले शामिल हैं। सर्वाधिक अलवर जिले में समितियों के पास भवन गोदाम नहीं हैं। इसके अलावा बाड़मेर, भरतपुर, जयपुर, झुंझुनूं, नागौर, सवाई माधोपुर और उदयपुर में भी बड़ी संख्या में समितियां ऑफिस और गोदाम से वंचित हैं।

8 जिलों में 100 से ज्यादा समितियां प्रभावित

अलवर में 312 समितियां, बाड़मेर में 172, भरतपुर में 151, जयपुर में 171, झुंझुनूं में 104, नागौर में 115, सवाई माधोपुर में 107 और उदयपुर में 109 समितियां ऐसी हैं, जहां भवन और गोदाम नहीं हैं। अजमेर में 28, बांसवाड़ा में 38, बारां में 59, भीलवाड़ा में 22, बीकानेर में 68, बूंदी में 43, चित्तौड़गढ़ में 62, चूरू में 36, दौसा में 39, डूंगरपुर में 20, हनुमानगढ़ में 26, जैसलमेर में 78, जालौर में 54, झालावाड़ में 50, जोधपुर में 53, कोटा में 32, पाली में 21, सीकर में 82, सिरोही में 26, गंगानगर में 16 और टोंक में 41 समितियों के पास भवन गोदाम नहीं हैं।

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