Published On: Sat, May 24th, 2025

Kota News: Why Are So Many Suicides Happening In Kota Only? Sc Reprimanded The Government And Police – Amar Ujala Hindi News Live


कोचिंग हब के रूप में पहचान बना चुके कोटा में छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार और पुलिस प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने स्पष्ट रूप से पूछा कि केवल कोटा में ही छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और राज्य सरकार इस गंभीर मसले को लेकर अब तक क्या कदम उठा पाई है।

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सुप्रीम कोर्ट ने नीट की एक छात्रा की आत्महत्या के मामले में कोटा पुलिस द्वारा सिर्फ इनक्वेस्ट रिपोर्ट दर्ज करने और एफआईआर न करने को अदालत के आदेशों की अवहेलना करार दिया। अदालत ने सवाल किया कि कोई एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? ये हमारे पहले के आदेश की अवमानना है। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने इस संबंध में पुलिस अधिकारियों को तलब भी किया और सख्त सवाल पूछे।

राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने बताया कि कोटा पुलिस ने पहले ही इनक्वेस्ट रिपोर्ट दर्ज कर ली थी और अब तुरंत एफआईआर भी दर्ज की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने छात्रों की आत्महत्याओं की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम का गठन किया है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मामले को सरकार के उच्चतम स्तर तक पहुंचाया जाए।

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वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, जो कोचिंग संस्थान की ओर से पेश हुए ने कहा कि छात्रा नवंबर 2024 में संस्थान छोड़ चुकी थी और अपने माता-पिता के साथ कोटा में रह रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट इस मामले की समानांतर निगरानी कर रहा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट इस मामले को अपने पास स्थानांतरित करे।

सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि साल 2025 में अब तक कोटा में छात्र आत्महत्याओं की यह 14वीं घटना है, जबकि 2024 में कुल 17 आत्महत्याएं दर्ज की गई थीं। कोर्ट ने राज्य सरकार से सभी मामलों की स्थिति रिपोर्ट मांगी है। अब यह मामला 14 जुलाई को फिर से सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा। तब तक अदालत राजस्थान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करेगी और देखेगी कि क्या छात्रों की जान बचाने के लिए कोई ठोस पहल की गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने कोटा में लगातार हो रही छात्रों की आत्महत्याओं पर गंभीर चिंता जताते हुए इसे बहुत संवेदनशील और गंभीर मामला बताया है। कोर्ट ने सरकार और पुलिस को जिम्मेदार ठहराते हुए साफ कर दिया है कि यदि समय पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वह बेहद सख्त रुख अपना सकता है।

 

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