kirodi lal meena first leader to resign after lok sabha election result

ऐप पर पढ़ें
लोकसभा चुनाव नतीजे के ठीक एक महीने बाद राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने इस्तीफा दे दिया है। अपने मोर्चे पर पार्टी को जीत नहीं दिला पाने पर उन्होंने पद छोड़ दिया है। तमाम मान मनौव्वल के बावजूद उन्होंने वही किया जिसका ऐलान चुनाव के वक्त ही कर दिया था। किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा बेहद अहम है क्योंकि प्रदेश में भाजपा को सत्ता में वापस लाने में उनकी भूमिक बेहद अहम मानी जाती है। जिस तरह उन्होंने कांग्रेस सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए रखा और पेपर लीक जैसे मुद्दों पर युवाओं के साथ आंदोलन चलाए उससे पार्टी को काफी फायदा मिला।
भजनलाल सरकार में कृषि और ग्रामीण विकास के अलावा आपदा प्रबंधन और राहत विभाग संभालते रहे मंत्री मीणा किरोड़ी लाल मीणा राज्य के प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद उन्हें भी संभावित मुख्यमंत्रियों की दौर में आगे बताया जा रहा था। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुझारुपन के लिए मीणा को पसंद करते हैं। पेशे से डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा अपनी साफगोई और वादों पर अडिग रहने के लिए जाने जाते हैं। इस्तीफे के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर रामायण की चौपाई के जरिए एक बार फिर अपनी साफ किया कि वह जो कहते हैं वही करते भी हैं।
क्या किया था वादा जो दिया इस्तीफा
मीणा ने लोकसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के बाद कहा था कि अगर भाजपा उनके अधीन सात सीट में से कोई भी सीट हारती है तो वह मंत्री पद छोड़ देंगे। मीणा ने कहा था, ‘प्रधानमंत्री के दौसा आने से पहले मैंने कहा था कि अगर सीट (दौसा) नहीं जीती तो मैं मंत्री पद छोड़ दूंगा। बाद में प्रधानमंत्री ने मुझसे अलग से बात की और मुझे सात सीट की सूची दी। मैंने 11 सीट पर कड़ी मेहनत की है।’ मीणा ने सार्वजनिक रूप से ऐलान किया था, ‘अगर पार्टी सात में से एक भी सीट हारती है तो मैं मंत्री पद छोड़ दूंगा और यहां पानी पिलाऊंगा।’ मीणा ने दौसा, भरतपुर, करौली-धौलपुर, अलवर, टोंक-सवाईमाधोपुर और कोटा-बूंदी समेत पूर्वी राजस्थान की सीट पर प्रचार किया था। भाजपा इनमें से भरतपुर, दौसा, टोंक-सवाईमाधोपुर और धौलपुर-करौली सीट कांग्रेस से हार गई।
मीणा ने खींच दी लंबी लकीर
किरोड़ी लाल मीणा ने अपने इस्तीफे से दूसरे कई ऐसे नेताओं के सामने भी मिसाल पेश कर दी है जो अपनी पार्टी को अपेक्षित परिणाम नहीं दिला सके या फिर अपने मोर्चे पर विफल साबित हुए। मीणा प्रमुख दलों के पहले ऐसे नेता हैं जिन्होंने इस चुनाव के बाद अपनी जिम्मेदारी लेते हुए पद की कुर्बानी दे दी है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखंड समेत कई राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन 2014 और 2019 के मुकाबले बेहद खराब रहा। वहीं, कांग्रेस भी मध्य प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में खाता तक नहीं खोल सकी। गुजरात में भी पार्टी को महज एक ही सीट पर जीत मिली। लेकिन अभी तक इन राज्यों में किसी ने यूं आगे बढ़कर हार की जिम्मेदारी नहीं ली है। महाराष्ट्र में जरूर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन फिर पार्टी की ओर से कहे जाने पर उन्होंने अपना मन बदल लिया।