Published On: Thu, Jun 19th, 2025

khatu Shyam Ji | खाटू श्याम मंदिर में क्यों होती है भगवान हनुमान की पूजा, क्या है दोनों का संबंध? हैरान कर देगा सच – why Lord hanuman ji worshipped in khatu shyam temple together reason will shake your mind truth will surprise you surely


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Khatu Shyam Story in HIndi : राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित खाटू श्याम मंदिर पूरे भारत का एकमात्र ऐसा अनोखा और चमत्कारी मंदिर है जहां किसी देवता के शीश की पूजा होती है. खाटू श्याम मंदिर में खाटू श…और पढ़ें

खाटू श्याम मंदिर में क्यों होती है भगवान हनुमान की पूजा? हैरान कर देगा सच

खाटू श्याम मंदिर में भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित होने का पीछे क्या है कारण?

हाइलाइट्स

  • खाटू श्याम मंदिर में हनुमान जी की भी पूजा होती है.
  • हनुमान जी और खाटू श्याम दोनों भगवान कृष्ण के भक्त हैं.
  • खाटू श्याम मंदिर में बर्बरीक का शीश स्थापित है.

सीकर. राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित खाटू श्याम जी के मंदिर में हनुमान जी की भी पूजा होती है. यह अनोखी धार्मिक परंपरा है. जब आप खाटू श्याम मंदिर आते हैं तो श्याम कुंड में स्नान करने के बाद हनुमान जी के दर्शन जरूर करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भक्त हनुमान मंदिर में दर्शन के बाद ही खाटू श्याम के दर्शन करते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. खाटू श्याम मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित होने का पीछे का एक कारण भी है. हनुमान जी ने भगवान राम के अनन्य भक्त माने जाते हैं. भगवान राम ने ही भगवान कृष्ण का ही एक अवतार माना जाता है. खाटू श्याम जी भी भगवान कृष्ण के एक रूप के रूप में पूजे जाते हैं. दोनों ही भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा रखते हैं, इसलिए दोनों की एकसाथ पूजा होती है.

खाटू श्याम को बर्बरीक के नाम से भी जाना जाता है. द्वापर युग में महाभारत युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया था कि कलियुग में उनकी पूजा की जाएगी. बर्बरीक ने अपना शीश भगवान कृष्ण को दान किया था. माना जाता है कि उन्होंने अपना शीश दान चुलकाना धाम में किया था जो हरियाणा के पानीपत जिले में स्थित है.

शीशदान के बाद, बर्बरीक का शीश खाटू में स्थापित किया गया. कहा जाता है कि खाटू श्याम के कुंड में बर्बरीक का शीश पाया गया था. इसी कुंड में भक्त डुबकी लगाते हैं. खाटू श्याम जी मंदिर का निर्माण राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने करवाया था. कहा जाता है कि 1027 ईस्वी में रेतीली टीले के अंदर से गाय चराने वाले ग्वाले को बाबा श्याम का शीश मिला था. उसने कुछ दिन बाबा श्याम की पूजा अर्चना की. फिर शीश को खाटूवांग नगरी के राजा रूपसिंह चौहान को सौंप दिया. राजा रूपसिंह चौहान की पत्नी नर्मदा चौहान बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी, तो राजा ने बाबा श्याम का शीश अपनी पत्नी को दे दिया. इसके बाद खाटूवांग नगरी की रानी नर्मदा कर ने छोटा सा मंदिर बनाकर वहां बाबा श्याम के शीश को स्थापित किया और रोजाना पूजा अर्चना करने लगी.

फिर राजा को एक रात सपने में भगवान कृष्ण का आदेश मिला था कि वे बर्बरीक का शीश खाटू गांव में स्थापित करें. राजा ने इस आदेश का पालन किया और मंदिर का निर्माण करवाया. खाटू श्याम मंदिर पूरे भारत का एकमात्र ऐसा अनोखा और चमत्कारी मंदिर है जहां किसी देवता के शीश की पूजा होती है.

Chaturesh Tiwari

An accomplished digital content creator and Planner. Creating enhanced news content for online and social media. Having more than 10 years experience in the field of Journalism. Done Master of Journalism from M…और पढ़ें

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