Karva Chauth 2024 Moon Sighting Time At Shimla Puja Muhurat Chand Niklne Ka Samay – Amar Ujala Hindi News Live

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शिमला में चंद्रोदय शाम 07:47 बजे होगा। सायंकाल में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:46 से शाम 7:02 बजे तक रहेगा। इस दौरान माता करवा की कथा पढ़ने के साथ करवा पूजन और सास को सुहागी, वस्त्र दिए जाते हैं।

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– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
विस्तार
पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सुहागिनें रविवार को करवाचौथ का व्रत रखेंगी। ब्रह्म मुहूर्त से करवाचौथ का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। देर शाम चंद्रदेव के पूजन के बाद ही व्रत खोला जाएगा। शिमला में चंद्रोदय शाम 07:47 बजे होगा। कार्तिक मास की श्रीकृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि रविवार सुबह 06:46 बजे शुरू होगी। जो सोमवार सुबह 04:16 बजे तक रहेगी। ज्योतिष आचार्य एवं पंडितों के अनुसार सूर्योदय के बाद तिथि लगने से चतुर्थी तिथि क्षय मानी जाती है। इसमें व्रत के उद्यापन और नव विवाहितों के व्रत को लेकर संशय है। कुछ पंडित जहां इस तिथि में व्रत और इसके उद्यापन को शुभ मानते हैं तो कुछ के मत इसके विपरीत हैं।
राधा-कृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित उमेश नौटियाल ने बताया कि निर्णय सिंधू के अनुसार चतुर्थी तिथि क्षय होने से करवाचौथ व्रत का उद्यापन नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि धर्म शास्त्रों में मलमास, गुरु व शुक्र के अस्त, तिथि क्षय होने, सूर्य संक्राति, सूर्य-चंद्र ग्रहण में व्रत का उद्यापन नहीं किया जा सकता। हालांकि सुहागिनें करवाचौथ का व्रत रख सकती हैं, लेकिन उद्यापन नहीं कर सकतीं। वहीं, ज्योतिष आचार्य मस्तराम का भी मानना है कि क्षय तिथि में व्रत का उद्यापन नहीं किया जा सकता। क्षय तिथि में किए कार्य का फल प्राप्त नहीं होता। उन्होंने बताया कि नवविवाहितों के ग्रह चक्र के आठवें और बारहवें योग में राहु का साया है इसलिए नवविवाहितों को यह व्रत नहीं रखना चाहिए। पहली बार व्रत रखने वाली सुहागिनें अगले साल से ही व्रत शुरू करें। हालांकि ढिंगू माता मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा का कहना है कि क्षय तिथि का व्रत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। करवाचौथ व्रत का उद्यापन किया जा सकता है। करवाचौथ की कथा पढ़ने का विशेष महत्व है। यह कथा करवा नामक एक पतिव्रता महिला को समर्पित है। अपने पति की जान बचाने के लिए करवा ने चंद्रदेव को प्रसन्न किया था।
सूर्योदय से पहले खानी होगी सरगी
करवाचौथ व्रत रखने वाली सुहागिनों को सूर्योदय से पहले ब्रह्ममुहूर्त में सरगी खानी होगी। ब्रह्ममुहूर्त सुबह 4: 44 से सुबह 5:35 बजे तक रहेगा। दिनभर निर्जला व्रत रखकर शाम के समय करवा माता की पूजा की जाएगी। सायंकाल में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:46 से शाम 7:02 बजे तक रहेगा। इस दौरान माता करवा की कथा पढ़ने के साथ करवा पूजन और सास को सुहागी, वस्त्र दिए जाते हैं। देर शाम चंद्रोदय पर चंद्रदेव का पूजन किया जाएगा। शिमला में चंद्रोदय शाम 7:47 बजे होगा। इस दौरान पति के हाथों पानी पीकर और मिठाई खाकर व्रत खोला जाता है।