Karauli Education Is In Hindi Medium Till 9th Then Why Is 10th In English Protest Locking School Gate – Amar Ujala Hindi News Live


प्रदर्शन करते ग्रामीण
– फोटो : अमर उजाला
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करौली में हिंडौन सिटी के क्यारदा खुर्द गांव के महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के गेट पर बुधवार सुबह स्कूली बच्चों और अभिभावकों ने ताला जड़ दिया। इस बीच स्कूल पहुंची प्रधानाचार्य रजनी जंगम सहित अन्य शिक्षक करीब एक घंटे तक स्कूल के बाहर खड़े रहे।
बता दें कि स्कूली बच्चों ने विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम से पुनः हिंदी माध्यम में परिवर्तित किए जाने की मांग को लेकर राज्य की भजनलाल सरकार और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने शिक्षा विभाग के जिला और ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को भी कोसते हुए कहा कि कई बार अवगत कराने के बावजूद भी अधिकारी उनके बच्चों के भविष्य को लेकर उचित निर्णय नहीं कर पा रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना था कि प्रथम कक्षा से ही उनके बच्चे हिंदी माध्यम में पढ़ रहे हैं। लेकिन अब विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम कर दिया गया है, इससे इस बार दसवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को बोर्ड परीक्षा में फेल होने की आशंका सता रही है। उन्होंने बताया कि विद्यालय को अंग्रेजी से हिंदी माध्यम में परिवर्तित नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
करीब एक घंटे तक प्रदर्शन करने के बाद अभिभावक और स्कूली बच्चे स्कूल के गेट के बाहर बैठ गए। प्रधानाचार्य रजनी जंगम ने भी अभिभावकों से समझाइश की। लेकिन ग्रामीण विभागीय अधिकारियों को बुलाने के लिए अड़े रहे। प्रधानाचार्य की सूचना पर मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कैलाश चंद्र मीणा मौके पर पहुंचे तथा ग्रामीण और बच्चों से समझाइश कर विद्यालय गेट से ताला खुलवाया। इसके बाद बिना प्रार्थना कराए ही बच्चों को कक्षाओं में बैठा दिया गया। बाद में सीबीइओ और प्रधानाचार्य ने बंद कमरे में ग्रामीणों से बातचीत की।
प्रधानाचार्य रजनी जंगल ने बताया कि दो सत्र पूर्व क्यारदा खुर्द गांव के हिंदी मीडियम विद्यालय को राज्य सरकार ने अंग्रेजी माध्यम महात्मा गांधी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के रूप में परिवर्तित कर दिया था। लेकिन अब दसवीं कक्षा में आए छात्र-छात्रा अंग्रेजी माध्यम के तहत होने वाली बोर्ड परीक्षा में फेल होने को लेकर आशंकित हैं। परेशान चल रहे दसवीं कक्षा के करीब दो दर्जन से अधिक बच्चे अपनी टीसी लेकर अन्यत्र स्कूलों में जाने की बात कह रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो विद्यालय पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में हम तो अपनी तरफ से राज्य सरकार को प्रस्ताव भेज देंगे, लेकिन अंतिम निर्णय सरकार का ही होगा।