Jhunjhunu Tension police protesters Subhash Meghwal murder case

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झुंझुनू में सुभाष मेघवाल हत्याकांड ने नया मोड़ लिया है. प्रशासन ने परिजनों को 24 घंटे में शव लेने का नोटिस दिया है. मुख्य आरोपी मुकेश जाट की गिरफ्तारी न होने से प्रदर्शनकारी नाराज हैं.

सुभाष मेघवाल हत्याकांड को लेकर पुलिस की नोटिस
हाइलाइट्स
- प्रशासन ने परिजनों को 24 घंटे में शव लेने का आदेश दिया.
- मुख्य आरोपी मुकेश जाट की गिरफ्तारी न होने से नाराजगी.
- प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की घटना.
झुंझुनू:- झुंझुनू जिले में सुभाष मेघवाल हत्याकांड ने नया मोड़ ले लिया है. चार दिन से बीडीके अस्पताल की मोर्चरी में रखा सुभाष का शव अब प्रशासन द्वारा अंतिम संस्कार के लिए तैयार किया जा रहा है. उपखंड मजिस्ट्रेट ने मृतक के परिजनों को नोटिस जारी कर 24 घंटे में शव लेने को कहा है. नोटिस में मृत शरीर का सम्मान अधिनियम-2023 का हवाला देते हुए कहा गया कि यदि परिजन शव नहीं लेते, तो प्रशासन पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार करवाएगा.
नोटिस में लिखी थी ये बात
नोटिस में यह भी लिखा गया था कि शव से संक्रमण फैलने का खतरा है और परिजनों की मांगों को ‘आधारहीन’ और ‘कानूनी रूप से गलत’ बताया गया. यह नोटिस 27 मई 2025 को जारी हुआ था, जिसके अनुसार 28 मई को यानि आज 24 घंटे की समयसीमा पूरी हो चुकी है. इस नोटिस के बाद प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और भड़क गया है. परिजन और समर्थक बीडीके अस्पताल के बाहर धरने पर हैं, और उनका कहना है कि जब तक हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं होती, वे शव नहीं लेंगे.
पुलिस पर लगे गंभीर आरोप
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वे आरोपी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि मुख्य आरोपी मुकेश जाट, जो पुलिस मुख्यालय में तैनात है, सहित अन्य आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. इस बीच, सर्किट हाउस में प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधिमंडल के बीच वार्ता चल रही है, लेकिन चार दिन बाद भी सहमति नहीं बन पाई है.
पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज
सुभाष मेघवाल की हत्या के बाद से झुंझुनू में तनाव बना हुआ है. प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की घटना ने मामले को और गरमा दिया है. लोग इसे दलित उत्पीड़न का मामला बताकर न्याय की मांग कर रहे हैं. वहीं प्रशासन का कहना है कि वह कानून के अनुसार ही कार्रवाई कर रहा है. लेकिन प्रदर्शनकारी इस नोटिस को दबाव की रणनीति मान रहे हैं. इस हत्याकांड ने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं.