लंबे समय से एक-दूसरे से दूरी बनाए बैठे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के एक मंच पर नजर आने के बाद राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में फिर हलचल पैदा हो गई है। मौका था पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि का, जहां गहलोत पायलट के आमंत्रण पर उनके निवास पहुंचे। इस मुलाकात की तस्वीर खुद गहलोत ने सोशल मीडिया पर साझा की और भावुक शब्दों के साथ राजेश पायलट को श्रद्धांजलि अर्पित की।
पायलट और गहलोत की इस मुलाकात से ज्यादा चर्चा उस राजनीतिक संदेश की हो रही है, जो इस तस्वीर और ट्वीट के जरिए सामने आया है। सियासी गलियारों में सवाल उठने लगा है कि क्या कांग्रेस के इन दोनों दिग्गजों के बीच जमी बर्फ अब पिघल रही है?
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पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पर सचिन पायलट के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने अपने आवास पर पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया। मैं और राजेश पायलट 1980 में पहली बार एक साथ लोकसभा पहुंचे और 18 साल तक सांसद रहे। उनके आकस्मिक निधन से हमें गहरा दुख हुआ था। उनके जाने से पार्टी को भी बड़ा आघात लगा। इस पोस्ट के साथ साझा की गई तस्वीर और वीडियो में गहलोत और पायलट एक-दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण मुद्रा में नजर आए, जिसने सियासी गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए।
राजस्थान कांग्रेस में गहलोत और पायलट के मतभेद किसी से छिपे नहीं हैं। जुलाई 2020 की सियासी बगावत हो या चुनावों के दौरान की खींचतान, दोनों नेताओं के बीच रिश्ते हमेशा तल्ख रहे लेकिन अब जब पार्टी को राज्य में खुद को पुनर्संगठित करने की जरूरत है, तब यह मुलाकात राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल श्रद्धांजलि का कार्यक्रम नहीं, बल्कि कांग्रेस के भीतर एक संभावित सुलह और संवाद की शुरुआत हो सकती है।
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गहलोत के पोस्ट में राजेश पायलट के साथ उनके पुराने संबंधों की झलक भी स्पष्ट दिखी। उन्होंने जिस आत्मीयता से स्व. पायलट को याद किया, उसे राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि यह रिश्ता अब सचिन पायलट के साथ उनके संबंधों को भी एक नया मोड़ दे सकता है। 2023 के विधानसभा चुनावों में सत्ता से बाहर हुई पार्टी के लिए संगठनात्मक एकता बेहद जरूरी हो गई है। ऐसे में गहलोत और पायलट की यह साझी तस्वीर एक सहमति के संकेत के रूप में उभर रही है।
हालांकि गहलोत ने इस मुलाकात को केवल एक पारिवारिक निमंत्रण बताया लेकिन इसकी राजनीतिक टाइमिंग और सार्वजनिक प्रस्तुति इस बात की ओर इशारा करती है कि राजस्थान कांग्रेस में अंदरखाने कुछ सकारात्मक बदलाव हो सकते हैं। राजनीति में संवाद, सम्मान और पुनर्संवाद की हमेशा गुंजाइश रहती है और यह तस्वीर उसी की एक झलक कही जा सकती है।