{“_id”:”6702203cabcdc5d1ac06e301″,”slug”:”israeli-citizens-are-returning-home-every-day-from-parvati-valley-kullu-himachal-pradesh-2024-10-06″,”type”:”feature-story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”देशभक्ति: देश पर संकट के बीच वतन लौट रहे इस्राइली, पार्वती घाटी से हर दिन 20 से 30 इस्राइली नागरिक जा रहे घर”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
रोशन ठाकुर, संवाद न्यूज एजेंसी, कुल्लू
Published by: अंकेश डोगरा
Updated Sun, 06 Oct 2024 11:05 AM IST
ईरान के मिसाइल हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। ऐसे में संकट की इस घड़ी में देश के साथ खड़ा होने का जज्बा और वहां रह रहे अपनों की चिंता के बीच हर रोज कुल्लू की पार्वती घाटी से 20 से 30 इस्राइली नागरिक वतन लौट रहे हैं।
जरी में बस का इंतजार करते इस्राइली। – फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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हमास के साथ युद्ध के बाद लेबनान और ईरान के मिसाइल हमलों के बीच अपनों की चिंता के चलते हिमाचल में घूमने आए इस्राइल के नागरिक अपने वतन लौटने लगे हैं। ईरान के मिसाइल हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।
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संकट की इस घड़ी में देश के साथ खड़ा होने का जज्बा और वहां रह रहे अपनों की चिंता के बीच हर रोज कुल्लू की पार्वती घाटी से 20 से 30 इस्राइली नागरिक वतन लौट रहे हैं। कुछ चंडीगढ़ हवाई अड्डे से तो कुछ दिल्ली से उड़ान भर रहे हैं। उधर, मैक्लोडगंज से भी कई इस्राइली पर्यटकों के लौटने की सूचना है। इस्राइल का पहले हमास के साथ एक साल से भी अधिक समय से युद्ध चल रहा था। अब लेबनान और ईरान के साथ बिगड़े हालात के बीच अपने देश की रक्षा के लिए इस्राइली पर्यटक हिमाचल से स्वदेश लौटना शुरू हो गए हैं। अभी तक सैकड़ों के लौटने की सूचना है। 2 से 4 अक्तूबर तक मनाए गए रोष हाशना उत्सव में इस्राइल के पर्यटक पार्वती घाटी के कालगा व पुलगा में इकट्ठा हुए थे।
पार्वती घाटी व मनाली क्षेत्र में अब सिर्फ 200 से 300 इस्राइली ही रुके हैं। वे भी 12 से 15 अक्तूबर तक होने वाले योम कीपर और 24-25 अक्तूबर को सिमचट तोराह उत्सव के बाद लौट सकते हैं। पार्वती घाटी के पर्यटन कारोबारी विजय सूद, लुदर सिंह व बलदेव ठाकुर ने कहा कि 90 के दशक से इस्राइली सैलानियों की पहली पसंद पार्वती घाटी रही है। कुल्लू के कसोल और मैक्लोडगंज में हर साल हजारों इस्राइली आते हैं। कसोल में कई इस्राइली एक तरह से बस गए हैं। इसी के चलते कसोल को मिनी इस्राइल भी कहा जाता है।