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संवाद न्यूज एजेंसी, कुल्लू
Published by: Krishan Singh
Updated Mon, 14 Oct 2024 12:02 PM IST
कुल्लू दशहरा का आगाज होते ही ढालपुर मैदान का नजारा देवी-देवताओं के आगमन से देवलोक में बदल गया है। रघुनाथ की नगरी वाद्ययंत्रों से गुंजायमान है।
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा – फोटो : संवाद
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अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा का आगाज होते ही ढालपुर मैदान का नजारा देवी-देवताओं के आगमन से देवलोक में बदल गया है। रघुनाथ की नगरी वाद्ययंत्रों से गुंजायमान है। उत्सव शुरू होने से इससे पहले देवी-देवताओं ने वाद्ययंत्रों की थाप पर भगवान रघुनाथ से देवमिलन किया। रथयात्रा के बाद कुल्लू जिला के कोने-कोने से आए हुए देवी-देवता अब अपने अस्थायी शिविरों में विराजमान हो गए हैं। रविवार सुबह करीब 8:00 बजे से देवी-देवता ढालपुर की तरफ आना शुरू हुए।
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रवानगी से पूर्व देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना हुई। सुबह के समय हवाई के देवता जमलू लाव-लश्कर के साथ ढालपुर पहुंचे तो यहां का माहौल भक्तिमय हो गया। धीरे-धीरे अन्य देवताओं के आने का क्रम बढ़ने लगा। सुबह करीब 10:00 बजे तक भुंतर से कुल्लू की तरफ 20 से अधिक देवता आए। रामशिला की तरफ से भी 15 से अधिक देवता पहुंचे। दोपहर 12:00 बजे तक कुल्लू में पहुंचने वाले देवताओं की संख्या दोगुना हो गई। देवता ढालपुर में पहुंचने के बाद रघुनाथ की नगरी सुल्तानपुर गए।