{“_id”:”6762f7e26db88910240b32d9″,”slug”:”indian-navy-s-latest-survey-ship-ins-nirdeshak-to-be-commissioned-80-per-cent-indigenous-content-2024-12-18″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”INS Nirdeshak: समुद्र में बढ़ी भारतीय नौसेना की ताकत, बेड़े में शामिल हुआ आईएनएस ‘निर्देशक'”,”category”:{“title”:”India News”,”title_hn”:”देश”,”slug”:”india-news”}}
आईएनएस ‘निर्देशक’ – फोटो : ANI
विस्तार
समुद्र में पड़ोसी देशों से मिल रही चुनौतियों के बीच भारतीय नौसेना को अपना दूसरा सर्वे पोत ‘निर्देशक’ मिल गया है। ‘निर्देशक’ के नौसेना में शामिल होने के साथ ही समुद्र में भारत की ताकत और बढ़ गई है। आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने इस जहाज का निर्माण किया है।
Trending Videos
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने सर्वे पोत का जलावतरण किया। इस श्रेणी का पहला पोत आईएनएस संध्याक इस साल 3 फरवरी को नौसेना में शामिल किया गया था। आईएनएस निर्देशक को समुद्री सर्वेक्षण, नेविगेशन सहायता और समुद्री संचालन को समर्थन देने के लिए डिजाइन किया गया है। यह अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक प्रणालियों जैसे मल्टी बीम इको साउंडर, साइड स्कैन सोनार, ऑटोनोमस अंडरवाटर व्हीकल (एयूवी) और रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (आरओवी) से लैस है। इन तकनीकों की मदद से गहरे समुद्र में संचालन के लिए सटीक मानचित्रण, खतरनाक और सीमित क्षेत्रों में सर्वेक्षण की क्षमता का विस्तार के अलावा मलबे की पहचान व पर्यावरणीय अध्ययन के लिए त्वरित, सुरक्षित डेटा संग्रहण संभव होता है।
भारत के लिए क्यों है अहम?
जहाज का मुख्य काम सर्वे का है, लेकिन यह नौवहन और समुद्री परिचालन में भी सहायता करेगा। आईएनएस निर्देशक की लंबी दूरी भारत की परिचालन पहुंच को बढ़ाएगी, जिससे जहाजों को हिंद महासागर के दूरदराज क्षेत्रों और मालदीव-सेशेल्स के आसपास के जल क्षेत्रों में काम करने में मदद मिलेगी।
आईएनएस निर्देशक एक सर्वे जहाज है। इसे सर्वे वेसल लार्ज (एसवीएल) भी कहा जाता है। 110 मीटर लंबे और 16 मीटर चौड़े इस जहाज का वजन 3,400 टन है। 2 डीजल इंजन से चलने वाला यह जहाज पानी पर अधिकतम 33 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है।
80 प्रतिशत स्वदेशी पुर्जे
जहाज करीब 3 दशकों तक नौसेना में रहे निर्देशक का ही उन्नत संस्करण है, जिसे 19 दिसंबर, 2014 को सेवामुक्त कर दिया गया था। जहाज में 80 प्रतिशत स्वदेशी पुर्जे लगे हैं।