In 1685 100 trucks of ghee were filled in the foundations of this temple it is still a center of faith

बाड़मेर:- कहते हैं कि अगर किसी भवन की नींव मजबूत होती है, तो उसकी उम्र बहुत ज्यादा हो जाती है. लेकिन आपको यह सुनकर हैरानी होगी कि बाड़मेर में एक मन्दिर ऐसा भी है, जिसकी नींव घी से भरी गई थी. आपका चौकना लाजमी है, लेकिन आपकी हैरत बाड़मेर के श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ मन्दिर में आकर खत्म हो जाएगी.
बाड़मेर के सबसे पुराने इस मंदिर का निर्माण यहां मौजूद शिलालेखों के मुताबिक, साल 1685 में हुआ था और इसकी मूर्ति कितनी पुरानी है, इसका कोई प्रमाण नहीं है. इतिहासकार पी. डी. जैन ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए कहा कि इस मंदिर का निर्माण मोदरा के नेमा जी जीवा जी मोदरा द्वारा करवाया गया था. जानकारी के मुताबिक, जिस वक्त मारवाड़ के कारीगरों को इसके निर्माण का काम दिया गया, तो एक कारीगर नेमा जी के घर उनसे मिलने आया, तब नेमाजी खाना खा रहे थे.
खाना खाते हुए हुई ये घटना
तभी एक चींटी उनके घी में गिर गई, तो उन्होंने उस चींटी को अपनी मोजड़ी पर रगड़कर फेंक दिया. इस पर उस कारीगर ने उन्हें कंजूस कहते हुए नीवों को घी से भरने की चुनौती दे दी. कारीगर ने नेमाजी को कहा कि इस मंदिर को पवित्र करने के लिए इसकी नीवों में घी भरना होगा. इस पर नेमाजी जीवाजी ने मारवाड़ से घी के 100 ट्रक मंगवाकर इस मंदिर की नींव में डाल दिया था. उनके इस कदम पर कारीगर बहुत हैरान हो गए.
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कारीगर ने मांगी माफी
फिर कारीगर ने नेमाजी से माफी भी मांगी और बोले कि उन्होंने महज परीक्षा लेने के लिए ऐसा किया. उसके बाद से पूरे इलाके में इस मंदिर को घी की नीवों वाला मन्दिर भी कहते हैं. बाड़मेर जिला मुख्यालय में पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ मन्दिर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोगो का तांता लगा रहता है. मन्दिर की मूर्ति कितनी पुरानी है, इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण या शिलालेख नहीं है.
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FIRST PUBLISHED : November 17, 2024, 13:27 IST