Imran blood cancer scored 91.60 percent marks in RPSC 12th exam

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पाली के छात्र इमरान ब्लड कैंसर से जूझ रहे थे. दो साल पहले कीमोथेरेपी का दर्द झेला. बीमारी के कारण स्कूल नहीं जा पाया. इसके बावजूद 12वीं आर्ट्स में 91.60 प्रतिशत नंबर हासिल किए. आइए उनकी सफलता का सफर जानते हैं.

इमरान खान बने सभी के लिए मिसाल
हाइलाइट्स
- इमरान खान ने 12वीं में 91.60% अंक हासिल किए.
- ब्लड कैंसर और कीमोथैरेपी के बावजूद इमरान ने सफलता पाई.
- इमरान का सपना टीचर बनने का है.
पाली:- दिल में कुछ कर गुजरने की चाह और और मन में लक्ष्य निर्धारित हो, तो कठिनाईयां कितनी ही बाधा बनकर सामने खड़ी रहे, मंजिल पार लग ही जाती है. ऐसी ही कठिनाइयों से भरा जीवन जीने वाले पाली के रहने वाले छात्र इमरान खान इस वक्त ब्लड कैंसर से जूझ रहे हैं. कीमोथैरेपी का दर्द तक झेल रहे हैं. बीमारी के चलते वो स्कूल नहीं जा पाए, मगर खुद पर विश्वास इतना था कि हार नहीं मानी और पढ़ाई करते रहे. अब राजस्थान बोर्ड 12वीं के रिजल्ट में इमरान खान ने आर्ट्स में 91.60 प्रतिशत अंक पाए हैं.
इमरान खान कहीं न कहीं होनहार स्टूडेंट की श्रेणी में आने के साथ ही सभी के लिए मिसाल भी बन गए हैं. इमरान बताते हैं कि कीमोथेरेपी से सिर के बाल कम हो गए थे. कमजोरी के बावजूद हार नहीं मानी. वडेरवास के सरकारी स्कूल में एडमिशन के बाद जमकर पढ़ाई की और मुकाम हासिल किया. आगे चलकर उनका टीचर बनने का सपना है.
4 भाईयों में सबसे छोटे हैं इमरान
पाली के छात्र इमरान ब्लड कैंसर से जूझ रहे थे. दो साल पहले कीमोथेरेपी का दर्द झेला. बीमारी के कारण स्कूल नहीं जा पाया. इसके बावजूद 12वीं आर्ट्स में 91.60 प्रतिशत नंबर हासिल किए. इमरान खान पाली के खैरवा गांव में बस स्टैंड रोड के पास रहते हैं. इमरान सीनियर सेकेंडरी स्कूल वडेरवास के छात्र हैं. पिता मोहम्मद शरीफ किसान और मां बीबी बानो गृहिणी हैं. चार भाइयों में इमरान सबसे छोटे हैं.
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दो साल तक पढ़ाई और स्कूल से दूर रहे इमरान
पिता मोहम्मद शरीफ की मानें, तो 2021 में इमरान को 10 दिन तक बुखार आया. शरीर कमजोर हो गया. पाली में डॉ. गणपत गहलोत को दिखाया. उन्होंने कहा कि इमरान को ब्लड कैंसर होने की आशंका है. जोधपुर में चेक कराने की सलाह दी. पिता बेटे को उदयपुर के डबोक रोड पर स्थित जीबीएच अमरीकन हॉस्पिटल ले गए. वहां डॉ. रोहित ने इमरान का इलाज किया.
उदयपुर में 9 महीने तक इमरान का ब्लड कैंसर का इलाज चला. इस दौरान कई बार कीमोथेरेपी हुई. इसके बाद घर आ गए. 2023 तक दवाएं चलती रहीं. दो साल तक इमरान स्कूल से दूर रहा. फिर सरकारी स्कूल में दाखिला लिया और 12वीं आर्ट्स में 91.60 प्रतिशत अंक हासिल किए.